हाथरस हादसे पर SIT ने CM Yogi को सौंपी जांच रिपोर्ट, 100 से अधिक के बयान दर्ज, पॉलिटिकल लिंक का भी जिक्र

By अंकित सिंह | Jul 05, 2024

हाथरस भगदड़ की जांच के लिए गठित एसआईटी ने उस त्रासदी पर अपनी रिपोर्ट सौंप दी है, जिसमें इस सप्ताह की शुरुआत में कम से कम 123 लोगों की जान चली गई थी। यह भगदड़ मंगलवार को धार्मिक उपदेशक नारायण साकार हरि, जिन्हें 'भोले बाबा' के नाम से भी जाना जाता है, के 'सत्संग' के दौरान हुई। यूपी के डीजीपी प्रशांत कुमार और मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने शुक्रवार सुबह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को उनके सरकारी आवास 5, कालिदास मार्ग पर 15 पन्नों की रिपोर्ट सौंपी।

 

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सीएम योगी आदित्यनाथ ने एसआईटी को 24 घंटे के अंदर रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए थे। यह एसआईटी रिपोर्ट एडीजी आगरा अनुपम कुलश्रेष्ठ और अलीगढ़ कमिश्नर चैत्रा वी के तहत तैयार की गई थी। 15 पन्नों की विस्तृत रिपोर्ट में डीएम और एसपी समेत करीब 100 लोगों के बयान दर्ज किए गए हैं। एसआईटी के सदस्यों ने भगदड़ का कारण जानने के लिए प्रशासनिक अधिकारियों, कार्यक्रम से जुड़े लोगों और सेवादारों से बात की।


सीएम योगी आदित्यनाथ ने डीजीपी प्रशांत कुमार से हाथरस मामले पर पूरी जानकारी ली। सूत्रों के मुताबिक, रिपोर्ट में कुछ ऐसे राजनीतिक नेताओं के नाम का जिक्र है जिनके चुनाव में 'भोले बाबा' ने अहम भूमिका निभाई थी। इसके अलावा 'भोले बाबा' के अन्य लिंक्स का भी जिक्र किया गया है। सूत्रों ने बताया कि रिपोर्ट राजनीतिक साजिश की ओर इशारा करती है। सभा में लोगों की संख्या का अनुमान नहीं लगा पाने को लेकर कुछ स्थानीय नेताओं, सेवादारों, कार्यक्रम के आयोजकों और वहां तैनात अन्य अधिकारियों की भूमिका पर भी सवाल उठाए गए हैं।

 

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इससे पहले बुधवार को सीएम योगी आदित्यनाथ ने हाथरस का दौरा किया था. उन्होंने घटना में घायल हुए लोगों और उन लोगों से मुलाकात की जिनके प्रियजनों की जान चली गई। पत्रकारों से बात करते हुए सीएम योगी ने कहा कि जब सत्संग में हालात बिगड़े तो भोले बाबा के सेवक वहां से भाग गए। सीएम योगी आदित्यनाथ ने भी हाथरस घटना की न्यायिक जांच के आदेश दिए थे. इससे पहले एसडीएम की रिपोर्ट में दावा किया गया था कि भोले बाबा के सत्संग में सिर्फ 80 हजार लोगों के शामिल होने की इजाजत मांगी गई थी, लेकिन कार्यक्रम में 2.5 लाख से ज्यादा लोग शामिल हुए. वहीं, पूरे घटनाक्रम को सेवादारों ने संभाला और कथित तौर पर पुलिसकर्मियों को इलाके से हटा दिया गया। 

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