By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Jun 14, 2019
नयी दिल्ली। भारतीय बाजारों में मलेशियाई पामतेल की बहुतायत पर चिंता जताते हुए खाद्य तेल व्यापार संस्था सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ज्ञापन दिया है। एसईए ने प्रधानमंत्री से घरेलू तिलहन किसानों की सुरक्षा के लिए दक्षिण-पूर्व एशियाई देश से खरीदे जाने वाले पामतेल पर आयात शुल्क में बढ़ोतरी करने का आग्रह किया है। जनवरी में भारत ने वित्त वर्ष 2010-11 में मलेशिया के साथ हस्ताक्षरित एक व्यापक आर्थिक सहयोग समझौते (सीईसीए) के तहत वहां से रिफाइंड पामतेल पर आयात शुल्क को 54 प्रतिशत से घटाकर 45 प्रतिशत कर दिया था।
भारत दुनिया का प्रमुख वनस्पति तेल खरीदार देश है और यहां तेल के कुल आयात में पामतेल का हिस्सा 60 प्रतिशत से अधिक का है। एसईए ने प्रधानमंत्री को दिए ज्ञापन में कहा है कि भारत-मलेशिया सीईसीए संधि के परिणामस्वरूप रिफाइंड पामतेल के आयात में भारी वृद्धि हुई है। ज्ञापन में कहा गया है कि हम सरकार से अपील करते हैं कि वह मलेशिया के साथ सीईसीए समझौते को तत्काल प्रभाव से निरस्त करे तथा घरेलू रिफाइनर और तिलहन किसानों को बचाने के लिए (आरबीडी) पामोलीन (रिफाइंड पामतेल) पर अधिक शुल्क लागू करे।
एसईए के अनुसार, रिफाइंड, प्रक्षालित और सुगंधितरहित (आरबीडी) पामोलिन तेल आयात, दिसंबर 2018 के 1,30,000 टन से बढ़कर मई 2019 में 3,71,060 टन हो गया है, जो मई 2013 के बाद किसी भी महीने में सबसे अधिक आयात का आंकड़ा है। इस साल मई में कुल पामतेल का आयात 8,18,149 टन का हुआ था, जबकि इसी अवधि में सॉफ्ट तेल का आयात 3,62,637 टन का हुआ था।
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एसईए के आंकड़े दर्शाते हैं कि इस साल मई में कुल वनस्पति तेल (पाम और सॉफ्टतेल दोनों) का आयात घटकर 12,21,989 टन रह गया, जो पिछले साल के इसी महीने में 12,86,240 टन का हुआ था। भारत मुख्यत: इंडोनेशिया और मलेशिया से पामतेल का आयात करता है तथा लातिनी अमेरिका से सोयाबीन तेल सहित सॉफ्टतेल का थोड़ी मात्रा में आयात करता है। भारत में सूरजमुखी तेल का आयात यूक्रेन और रूस से किया जाता है।