विदेशियों के कई सर्वे अक्सर मुझे हिलाकर, शरीर और दिमाग में घबराहट भर देते हैं। इस बार फिर ऐसा हुआ है। सींगपुर प्रबंधन विश्वविद्यालय ने तीखे सींग जैसा सर्वे किया है। सर्वे के अनुसार बार बार स्मार्टफोन चैक करने से दैनिक जीवन में आने वाली छोटी छोटी समस्याएं समझ नहीं आती और समाधान करने की क्षमता घटती है। समस्या सुलझाने की समझ कमज़ोर हो जाती है। उनकी तुलना में हमारे सर्वे क्या शानदार होते हैं। किसी भी सर्वे में छोटी समस्याओं बारे कोई नहीं पूछता। हम तो भूखी, प्यासी, बेरोजगारी की मारी, मोटी समस्याओं बारे भी सवाल नहीं करते।
हमारे यहां तो बाज़ार, सड़क या भीड़ भरे रास्तों पर चलते हुए, यूटयूब पीते, फेस बुक पर लाइक्स और कमेंट्स गिनते, वह्त्सेप पर मैसेज चखते हुए आत्मविश्वास बढ़ता है। ज्ञान भंडार बिलकुल अपडेट रहता है। सामने से आ रहे इंसान या जानवर से टकराने, कहीं भी ठोकर खाकर गिरने और संभलने की शक्ति मजबूत होती है। मानवीय शरीर की क्यारियों में उन्मुक्त ताजगी की फसल उगी रहती है। सींगपुर के शोध के अनुसार छोटी छोटी समस्याओं से ध्यान भटकाने के लिए फोन उठा लेते हैं। बड़ी समस्याओं ने वैसे भी आम आदमी ने क्या लेना होता है। उसके लिए तो रोटी कपडा और मकान के पंगे ही बहुत हैं। सींगनगर वाले कहते हैं कि बोरियत मिटाने या टाइम पास करने के लिए बार बार फोन चैक करते हैं। हमारे यहां तो इससे बहुत ज्यादा मनोरंजन होता है तभी तो देश में करोड़ों अभिनेता, गायक व नर्तक हैं। हम तो फोन पर मनपसंद हरकतें करते हैं। जाति, क्षेत्र, धर्म, संप्रदाय से जुड़े अनेक सामाजिक, राजनीतिक विषय हैं जिन पर फोन चर्चा होती है। यह चर्चाएं आपस में झगड़ने, पीटने, पिटने, लड़ने, मरने के लिए दिन रात प्रेरित करती हैं। बोरियत बेचारी कहां इनके बीच में फंसेगी।
दिलचस्प यह है कि सींग वालों ने केवल एक सौ इकासी लोगों पर सर्वे किया। हमारे यहाँ यह सर्वे अगर एक करोड़ इकासी हज़ार लोगों पर किया जाता तो उनके ऐसे जवाब बिलकुल न होते लेकिन उनकी बात की परवाह कोई न करता। उनके शोध ने यह भी याद दिलाया कि फोन बार बार देखने से भूलने की बीमारी हो जाती है लेकिन हमारे यहां तो बार बार फोन देखने से सब कुछ याद रहने लगता है। सींग वालों ने यह भी इंगित किया कि स्मार्टफोन के ज़्यादा प्रयोग से आंखों की रोशनी भी कम हो रही है लेकिन हमारे यहां तो ज्ञान का प्रकाश बढ़ रहा है। स्मार्टफोन दिया जाए तो बचपन खुश, सुखी रहता है। आंखों का क्या है मेहनती, कर्मठ डॉक्टर उपलब्ध हैं। स्मार्टफोन की लत के कारण कई व्यवसाय भी तो स्मार्टली बढ़ते हैं। नए स्टार्टअप लगाने व नया सामान बनाने की प्रेरणा मिलती है। चश्मों की दुनिया नए अवसर देखती है, चश्मों के नए डिज़ाइन बनते हैं। सामाजिक संस्थाएं चश्मे मुफ्त दे सकती हैं। बैंकों को नए ऋणी मिलते हैं।
सींग वाले शोध के अनुसार बार बार स्मार्टफोन देखने पर शब्द भूल जाते हैं। हमारे यहां तो चुस्ती फुर्ती के साथ नए जानलेवा, खूंखार शब्द पैदा हो जाते हैं और मुंह, हाथों और टांगों से बाहर निकलने के लिए छटपटाते रहते हैं। हमारे यहां स्मार्ट फोन प्रयोग करने वाले को भूख नहीं लगती। लाखों लोगों के पास एक नहीं दो दो फोन हैं। सुना है अब ऐसा स्मार्टफोन आने वाला है जिसे चाटने के बाद इच्छाएं इंसान के वश में आ जाएंगी जोकि सिर्फ एक बार मिलने वाली ज़िंदगी के लिए गलत होगा। स्मार्ट लोगों की मांग है, सींग की तरह चुभने वाले ऐसे अध्ययनों पर रोक लगनी चाहिए। अधिक लोग ऐसे शोध को पढने और समझने लगेंगे तो सुनिश्चित है स्मार्ट फोन की बिक्री घट सकती है। कम्पनियों की व्यवसायिक परेशानियां बढ़ सकती हैं। लोग फिर से पत्र लिखना शुरू कर सकते हैं जिससे डाकघर वालों का काम बढ़ जाएगा। मौजूदा ज़िंदगी की बुनियादी, महत्त्वपूर्ण, ज़रूरी व अति स्वादिष्ट चीज़ यानी स्मार्टफोन बारे किसी भी तरह के अनुचित सर्वे करने, अपशब्द सोचने, लिखने और बोलने पर अविलम्ब अंतर्राष्ट्रीय रोक लगनी चाहिए।
- संतोष उत्सुक