By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Jul 27, 2023
श्रीलंका की प्रांतीय परिषदों में सामंजस्य, सुलह एवं उन्हें पूर्ण अधिकार देने के उद्देश्य से बुधवार को हुई सर्वदलीय बैठक के बेनतीजा रहने के कारण अब यह बैठक एक महीने बाद फिर होगी। पार्टी अधिकारियों ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी। सरकार के ‘राष्ट्रीय सुलह समझौता कार्यक्रम’ और इस दिशा में आगे बढ़ने को लेकर चर्चा के उद्देश्य से राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने यह सर्वदलीय बैठक बुलाई थी। तमिल नेशनल एलायंस (टीएनए) के सदस्य एम. ए. सुमंतीरन ने ट्वीट किया कि कल श्रीलंका के राष्ट्रपति का रुख भारत-समर्थित 13ए को पूर्ण रूप से लागू करने की प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की इच्छा के विरुद्ध था। नयी दिल्ली की यात्रा से पहले विक्रमसिंघे ने उत्तर और पूर्वी प्रांतों में प्रतिनिधित्व करने वाले तमिल दलों के साथ एक बैठक में प्रांतों को पुलिस शक्तियां दिए बगैर सर्वदलीय सहमति के साथ श्रीलंका के संविधान में 13वें संशोधन (13ए) के पूर्ण कार्यान्वयन पर सहमति जताई थी।
13ए को लागू करना 1987 में श्रीलंका में तमिलों को राजनीतिक स्वायत्तता के मुद्दे का समाधान निकालने के प्रयास में भारत का एक अग्रणी कदम था। इसके तहत उत्तरी एवं पूर्वी प्रांतों के अस्थायी विलय के साथ विकसित इकाई के तौर पर नौ प्रांतों का निर्माण किया गया था। सुमतीरन ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने विक्रमसिंघे को प्रांतीय परिषद के रुके हुए चुनावों को आयोजित करने को कहा था लेकिन राष्ट्रपति का विचार कुछ और था। सुमतीरन ने ट्वीट किया, ‘‘लेकिन कल हमें किसी एक को चुनने को कहा गया।’’ सुमतीरन विक्रमसिंघे के रुख का जिक्र कर रहे थे जिसमें उन्होंने कहा था कि राजनीतिक दलों को निश्चित रूप से आम सहमति से यह फैसला करना चाहिए कि भारत-समर्थित 13ए को पूर्ण रूप से लागू किया जाए या पूरी तरह रद्द कर दिया जाए।
प्रधानमंत्री मोदी ने नयी दिल्ली में विक्रमसिंघे से बातचीत में उम्मीद जताई थी कि श्रीलंका के नेता 13ए को लागू करने के लिए प्रतिबद्ध रहेंगे और प्रांतीय परिषद के चुनाव आयोजित करेंगे।उन्होंने तमिलों के लिए एक सम्मानजनक एवं प्रतिष्ठित जीवन सुनिश्चित करने का अनुरोध किया था। तमिल नेता एवं विक्रमसिंघे के नेतृत्व वाली सरकार में राज्य मंत्री सुरेन राघवन ने कहा कि इस मुद्दे पर तमिल बंटे हुए हैं। राघवन ने कहा?, ‘‘इनमें से कुछ तमिल लोग प्रांतीय चुनाव जल्द कराना चाहते हैं।’’ चुनाव सुधारों के कदम के बाद 2018 से नौ प्रांतों के चुनाव रुके हुए हैं। कुछ सिंहली बहुल पार्टियों ने भी परिषदों को पूर्ण शक्ति प्रदान करने के लिए 13ए को पूर्ण रूप से लागू करने से पहले चुनाव कराने पर जोर दिया था।