By दिव्यांशी भदौरिया | Dec 23, 2024
हर साल पौष माह में आने वाली कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन रूक्मिणी अष्टमी का पर्व मनाया जाएगा। द्वापर युग में इसी दिन विदर्भ नरेश भीष्मक के यहां देवी रुक्मिणी का जन्म हुआ था। हिंदू धर्म में भगवान कृष्ण को काफी माना जाता है। श्रीकृष्ण भगवान विष्णु के अवतार है और देवी रुक्मिणी माता लक्ष्मी की अवतार मानी जाती है, जो श्रीकृष्ण की मुख्य पत्नी है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, रुक्मिणी अष्टमी का दिन देवी रुक्मिणी को समर्पित है। इस दिन भगवान कृष्ण और देवी रुक्मिणी की पूजा करने से व्यक्ति को कई लाभ होते है। धन-ऐश्वर्य, सुख-शांति और संतान प्राप्ति का आशीर्वाद मिलता है। आइए आपको बताते हैं, इस दिन देवी रुक्मिणी की पूजा कैसी की जाती है।
रुक्मिणी पूजा के लिए सामग्री
- इसके लिए आपको चाहिए लाल वस्त्र, इत्र, हल्दी, कुमकुम, दूध, दही, घी, शहद, तुलसी, मिश्री, घी का दीपक, कपूर, फूल, दीपक, अगरबत्ती और भोग आदि।
जानें पूजा-विधि
- ब्रह्म मुहूर्त के समय जल्दी उठें और स्नान-ध्यान करें और व्रत संकल्प ले।
- स्नान के बाद आप लाल रंग के शुद्ध वस्त्र का धारण करें। लाल रंग माता लक्ष्मी का प्रिय रंग माना जाता है।
- मंदिर को साफ-सुथरा करके चौकी पर श्रीकृष्ण और माता रुक्मिणी की मूर्ति या तस्वीर स्थापित कर सकते है।
- इसके बाद दक्षिणावर्ती शंख में केसर युक्त दूध लेकर देवी-देवताओं का अभिषेक करें।
- फिर आप माता रुक्मिणी को लाल वस्त्र, हल्दी, कुमकुम, फूल, इत्र और पंचामृत अर्पित कर सकते है। इस दौरान 'कृं कृष्णाय नम:' मंत्र का जाप करें।
- व्रत का संकल्प जरुर लें और आप यह व्रत सच्चे मन से रख रहे हैं और आपको इसका फल प्राप्त होगा।
- गाय के घी का दीपक जलाने के बाद श्रीकृष्ण और माता रुक्मिणी की आरती करें।
- सुहागिन महिलाएं व्रत पारण से पहले सुहाग का सामान दान करें।
रुक्मिणी पूजा का महत्व
रुक्मिणी अष्टमी के दिन पूजा करने और व्रत रखने से मानोवंछित फल प्राप्त होता है। मनचाह वर प्राप्त होता है और किसी के वैवाहिक जीवन समस्या चल रही है, वो सभी दूर हो जाएगी।