By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Jul 14, 2020
मुंबई। शिवसेना ने राजस्थान में राजनीतिक संकट को लेकर भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि राजग का घटक दल कांग्रेस शासित राज्य में अपने विरोधियों को अस्थिर करने के लिए काम कर रहा है और विधायकों की खरीद-फरोख्त को बढ़ावा दे रहा है। शिवसेना ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ में छपे संपादकीय में सवाल किया कि भाजपा ‘रेगिस्तान’ में इस राजनीतिक उपद्रव से तूफान पैदा कर क्या हासिल करना चाहती है? उसने कहा कि इस प्रकार के कदम देश के संसदीय लोकतंत्र को रेगिस्तान में बदल देंगे। राजस्थान में थार रेगिस्तान है, जिसका कुछ हिस्सा गुजरात, पंजाब एवं हरियाणा जैसे राज्यों में भी फैला है। राजस्थान के उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के बागी हो जाने के कारण राज्य की अशोक गहलोत सरकार मुश्किल में घिर गई है।
शिवसेना ने कहा, ‘‘केंद्रीय ताकत अपने विरोधियों की (राज्य) सरकारों को अस्थिर करने की कोशिश कर रही है।’’ पार्टी ने कहा कि देश लद्दाख में ‘‘चीनी घुसपैठ’’ और कोरोना वायरस के कारण अर्थव्यवस्था के ढहने जैसी समस्याओं का सामना कर रहा है। उसने कहा कि गलवान घाटी में चीनी बलों के साथ मुठभेड़ में 20 भारतीय जवानों के शहीद होने की घटना अब भी ताजा है। शिवसेना ने कहा कि इन समस्याओं को सुलझाने के बजाए भाजपा कांग्रेस की आंतरिक कलह का लाभ उठा रही है और राजस्थान में ‘‘विधायकों की खरीद-फरोख्त’’ को बढ़ावा दे रही है।
पार्टी ने कहा, ‘‘अपने राजनीतिक उपद्रव से रेगिस्तान में तूफान लाकर भाजपा को क्या हासिल होगा? इस प्रकार के कदम संसदीय लोकतंत्र को रेगिस्तान में बदल देंगे।’’ शिवसेना ने कहा, ‘‘भाजपा पूरे देश पर शासन कर रही है (भाजपा केंद्र में सत्ता में है)। उसे विरोधियों के लिए भी कुछ राज्य छोड़ देने चाहिए। यही लोकतंत्र का गौरव होगा।’’
शिवसेना ने कहा कि इस साल की शुरुआत में मध्य प्रदेश में कमलनाथ सरकार के कथित रूप से भाजपा द्वारा गिराए जाने के बाद इस प्रकार की अटकलें लगाई जा रही थी कि राजस्थान सरकार को अस्थिर किया जाएगा। उसने कहा कि गहलोत ने आरोप लगाया है कि कांग्रेस विधायकों को पार्टी बदलने के लिए 25-25 करोड़ रुपए दिए जा रहे हैं, जो कि गंभीर आरोप है। शिवसेना ने कहा कि गहलोत का समर्थन कर रहे विधायकों की सम्पत्तियों पर छापेमारी की कार्रवाई संदेह का विषय है। पार्टी ने सिंधिया पर यह सुनिश्चित करने के लिए कड़ी मेहनत करने का आरोप लगाया कि पायलट कांग्रेस छोड़ दें।
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