रायसेन दुर्ग विंध्याचल पर्वत श्रृंखला से हटे हुए एक दुर्गम पर्वत श्रृंग की उच्चतम भुजा पर समुद्रतल से 594 मीटर की ऊॅचाई पर स्थित है। दुर्ग के चारों ओर बड़ी-बड़ी चट्टानी दीवारें और उन चट्टानों पर ऊपर स्थित दुर्ग की पॉच किलोमीटर से अधिक व्यास की चारहर दीवारी इस दुर्ग को अजेय बनाती थी। दुर्ग अपनी विशाल चाहर दीवारी के अंदर लगभग 10 किलोमीटर वर्ग क्षेत्रफल में फैला है। किले के शिव मंदिर में स्थापित कार्तिकेय, गणेश व नंदा की मूर्तियों का स्थापत्य भी इसकी प्राचीनता इंगित करता है। पहाड़ी पर स्थित इस किले तक पहुंचने के लिए तीन मार्ग हैं। पूरा किला पत्थर की उंची दो दीवारों से घिरा है। सुरक्षा की दृष्टि से इन दीवारों पर 13 चैकियां स्थापित है। दीवार के अंदर पूरा किला मुख्यतः 8 भागों में विभक्त है। बारादरी, कचहरी, धोबी महल तथा बादल महल मुख्य हैं। यहॉं पर आकर्षक स्थापत्य कला का नमूना इत्रदान है जिसमें 10 द्वार है।