By अंकित सिंह | Jul 15, 2024
अनंत अंबानी और राधिका मर्चेंट का विवाह समारोह यादगार रहा, जिसमें कई प्रमुख धार्मिक हस्तियां शामिल हुईं। हालाँकि, उनके आशीर्वाद समारोह को, विशेष रूप से, धार्मिक गुरु द्वारका पीठ के शंकराचार्य, स्वामी सदानंद सरस्वती और ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य, स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद की उपस्थिति ने और भी विशेष बना दिया था। इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शामिल हुए थे। अनंत अंबानी और राधिका मर्चेंट को आशीर्वाद देने के बाद वह सीधे दोनों शंकराचार्य के पास पहुंचे। मोदी ने दोनों को प्रणाम किया और उन्हें आशीर्वाद भी मिला।
हालांकि, सोशल मीडिया पर यह वीडियो खूब वायरल हो रहा है। इसी को लेकर ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद का बयान भी सामने आया है। उन्होंने कहा कि हां, वह (पीएम मोदी) मेरे पास आए और 'प्रणाम' किया। हमारा नियम है कि जो कोई हमारे पास आएगा हम उसे आशीर्वाद देंगे। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी जी हमारे दुश्मन नहीं हैं। हम उनके शुभचिंतक हैं और हमेशा उनके कल्याण के लिए बोलते हैं।' अगर वह कोई गलती करते हैं तो हम उन्हें बताते भी हैं।
आपको बता दें कि हिंदू धर्म के संरक्षक चार शंकराचार्यों के यह कहने के बाद एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया कि वे राम मंदिर उद्घाटन कार्यक्रम में शामिल नहीं होंगे। स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि मंदिर - जिसे भगवान का शरीर माना जाता है - अधूरा है और इसलिए वहां नई मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा करना सही नहीं है। उन्होंने सरकार पर सवाल भी खड़े किए थे। विपक्ष भी चार शंकराचार्यों के बयान को हथियार बनाकर सरकार को घेर रहा था।
हालांकि, इसके बाद उस दौरान भी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि सच तो यह है कि पीएम मोदी ने हिंदुओं को आत्म-जागरूक बनाया है जो छोटी बात नहीं है। हमने कई बार सार्वजनिक रूप से कहा है कि हम मोदी विरोधी नहीं बल्कि उनके प्रशंसक हैं।' भारत के दूसरे ऐसे प्रधानमंत्री का नाम बताइए जिसने पहले भी मोदी की तरह हिंदुओं को मजबूत किया हो? हमारे कई प्रधान मंत्री हुए हैं और वे सभी अच्छे रहे हैं - हम किसी की आलोचना नहीं कर रहे हैं। उन्होंने कहा था कि जब अनुच्छेद 370 हटाया गया तो क्या हमने उसका स्वागत नहीं किया? जब नागरिकता संशोधन कानून आया तो क्या हमने इसकी प्रशंसा नहीं की? क्या हमने पीएम मोदी के स्वच्छता अभियान में बाधा डाली? हमने इस बात की भी सराहना की कि कैसे सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद कि भूमि पर राम मंदिर बनाया जाएगा, कानून और व्यवस्था की स्थिति में कोई व्यवधान नहीं हुआ।