मुंबई। महाराष्ट्र में सरकार गठन को लेकर जारी सस्पेंस के बीच राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने बीते दिन प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाने की मंजूरी दे दी। ऐसे में भाजपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ने वाली शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में संपादकीय छापकर अपनी सहयोगी पार्टी को निशाने पर लिया। संपादकीय में लिखा गया कि भाजपा को प्रदेश में सरकार बनाने के लिए 15 दिनों का वक्त मिला, लेकिन हमें सिर्फ 24 घंटे दिया गया। इसे व्यवस्था का दुरुपयोग और मनमानी कहते हैं।
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प्रदेश के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने सबसे पहले भाजपा को सरकार बनाने का न्यौता दिया देते हुए 48 घंटे का समय दिया। भाजपा द्वारा सरकार न बना पाने की स्थिति में राज्यपाल शिवसेना और फिर राकांपा को न्यौता दिया। फिलहाल प्रदेश में अभी तक सरकार का गठन नहीं हुआ है। जबकि चुनाव के नतीजे 24 अक्टूबर को आए थे।
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सामना के संपादकीय में लिखा गया कि महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन। हम नहीं तो कोई नहीं, चुनावी नतीजों के बाद यह जो अहंकारी दर्प चढ़ा है, ये राज्य के हित में नहीं है। आगे लिखा कि भाजपा तत्ववादी, नैतिकता और संस्कारों से युक्त पार्टी है ऐसे में महाराष्ट्र के संदर्भ में भी उन्हें इनका पालन करना चाहिए था। भाजपा विरोधी पक्ष में बैठने को तैयार है। इसका मतलब कांग्रेस और राष्ट्रवादी का साथ देने को तैयार हैं, ऐसा कहा जाए तो उन्हें मिर्ची नहीं लगनी चाहिए।