नयी दिल्ली। काफी समय से लंबित पड़ा राष्ट्रीय खेल विकास विधेयक मानसून सत्र में संसद में पेश होगा और खेलमंत्री विजय गोयल ने चेताया है कि इसका पालन नहीं करने पर राष्ट्रीय खेल महासंघों को सरकार से कुछ नहीं मिलेगा। गोयल ने कहा कि मंत्रालय ने खेलों को समवर्ती सूची में शामिल करने को लेकर संबंधित पक्षों से बात की है। उन्होंने कहा कि मंत्रालय सभी से फीडबैक मिलने के बाद इसे कैबिनेट के समक्ष मंजूरी के लिये रखेगा। गोयल ने बातचीत के दौरान कहा कि उन्हें राजनेताओं के खेल महासंघों के पदों पर रहने में कोई बुराई नजर नहीं आती। उन्होंने यह भी कहा कि खेल विधेयक की समीक्षा के लिये सरकार ने एक समिति बनाई है जो जल्दी ही अंतिम रिपोर्ट देगी जिसके बाद जुलाई में संसद के मानसून सत्र में इसे कानून का रूप दिया जा सकेगा। उन्होंने कहा, ''आईओए ने जब दो आरोपित व्यक्तियों को आजीवन अध्यक्ष बनाया तो हमने तुरंत कार्रवाई करते हुए आईओए को निलंबित कर दिया। हम अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति की स्वायत्ता का सम्मान करते हैं लेकिन हम जवाबदेही और पारदर्शिता चाहते हैं।’’ उन्होंने कहा, ''हम चाहते हैं कि सारे महासंघ खेल संहिता का पालन करें। यदि वे ऐसा नहीं करते हैं तो हमसे कोई अपेक्षा ना रखें। हम संरक्षक की भूमिका में है। उनकी जवाबदेही तय करने के लिये हमने खेल संहिता समीक्षा समिति बनाई है।''
यह पूछने पर कि यह विधेयक कानून का रूप कब लेगा, गोयल ने कहा, ''हम संसद के आगामी सत्र में इसे रखेंगे।’ उन्होंने कहा कि इसमें ज्यादा बदलाव की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा, ''यदि इसे मौजूदा प्रारूप में भी लागू कर दिया जाये तो यह काफी है। अभी 90 प्रतिशत महासंघ इस पर अमल कर रहे हैं और बाकी भी करेंगे। हमने कराटे, मुक्केबाजी, टेनिस महासंघों के विवाद सुलझा लिये हैं और अब तीरंदाजी तथा बास्केटबाल की बारी है। वे भी जल्दी सुलझ जायेंगे।’’ हाल ही में उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त लोढा समिति ने कहा कि कोई मंत्री या सेवारत नौकरशाह बीसीसीआई में पदाधिकारी नहीं हो सकता। इसी तरह के प्रावधानों की मांग दूसरे खेलों में भी की जा रही है। गोयल ने कहा, ''मेरी निजी राय यह है कि यदि कोई मंत्री खेल प्रशासन को समय नहीं दे सकता और बाहर रहता है तो यह समझ में आता है लेकिन महासंघ सिर्फ खिलाड़ी नहीं चला सकते। प्रशासन, पीआर और अन्य बातों के लिये विशेषज्ञों की जरूरत होती है। मुझे नहीं लगता कि राजनेताओं को इसमें नहीं होना चाहिये।’’ यह पूछने पर कि क्या खेलों को राजनीति से अलग रखा जा सकता है, उन्होंने कहा, ''सारा पैसा सरकार देती है। यह लोकतांत्रिक सरकार है। यदि कोई सांसद कुछ करता है तो वह जनता के प्रतिनिधि के तौर पर कर रहा है।''