बिहार में चुनावी हलचल तेज हो गई है। इस हलचल के दौरान नेताओं का पाला बदलना भी लगातार जारी है। एक ओर जहां आरजेडी ने अपने तीन विधायकों को पार्टी के खिलाफ गतिविधियों में शामिल होने के आरोप में निष्कासित कर दिया तो वहीं नीतीश सरकार में मंत्री रहे श्याम रजक ने जदयू का दामन छोड़ आरजेडी में शामिल हो गए हैं। आने वाले दिनों में नेताओं का दल बदलना लगातार जारी रह सकता है। नीतीश कुमार के कैबिनेट में बतौर उद्योग मंत्री शामिल श्याम रजक पिछले कुछ दिनों से नाराज बताए जा रहे थे। यह माना जा रहा था कि वह अपने पुराने पार्टी राजद से संपर्क में है। जनता दल यू ने उन्हें मनाने की भी कोशिश की लेकिन यह नहीं हो पाया। यह माना जा रहा था कि श्याम रजक सोमवार को मंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद विधायक पद से इस्तीफा दे देंगे। लेकिन इससे पहले ही जनता दल यू ने उन्हें पार्टी से निलंबित कर दिया और साथ ही साथ नीतीश कुमार ने भी अपने मंत्रिमंडल से भी उन्हें निष्कासित कर दिया।
एक वक्त था जब श्याम रजक आरजेडी के कद्दावर नेताओं में से एक थे। पटना में आरजेडी के राम और श्याम हुआ करते थे। राम यानी कि रामकृपाल यादव और श्याम यानी कि श्याम रजक। इन दोनों को लालू यादव का बेहद ही करीबी माना जाता था। श्याम रजक राबड़ी देवी के कैबिनेट में मंत्री भी रहे हैं। वह 1995 से फुलवारी शरीफ सीट का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। माना जा रहा है कि श्याम रजक काफी दिनों से नाराज चल रहे थे। वह पार्टी में दलित समुदाय के मुद्दे पर जिस तरीके से चर्चाएं हो रही थी, उससे खुश नहीं थे। वहीं, दूसरी ओर जदयू के नंबर दो आरसीपी सिंह से उनकी नहीं बन रही थी। माना जा रहा है कि आरसीपी सिंह ने अरुण मांझी को फुलवारीशरीफ सीट से चुनाव लड़ने के लिए हरी झंडी दे दी है जिसके बाद श्याम रजक नाराज हो गए थे।
श्याम रजक 2009 में जनता दल यू में शामिल हुए थे लेकिन उपचुनाव में उनको हार का सामना करना पड़ा। 2010 में विधायक बनने के बाद उन्हें मंत्री बनाया गया। 2017 में श्याम रजक का एक वीडियो वायरल हुआ था जिसके बाद से उन्हें पार्टी में दरकिनार किया जाने लगा। श्याम रजक ने कहा था कि लालू प्रसाद यादव को अपने परिवार की और नीतीश कुमार को अपनी कुर्सी की फिक्र है। लेकिन इतना तय है कि इस चुनाव में जनता दल यू श्याम रजक को दरकिनार करने की पूरी रणनीति बना चुकी थी। श्याम रजक महादलित कैटेगरी से आते हैं। फुलवारीशरीफ सीट पर रजक समाज का अच्छा खासा वोट प्रतिशत है। इसके अलावा यहां मुस्लिमों की भी अच्छी खासी आबादी है। यहां की राजनीति DM यानी कि दलित और मुस्लिम समाज पर टिकी हुई है और यही यहां वोट बैंक हैं। अब देखना होगा जब श्याम रजक अपने पुराने पार्टी में लौट आए हैं तो उन्हें अब वहां कितना सम्मान मिल पाता है? उनके जाने से जनता दल यू को कितना नुकसान होता है और आने वाले विधानसभा चुनाव में क्या श्याम रजक फुलवारीशरीफ सीट निकाल पाते हैं या नहीं?