By अनन्या मिश्रा | May 09, 2023
कर्नाटक में विधानसभा चुनाव के प्रचार-प्रसार का सोमवार से शांत हो गया है। बुधवार यानी की 10 मई को राज्य में मतदान होने हैं। ऐसे में राज्य में यह चुनाव भविष्य के राजनीतिक नेतृत्व के लिए निर्णायक साबित हो रहे हैं। राज्य में कद्दावर नेता या तो रिटायरमेंट ले चुके हैं या फिर वह अपनी सीट को बचाए रखने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। ऐसे नेताओं में एचडी कुमारस्वामी, जगदीश शेट्टार, पूर्व सीएम सिद्धारमैया, वर्तमान सीएम बसवराज बोम्मई, डॉ जी परमेश्वर, लक्ष्मण सावदी, डीएन जीवराज, पूर्व स्पीकर केजी बोपैया और प्रिंयाक खरगे आदि शामिल हैं।
दिग्गजों के खिलाफ उतरे मजबूत कैंडिडेट
विधानसभा चुनाव से पहली इस बात पर चर्चा जोरों पर थी कि राज्य में बड़े नेताओं को आसानी से जीत मिल जाएगी। क्योंकि प्रतिद्वंद्वी दल बड़े नेताओं के खिलाफ कमजोर प्रत्याशी उतारेंगे। लेकिन अब बराबरी के उम्मीदवारों के चुनावी मैदान में उतरने से अधिकतर बड़े व कद्दावर नेताओं को कड़े मुकाबले का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे ही नेताओं की लिस्ट में डीके शिवकुमार का नाम भी शामिल है। बता दें कि शिवकुमार अपनी ही सीट पर उलझकर रह गए हैं। पार्टी के स्टार प्रचारक होने के बाद और पर्चा भरने के बाद वह प्रचार के लिए कहीं और नहीं जा पाए।
सिद्धारमैया ने साधा जातीय गणित
सिद्धारमैया को वरुणा सीट पर अहिंदा (अल्पसंख्यक, पिछड़े वर्ग और दलित) के दम पर अब तक चुनाव जीतने में कोई खास दिक्कतों का सामना नहीं करना पड़ा। लेकिन इस बार चुनाव में बीजेपी ने सिद्धारमैया के खिलाफ लिंगायत नेता मंत्री वी सोमन्ना को चुनावी मैदान में उतारा है। वहीं सिद्धारमैया और बीजेपी नेता सोमन्ना की मुश्किलों को बढ़ाते हुए जेडीएस ने दलित नेता भारती शंकर को टिकट दे दी। ऐसे में अब सिद्धारमैया अपनी सीट बचाने के लिए सोमन्ना और भारती शंकर से संघर्ष कर रहे हैं।
बोम्मई का वोटो का ध्रुवीकरण
बोम्मई ने पहले ही संकेत दिया था कि इस बार वह दूसरी सीट से चुनाव मैदान में उतरेंगे। लेकिन बीजेपी ने उनको शिगगांव से टिकट दिया। बता दें कि यहां से बोम्मई के डर का कारण उनका अपना लिंगायत समुदाय है। दरअसल, लिंगायत समुदाय येदियुरप्पा को रिटायर करने से नाराज है। वहीं अन्य समुदायों में भी नाराजगी देखने को मिल रही है। यही वजह है कि अन्य विपक्षी दल विरोधी वोटों का ध्रुवीकरण करने का प्रयास कर रहे थे।
कुमारस्वामी के लिए भी कम नहीं मुश्किलें
चेन्नापट्टना से कुमारस्वामी खुद मैदान में हैं। वहीं उनके बेटे निखिल रामनगर से चुनाव लड़ रहे हैं। कुमारस्वामी के खिलाफ पूर्व मंत्री सीपी योगेश्वर मैदान में हैं। सीपी योगेश्वर को वोक्कालिगा समुदाय का समर्थन प्राप्त है। हालांकि पिछले चुनावों में कुमारस्वामी ने मुस्लिम वोटों पर अधिक ध्यान नहीं दिया था। लेकिन इस बार कांग्रेस पिछड़े वर्ग के ज्यादातर वोट काटने का काम कर रही है। जो कुमारस्वामी की मुश्किलों को बढ़ा रहा है।
जगदीश शेट्टार ने बीजेपी से ली चुनौती
बीजेपी के पूर्व सीएम जो कि अब कांग्रेस के टिकट से हुबली से चुनावी मैदान में हैं। वर्तमान में शेट्टार के पास करीब 50 हजार कांग्रेसी वोट हैं। इन वोटरों में मुस्लिम, पिछड़े वर्ग और दलित शामिल हैं। वहीं बीजेपी ने इस सीट से लिंगायत समुदाय के नेता को मैदान में उतारा है। इस लिहाज से शेट्टार को बीजेपी के 30 हजार वोट तोड़ने होंगे। वहीं बीजेपी का दामन छोड़ने के बाद कांग्रेस में शामिल हुए शेट्टार को अपनी चुनौती पर भी खरा उतरना होगा।