लखनऊ। समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव मुस्लिम वोटों के बंटवारे को रोकने के लिए भले ही ओवैसी से सियासी दूरी बनाकर चल रहे हैं लेकिन असद्उद्दीन ओवैसी ने सपा प्रमुख के इंकार के बाद भी उसके सहारे सत्ता की सीढ़ियां चढ़ने का सपना नहीं छोड़ा है। दरअसल, ओवैसी भले ही अपने आप को मुस्लिमों का रहनुमा मानते हो और इसके सहारे उन्होंने बिहार में कुछ विधान सभा की सीटें भी जीत ली हैं, लेकिन उत्तर प्रदेश में हालात दूसरे हैं, यहां मुसलमान सपा को ही अपना सबसे बड़ा रहनुमा मानती है। सपा ने यह वोट बैंक कांग्रेस से हासिल किया था।कभी मुसलमान कांग्रेस का वोट बैंक हुआ करता था,लेकिन अयोध्या में विवादित ढांचा गिरने के बाद जिसे मुसलमान बाबरी मस्जिद मानते थे मुसलमानों ने कांग्रेस से दूरी बना ली थी। क्योंकि उन्हें लगता है कि तत्कालीन कांग्रेस की सरकार ने जानबूझकर विवाद बाबरी मस्जिद को शहीद कराया था। बहरहाल मुद्दे पर आया जाए तो ओवैसी ने सपा प्रमुख पर दबाव बनाने के लिए अब नया दांव चला है और कहा है कि यदि समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव डिप्टी सीएम किसी मुसलमान को बनाने को तैयार हो जाएं तो उनकी पार्टी सपा से समझौता कर सकती है। ऐसा कहकर ओवैसी दोनों हाथों में लड्डू रखना चाहते हैं। आधार पर समझौता हो गया तो ठीक, नहीं हुआ तो वह चुनावी रैलियों में ढिंढोरा पीटेंगे कि सपा प्रमुख किसी मुसलमान को सीएम क्या डिप्टी सीएम भी बनता हुआ नहीं देखना चाहते हैं। इससे ओवैसी को उम्मीद है वह मुस्लिम वोटों में बंटवारा करने में सफल हो जाएंगे। ओवैसी के नेतृत्व वाली ऑल इण्डिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-ए-मुस्लमीन (एआईएमआईएम) ने शर्त रखी है कि अगर समाजवादी पार्टी यूपी में गैर भाजपा सरकार बनने पर भागीदारी मोर्चे के किसी वरिष्ठ मुस्लिम एमएलए को उप मुख्यमंत्री बनाने को तैयार हो तो उनकी पार्टी और मोर्चे का सपा से गठबंधन हो सकता है।
पार्टी के उत्तर प्रदेश अध्यक्ष शौकत अली ने कहा कि भागीदारी संकल्प मोर्चा, समाजवादी पार्टी के साथ मिलकर चुनाव लड़ने को तैयार है।मगर इसमें शर्त यह रहेगी कि सरकार बनने पर उप मुख्यमंत्री मोर्चे के किसी वरिष्ठ मुस्लिम विधायक को बनाया जाए। बताते चले वैसे ओवैसी अपनी पार्टी को उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में ताकत प्रदान करने के लिए अगस्त से यूपी का दौरा करने वाले हैं। विधान सभा चुनाव के मद्देनजर ओवैसी अभी कुछ ही दिन पहले मुरादाबाद व आसपस के इलाकों में पार्टी के कार्यकर्ताओं से मिले थे और संगठन को मजबूत करते हुए कार्यकर्ताओं को सक्रिय करने की रणनीति पर विचार किया था।अगस्त की शुरूआत के अपने इस दौरे में ओवैसी प्रयागराज, फतेहपुर, कौशाम्बी और आसपास के अन्य जिलों में कार्यकर्ताओं से मिलेंगे। इसके अलावा इसी दौरान वह बुद्धिजीवियों के अलग-अलग समूहों से भी मिलेंगे। इनमें खासतौर पर मुस्लिम, दलित, व पिछड़े वर्ग के वकील, अधिकारी, डाक्टर,इंजीनियर आदि प्रेाफेशनल भी शामिल रहेंगे। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष शौकत अली ने कहा कि यूपी में संगठनात्मक ढांचा खड़ा हो गया है। सभी 75 जिलों में जिला अध्यक्ष बना दिये गये हैं, जिला इकाईयां भी गठित हो चुकी हैं। पार्टी यूपी के इस बार के विधान सभा चुनाव में सौ सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े करने का एलान पहले ही कर चुकी है। बातचीत में शौकत अली ने कहा कि हम तो चाहते हैं कि इस बार यूपी में अगर भाजपा को रोकना है तो सपा-बसपा के साथ हमारा भागीदारी संकल्प मोर्चा मिलकर लड़ें। इससे मुसलमानों का बीस प्रतिशत वोट बिखरने से बच जाएगा। मोर्चे के संयोजक ओम प्रकाश राजभर पहले ही कह चुके हैं कि अगर उनके मोर्चे की सरकार बनती है तो प्रदेश में हर साल नया मुख्यमंत्री होगा यानि पांच साल के कार्यकाल में प्रदेश में पांच मुख्यमंत्री होंगे।
एक अन्य प्रश्न के उत्तर में एकआईएमआईएम के प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि कांग्रेस के साथ उनकी पार्टी या मोर्चे का कोई गठबंधन नहीं होगा क्योंकि कांग्रेस डूबता हुआ जहाज है जो भी इस जहाज पर सवार होता है वह खुद भी डूब जाता है। रही बात आम आदमी पार्टी की तो उसका यूपी में कोई जनाधार नहीं है। बहराल, राजनीति के जानकारों का कहना है की समाजवादी पार्टी, ओवैसी के साथ समझौता करके अपने पैरों पर कभी कुल्हाड़ी नहीं मारेगी।अगर एक बार ओवैसी ने यूपी में पैर जमा लिए तो फिर समाजवादी पार्टी का अस्तित्व ही खतरे में आ जाएगा। उधर बसपा प्रमुख मायावती भी मुसलमानों को रिझाने में लगी हैं वह दलितों ब्राह्मणों और मुसलमानों को मिलाकर एक बड़ा वोट बैंक तैयार करना चाहती हैं।