By Ananya Mishra | Sep 18, 2024
जम्मू कश्मीर के विधानसभा चुनाव की तारीख जैसे-जैसे नजदीक आ रही है, वैसे-वैसे सभी दलों ने अपनी तैयारियां तेज कर दी हैं। राज्य में लंबे समय बाद चुनाव हो रहे हैं। राज्य में जहां बड़ी पार्टियां जी-जान से जुटी हैं, तो वहीं सूबे की कुछ ऐसी छोटी पार्टियां भी हैं, जो किंगमेकर की भूमिका निभा सकती हैं और बड़ी पार्टियों का खेल भी बिगाड़ सकती हैं। इन छोटी पार्टियों में अपनी पार्टी, पीसी, डीपीएपी और अवामी इत्तेहाद पार्टी शामिल है।
पीपुल्स कॉन्फ्रेंस (पीसी)
पांच दशक पहले स्थापित पीपुल्स कॉन्फ्रेंस को अब्दुल गनी लोन द्वारा स्थापित किया गया। वहीं अब इस पार्टी का नेतृत्व अब्दुल गनी लोन के बेटे और पूर्व मंत्री सज्जाद लोन कर रहे हैं। सूबे में उग्रवाद के दौरान पीसी ने चुनाव नहीं लड़ा और अपना चुनाव चिन्ह भी खो दिया था। लेकिन साल 2014 के विधानसभा चुनाव के दौरान सज्जाद लोन हंदवाड़ा से निर्वाचित हुए। फिर पार्टी ने कुपवाड़ा से भी जीत हासिल की और पीडीपी-बीजेपी से हाथ मिला लिया। वह सरकार गिरने तक लोन कैबिनेट मंत्री बने रहे। इस बार वह वह 22 सीटों पर चुनाव लड़ रही है।
अपनी पार्टी
पूर्व मंत्री अल्ताफ बुखारी ने आर्टिकल 370 को निरस्त करने के फौरन बाद अपनी पार्टी का गठन किया। वह पीएम मोदी और गृहमंत्री अमित शाह से मिलने के लिए प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करने वाले सूबे के पहले राजनेता थे। अपनी पार्टी के लिए विधानसभा चुनाव पहली बड़ी राजनीतिक परीक्षा होने जा रही है। यह पार्टी 60 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। साल 2024 के लोकसभा चुनाव में दौरान अपनी पार्टी को झटका लगा था। अपनी पार्टी के दोनों उम्मीदवारों ने श्रीनगर और अनंतनाग-राजौरी लोकसभा सीटों पर अपनी जमानत खो दी थी।
डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी (डीपीएपी)
साल 2022 में जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद ने डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी की स्थापना की थी। यह सूबे के राजनीतिक परिदृश्य में नई पार्टी है। आजाद ने कांग्रेस से करीब 5 दशक लंबे जुड़ाव को खत्म कर डीपीएपी की स्थापना की थी। आजाद अपनी पार्टी को एनसी और पीडीपी जैसी क्षेत्रीय ताकतों के लिए एक ऑप्शन के तौर पर पेश करना चाहते थे। हालांकि वह पहले राजनीतिक परीक्षण में विफल हो गए और साल 2024 के लोकसभा चुनाव में इस पार्टी के सभी तीन उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई थी।
अवामी इत्तेहाद पार्टी
बता दें कि साल 2012 में बारमूला सांसद इंजीनियर राशिद ने अवामी इत्तेहाद पार्टी की स्थापना की थी। साल 2009 और 2014 में लैंगेट से निर्दलीय के रूप में उत्तरी कश्मीर के फायरब्रांड नेता जम्मू-कश्मीर विधानसभा के लिए चुने गए। साल 2019 में उन्होंने पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ा था और करीब 1 लाख से ज्यादा वोट हासिल किए थे। इसके बाद आश्चर्य यह रहा कि साल 2024 के लोकसभा चुनाव में तिहाड़ जेल में रहते हुए राशिद ने बारामूला में एनसी उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला और पीसी अध्यक्ष सज्जाद लोन को बड़े अंतर से हराया था। फिर जेल से अंतरिम जमानत पर रिहाई के बाद अब वह पूरे कश्मीर में प्रचार कर रहे हैं, उनका युवाओं में खासा प्रभाव देखने को मिलता है।