उत्तर प्रदेश विधान परिषद में सपा को लगा बड़ा झटका, संख्या बल कम होने की वजह से गंवाया नेता प्रतिपक्ष का पद

By अंकित सिंह | Jul 08, 2022

लखनऊ। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के बाद समाजवादी पार्टी के लिए सब कुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा है। पहले तो आजमगढ़ और रामपुर में समाजवादी पार्टी को उपचुनाव में करारी शिकस्त झेलनी पड़ी। इसके बाद सहयोगी दल लगातार आंखें दिखा रहे हैं। तो वहीं अब विधान परिषद में भी बड़ा झटका लग गया है। दरअसल, उत्तर प्रदेश विधान परिषद में समाजवादी पार्टी के सदस्यों की संख्या घटकर 10 के नीचे आ गई है। इसका नतीजा यह हुआ है कि समाजवादी पार्टी के हाथ से नेता प्रतिपक्ष का पद भी चला गया है। जानकारी में बताया गया है कि 7 जुलाई को विधान परिषद में सपा के सदस्यों की संख्या 9 रह गई है जो कि 100 सदस्य विधान परिषद की प्रक्रिया तथा कार्य संचालन नियमावली के अनुसार गणपूर्ति की संख्या 10 से कम है। यही कारण है कि सभापति ने मुख्य विरोधी दल सपा के लाल बिहारी यादव को नेता प्रतिपक्ष के तौर पर मिली मान्यता को तत्काल प्रभाव से समाप्त कर दिया है। हालांकि सदन में वे समाजवादी पार्टी के नेता बने रहेंगे।

 

इसे भी पढ़ें: अखिलेश का साथ नहीं छोड़ेंगे राजभर, बोले- 2024 के चुनावों में रहूंगा साथ, योगी सरकार ने नफरत फैलाने का किया काम


उत्तर प्रदेश विधानपरिषद के प्रमुख सचिव राजेश सिंह द्वारा जारी एक बयान के मुताबिक कि 27 मई को विधान परिषद में सपा 11 सदस्यों के साथ सबसे बड़ी पार्टी थी और साथ ही गणपूर्ति (कोरम)हेतु भी सक्षम थी। इसकी वजह से पार्टी के सदस्य लाल बिहारी यादव को नेता प्रतिपक्ष के तौर पर मान्यता प्रदान की गई थी। विधान परिषद में सपा के नेता लाल बिहारी यादव ने सभापति के फैसले पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि विधान परिषद के सभापति द्वारा नेता प्रतिपक्ष की मान्यता समाप्त करना गैर कानूनी, नियमों के विपरीत और असंवैधानिक है। यहां जारी एक बयान में यादव ने नियमों का हवाला देते हुए सभापति के फैसले को गलत ठहराते हुए कहा कि नेता प्रतिपक्ष सदन में संपूर्ण विपक्ष का नेता होता है। समाजवादी पार्टी बड़ी पार्टी है; लेकिन नियमों का गलत हवाला देकर नेता प्रतिपक्ष की मान्यता समाप्त करना लोकतंत्र को कमजोर एवं कलंकित करने वाला कदम है। 

 

इसे भी पढ़ें: अखिलेश यादव की ओर से ‘तलाक’ मिलने का इंतजार है, सपा से बढ़ती तल्खी पर बोले सुभासपा प्रमुख राजभर


इस बारे में विधान परिषद के पूर्व नेता प्रतिपक्ष और सपा नेता संजय लाठर ने कहा कि सदन में सबसे बड़ी पार्टी के नेता को नेता प्रतिपक्ष बनाया जाता है, चूंकि समाजवादी पार्टी सबसे बड़ी पार्टी हैं; इसलिए उसे नेता प्रतिपक्ष का पद दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी इस मामले पर अदालत का दरवाजा खटखटायेगी। उल्लेखनीय है कि बृहस्पतिवार को विधान परिषद के 12 सदस्यों का कार्यकाल पूरा हो गया। इसके साथ ही नेता प्रतिपक्ष का पद भी समाप्त कर दिया गया। विधान परिषद के विशेष सचिव ने बृहस्पतिवार को इस संबंध में आदेश जारी कर दिया है। कार्यकाल पूरा करने वाले सदस्यों में जगजीवन प्रसाद, बलराम यादव, डॉ. कमलेश कुमार पाठक, रणविजय सिंह, राम सुंदर दास निषाद, शतरुद्र प्रकाश, अतर सिंह राव, दिनेश चंद्रा, सुरेश कुमार कश्यप और दीपक सिंह शामिल हैं। इनका स्थान सात जुलाई से रिक्त घोषित कर दिया गया है। विधान परिषद के कुल 12 सदस्यों का कार्यकाल खत्म हो गया है।

प्रमुख खबरें

Health Tips: होम वर्कआउट के दौरान नहीं होगी इंजरी, बस इन टिप्स का रखें ध्यान

Ice Cube Tray को इन अमेजिंग तरीकों से भी किया जा सकता है इस्तेमाल

Lala Lajpat Rai Death Anniversary: लाला लाजपत राय पर हुई लाठीचार्ज से हिल गया था पूरा देश, जानिए महान क्रांतिकारी से जुड़ी खास बातें

ठाणे में उद्धव की रैली में मंच हिला, सहयोगी उन्हें सुरक्षित जगह ले गए