By अनन्या मिश्रा | Dec 12, 2024
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के नेता शरद पवार आज यानी की 12 दिसंबर को अपना 84वां जन्मदिन मना रहे हैं। शरद पवार के राजनीतिक जीवन में कई तरह के उतार-चढ़ाव आए। लेकिन उनके जीवन में एक पल ऐसा भी आया, जिसने शरद पवार के राजनीतिक जीवन को मोड़कर रख दिया। हालांकि उन्होंने हमेशा अपनी शर्तों पर काम करना पसंद किया। बता दें कि शरद पवार को राजनीति का सबसे बड़ा चाणक्य भी कहा जाता है। तो आइए जानते हैं उनके जन्मदिन के मौके पर शरद पवार के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...
राजनीतिक सफर
शरद पवार ने राजनीति में एक लंबा और महत्वपूर्ण सफर तय किया है। उन्होंने साल 1956 में छात्र जीवन से राजनीति की शुरूआत की थी। वह महाराष्ट्र की राजनीति में प्रमुख नाम हैं। साल 1956 में छात्र राजनीति में शरद पवार ने अपने राजनीतिक सफर की शुरूआत की। इस दौरान पवार ने महाराष्ट्र के प्रवरनगर क्षेत्र में गोवा की स्वतंत्रता को लेकर एक विरोध मार्च शुरू किया था। फिर साल 1960 में शरद पवार युवा कांग्रेस में शामिल हो गए। महज 2 साल के अंदर उनकी प्रतिभा को देखते हुए शरद पवार को पुणे जिला युवा कांग्रेस के अध्यक्ष का पद संभाला। इसके बाद उन्होंने महाराष्ट्र युवा कांग्रेस में कई अहम पदों पर कार्य किया और राज्य की राजनीति में अपनी पहचान बनानी शुरू की।
राष्ट्र की राजनीति पर बनाई मजबूत पकड़
सिर्फ महाराष्ट्र की राजनीति पर ही नहीं बल्कि राष्ट्र की राजनीति पर भी शरद पवार की पकड़ मजबूत है। उन्होंने चार बार राज्य के सीएम पद की जिम्मेदारी संभाली है। वह दो बार देश के कृषि मंत्री भी रह चुके हैं। NCP की स्थापना से पहले वह देश की सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस का भी हिस्सा रह चुके हैं। हालांकि कई चुनाव में उन्होंने कांग्रेस विरोधी नारे भी लगाए। वहीं कुछ दिनों पहले महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में एक बार फिर पवार और कांग्रेस एमवीए गठबंधन के तहत चुनावी मैदान में उतरे।
कांग्रेस में शामिल होने का फैसला
बंबई के लास्ट सीएम यशवंतराव चव्हाण का शरद पवार पर गहरा असर था। शरद पवार ने 27 साल की उम्र में बारामती से विधायक के तौर पर महाराष्ट्र की राजनीति में कदम रखा था। उन्होंने ग्रामीणों को मुद्दों को प्रमुखता से उठाने का काम किया था। इसमें सूखा और अन्य स्थानीय समस्याएं भी शामिल थीं। साल 1969 में जब इंदिरा गांधी को कांग्रेस पार्टी से निष्कासित किया गया, तो शरद पवार ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस यानी की इंदिरा गुट में शामिल होने का फैसला किया। देश में जब इमरजेंसी लगी, तो पवार ने राज्य में शंकरराव चव्हाण की सरकार में गृहमंत्री का पद संभाला। फिर कांग्रेस का विभाजन होने के बाद उन्होंने कांग्रेस (यू) का हिस्सा बनकर राजनीति के नए अध्याय की शुरूआत की।
पीएम पद की रेस में शामिल
साल 1978 में विद्रोह कर शरद पवार ने वसंतदादा पाटिल की सरकार गिरा दी और खुद महाराष्ट्र के सीएम बन बैठे। उस दौरान पवार की उम्र 38 साल थी। वह राज्य के सबसे युवा सीएम बने थे। लेकिन साल 1980 में जब इंदिरा गांधी की वापसी हुई तो उनकी शरद पवार की सरकार गिर गई और पवार ने कांग्रेस (आई) के अध्यक्ष के रूप में काम करने लगे। बता दें कि साल 1991 के लोकसभा चुनाव के समय पवार पीएम पद की रेस में शामिल थे। लेकिन राजीव गांधी की हत्या के बाद उनकी उम्मीदों पर पानी फिर गया और पार्टी ने नरसिम्हा राव को पीएम बनाया। वहीं पवार को रक्षामंत्री बनाया गया। फिर साल 1993 में उनको महाराष्ट्र की राजनीति में वापस भेजा गया और वह चौथी बार राज्य के सीएम बनें।
ऐसे हु्आ एनसीपी का गठन
साल 1999 में सोनिया गांधी से मतभेद होने के बाद पवार ने अपनी पार्टी राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) का गठन किया। इसी साल पवार ने कांग्रेस के साथ मिलकर विधानसभा चुनाव लड़ा और गठबंधन में भी शामिल रहे। एनसीपी को साल 2004 में यूपीए सरकार में कृषि मंत्रालय मिला। तो वहीं साल 2014 में भाजपा के नेतृत्व में एनडीए सरकार बनने पर पवार ने विपक्ष की भूमिका निभाई। साल 2019 में कांग्रेस और शिवसेना ने साथ मिलकर एनसीपी ने राज्य में सरकार बनाई। पवार की राजनीतिक यात्रा उनकी रणनीतिक क्षमता और चतुराई का प्रतीक रही है। राजनीते में आज भी वह सक्रिय और प्रभावशाली हैं।