सिद्धू को नहीं भायी जेल की दाल-रोटी, जानें सलाखों के पीछे कैसे बीती कांग्रेस नेता की पहली रात

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By अंकित सिंह | May 21, 2022

सिद्धू को नहीं भायी जेल की दाल-रोटी, जानें सलाखों के पीछे कैसे बीती कांग्रेस नेता की पहली रात

रोडवेज के मामले में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता नवजोत सिंह सिद्धू फिलहाल पटियाला जेल में बंद हैं। सुप्रीम कोर्ट ने नवजोत सिंह सिद्धू को 1 साल की सश्रम सजा सुनाई है। सबसे बड़ा सवाल यही है कि आखिर नवजोत सिंह सिद्धू की पहली रात जेल में कैसे बीती है। जानकारी के मुताबिक नवजोत सिंह सिद्धू ने रात में डिनर नहीं किया है। हालांकि उन्होंने अपनी दवाई को टाइम पर खाया। इसके साथ एक पटियाला सेंट्रल जेल के एक अधिकारी ने यह भी बताया कि वे जेल स्टाफ के साथ पूरी तरह से सहयोग कर रहे हैं। अधिकारी की ओर से यह भी साफ कर दिया गया है कि नवजोत सिंह सिद्धू को जेल में कोई वीआईपी ट्रीटमेंट या विशेष भोजन नहीं मिलेगा। अगर सिद्धू को डॉक्टरों की सलाह पर कुछ विशेष डाइट लेने की जरूरत हुई तो वह कैंटीन से खरीद कर खा सकते हैं या फिर वह खुद जेल में अपना भोजन पका सकते हैं। नवजोत सिंह सिद्धू को सश्रम की कारावास सुनाई गई है। ऐसे में अपने कैद की सजा के दौरान सिद्ध हो हर दिन 40 से 60 रुपये तक की कमाई भी कर सकते हैं। 


किया था आत्मसमर्पण

आपको बता दें कि सिद्धू ने 1988 के ‘रोड रेज’ मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा एक साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाए जाने के एक दिन बाद स्थानीय अदालत में आत्मसमर्पण कर दिया था। सिद्धू (58) ने शाम चार बजे के बाद आत्मसमर्पण कर दिया और वहां से उन्हें अनिवार्य चिकित्सकीय जांच के लिए माता कौशल्या अस्पताल ले जाया गया था। चिकित्सा जांच के बाद उन्हें पटियाला केंद्रीय जेल भेज दिया गया। सिद्धू ने नीले रंग का ‘पठानी सूट’ पहना हुआ था। शुक्रवार की सुबह कुछ समर्थक सिद्धू के आवास पर पहुंचे। आत्मसमर्पण के लिए कुछ मोहलत की मांग को लेकर उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाए जाने के तुरंत बाद सिद्धू ने आत्मसमर्पण कर दिया था। आपको बता दें कि शिरोमणि अकाली दल के नेता बिक्रम सिंह मजीठिया ड्रग मामले में इसी जेल में बंद हैं। हालांकि, उनकी बैरक अलग है।   


सुप्रीम कोर्ट ने सुनाई थी सजा

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने बृहस्पतिवार को 34 साल पुराने ‘रोड रेज’ मामले में सिद्धू को एक साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई थी और कहा था कि अपर्याप्त सजा देकर किसी भी तरह की ‘‘अनुचित सहानुभूति’’ से न्याय प्रणाली को अधिक नुकसान होगा तथा इससे कानून पर जनता का भरोसा कम होगा। ‘रोड रेज’ की घटना में 65 वर्षीय बुजुर्ग गुरनाम सिंह की मौत हो गई थी। न्यायालय के फैसले के बाद जब पत्रकारों ने सिद्धू से इस पर प्रतिक्रिया मांगी थी तो उन्होंने कोई भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया था। यद्यपि शीर्ष अदालत ने मई 2018 में सिद्धू को ‘जान-बूझकर चोट पहुंचाने’ के अपराध का दोषी माना था, लेकिन जेल की सजा देने के बजाय केवल एक हजार रुपये का जुर्माना लगाकर छोड़ दिया था। न्यायमूर्ति ए. एम. खानविलकर और न्यायमूर्ति संजय किशन कौल ने गुरनाम सिंह के परिवार की पुनर्विचार याचिका बृहस्पतिवार को स्वीकार कर ली थी और सिद्धू को एक साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई थी। 

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