By अंकित सिंह | Jul 12, 2022
महाराष्ट्र में राजनीतिक उठापटक के बाद उद्धव ठाकरे की कुर्सी जा चुकी है। कभी उद्धव ठाकरे के करीब रहे एकनाथ शिंदे उनसे बगावत करने के बाद मुख्यमंत्री भी बन चुके हैं। जब उद्धव ठाकरे की सरकार संकट में थी तो उनकी ओर से एक कैबिनेट मीटिंग बुलाई गई थी। इस मीटिंग में कई बड़े और अहम फैसले भी हुए थे जिसमें औरंगाबाद और उस्मानाबाद जिलों के नाम बदलने की भी बात कही गई थी। अब जब किसी को लेकर महाराष्ट्र की राजनीति के भीष्म पितामह और एनसीपी प्रमुख शरद पवार से सवाल पूछा गया तो उन्होंने साफ तौर पर कहा कि यह हमारे सरकार के एजेंडे में नहीं था। पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि यह मुद्दा एमवीए के न्यूनतम साझा कार्यक्रम में शामिल नहीं था और फैसला लिए जाने के बाद ही उन्हें इसकी जानकारी मिली।
शरद पवार ने कहा कि उन्हें औरंगाबाद और उस्मानाबाद का नाम बदलकर क्रमश: संभाजीनगर और धाराशिव रखने की कोई जानकारी नहीं थी। आपतो बता दें कि 29 जून उद्धव ठाकरे ने औरंगाबाद शहर का नाम 'संभाजीनगर' रखने की स्वीकृति दी थी। वहीं, उस्मानाबाद का नाम 'धाराशिव' कर दिया गया था। सूत्रों का दावा तो यह भी है कि इस फैसले पर गठबंधन में शामिल कई नेताओं ने अपनी नाराजगी भी जताई थी। आपको बता दें कि उद्धव ठाकरे महा विकास आघाडी सरकार का नेतृत्व कर रहे थे। इस सरकार को एनसीपी और कांग्रेस का समर्थन हासिल था। शिवसेना इसका नेतृत्व कर रही थी। उल्लेखनीय है कि एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में शिवसेना में बगावत होने के बाद 29 जून को एमवीए सरकार का पतन हो गया था।
2024 में चुनाव साथ मिलकर लड़ना चाहिए: पवार
वहीं, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के प्रमुख शरद पवार ने कहा कि वह महसूस करते हैं कि महा विकास आघाडी (एमवीए) के तीनों घटकों शिवसेना, कांग्रेस, राकांपा को वर्ष 2024 में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव मिलकर लड़ना चाहिए। हालांकि, पवार ने कहा कि इस मुद्दे पर फैसला पार्टी और गठबंधन में शामिल घटकों के साथ बातचीत कर के ही लिया जाएगा। गोवा में कुछ कांग्रेस विधायकों के पाला बदलकर सत्तारूढ़ भाजपा में शामिल होने को लेकर लगाए जा रहे कयासों पर पवार ने कहा कि कैसे कोई भूल सकता है जो कर्नाटक, मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र में हुआ। उन्होंने कहा कि मेरी राय है कि गोवा में ऐसा होने में समय लगेगा।