By अनन्या मिश्रा | Jun 23, 2024
आज ही के दिन यानी की 23 जून को भारतीय जनसंघ के संस्थापक अध्यक्ष श्यामा प्रसाद मुखर्जी का निधन का निधन हो गया था। श्यामा प्रसाद मुखर्जी का आकस्मिक निधन आज भी लोगों को कचोटता है। दरअसल, लोगों का मानना है कि साजिश के तहत मुखर्जी की हत्या की गई थी। वहीं इससे ज्यादा निराशाजनक यह रहा कि उनकी मौत के रहस्य से न तो पर्दा उठा और न ही मौत का असल कारण जानने के लिए समुचित जांच की गई। अपने अंतिम दिनों में श्यामा प्रसाद मुखर्जी को तिल-तिल मरने पर मजबूर कर दिया गया था। आइए जानते हैं उनकी डेथ एनिवर्सरी के मौके पर श्यामा प्रसाद के जीवन से जुड़ी कुछ बातों के बारे में...
जन्म
कोलकाता के एक संभ्रांत बंगाली परिवार में 06 जुलाई 1901 को श्यामा प्रसाद मुखर्जी का जन्म हुआ था। इनके पिता का नाम आशुतोष मुखर्जी था, जोकि राज्य में बतौर शिक्षाविद् कार्य करते थे। पढ़ाई-लिखाई में अच्छे होने के कारण सिर्फ 33 साल की उम्र में श्यामा प्रसाद मुखर्जी कोलकाता यूनिवर्सिटी के कुलपति बन गए। फिर वह कोलकाता विधानसभा पहुंचे और यहीं से उनके राजनीतिक करियर की शुरूआत हुई। लेकिन लगातार वैचारिक मतभेदों के कारण वह अलग होते जा रहे थे।
अनुच्छेद 370 का विरोध
बता दें कि श्यामा प्रसाद मुखर्जी हमेशा अनुच्छेद 370 का विरोध करते रहे। वह चाहते थे कि अन्य दूसरे राज्यों की तरह ही कश्मीर भी भारत के अखंड हिस्से की तरह देखा जाए और कश्मीर में भी समान कानून लागू हो। यही वजह है कि जब पं. नेहरु ने उनको अंतरिम सरकार में मंत्री पद दिया तो उन्होंने कुछ समय बाद ही पद से इस्तीफा दे दिया। मुखर्जी ने कश्मीर मामले को लेकर नेहरू पर तुष्टिकरण का आरोप लगाया था। श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने कहा था कि एक देश में दो विधान, दो निशान और दो प्रधान नहीं चल सकते हैं।
जब कश्मीर गए मुखर्जी
अपने पद से इस्तीफा देने के बाद वह कश्मीर निकल गए। क्योंकि वह चाहते थे कि देश के इस हिस्से में जाने के लिए किसी को इजाजत लेने की आवश्यकता न पड़े। नेहरू की नीतियों के विरोध के समय वह कश्मीर जाकर अपनी बात रखना चाहते थे। लेकिन 11 मई 1953 को श्रीनगर में एंट्री करते ही श्यामा प्रसाद को गिरफ्तार कर लिया गया। इस दौरान वहां पर शेख अब्दुल्ला की सरकार दी। मुखर्जी की गिरफ्तारी के साथ उनके दो सहयोगियों को भी गिरफ्तार कर लिया गया। फिर उनको श्रीनगर के सेंट्रल जेल भेजा गया। इसके बाद श्यामा प्रसाद मुखर्जी को शहर के बाहर एक कॉटेज में ट्रांसफर कर दिया गया।
बिगड़ती गई सेहत
एक महीने से ज्यादा समय के लिए कैद में रखे जाने के दौरान श्यामा प्रसाद मुखर्जी की लगातार सेहत गिरने लगी। इस दौरान उनको बुखार और पीठ दर्द की समस्या होने लगीं। वहीं 19 और 20 जून की रात मुखर्जी के प्लूराइटिस होना पाया गया, जोकि उनको साल 1937 और 1944 में भी हो चुका था। इसके लिए उनको स्ट्रेप्टोमाइसिन का इंजेक्शन दिया था। लेकिन उनके फैमिली डॉक्टर का कहना था कि वह दवाइयां मुखर्जी को सूट नहीं करती थीं।
हार्ट अटैक से हुई मौत
बता दें कि 22 जून को श्यामा प्रसाद मुखर्जी को सांस लेने में तकलीफ महसूस होने लगी। वहीं जब उनको हॉस्पिटल में एडमिट कराया गया तो इसकी वजह हार्ट अटैक होना पाया गया। वहीं अगले दिन यानी की 23 जून 1953 को हार्ट अटैक के कारण श्यामा प्रसाद मुखर्जी की मौत हो गई।