शनि प्रदोष व्रत से मिलता है सभी दुखों से छुटकारा

By प्रज्ञा पाण्डेय | Nov 09, 2019

आज शनि प्रदोष व्रत है। कार्तिक मास की शुक्लपक्ष को शनि प्रदोष व्रत का शुभ संयोग बन रहा है। इस खास दिन शंकर जी और शनि भगवान की पूजा होती है। शनि प्रदोष व्रत करने से सभी दुखों से छुटकारा मिलता है तो आइए हम आपको शनि प्रदोष व्रत की महिमा के बारे में बताते हैं।

 

जानें शनि प्रदोष व्रत के बारे में

हर महीने की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत होता है। प्रदोष का व्रत शंकर भगवान को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है। प्रत्येक प्रदोष व्रत का विभिन्न फल प्राप्त होता है। शनिवार के दिन पड़ने वाला प्रदोष व्रत शनि प्रदोष व्रत कहलाता है और उसका खास महत्व होता है। 

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शनि प्रदोष है खास 

शनि प्रदोष व्रत शनि से जुड़ी परेशानियों को दूर करने में भी फलदायी होता है। संतान प्राप्ति की कामना के लिये शनि प्रदोष की कथा होती है। शनि प्रदोष व्रत करने से सभी प्रकार के सुख प्राप्त होते हैं। 


शनि प्रदोष व्रत की कथा

बहुत समय पहले एक प्राचीन नगर में एक सेठ-सेठानी रहते थे। दोनों बहुत धर्मात्मा थे। वह हमेशा लोगों की मदद करते और उन्हें सुखी रखने का प्रयास करते थे। लेकिन सबके सुखों का ध्यान रखने के बावजूद सेठ दम्पत्ति निःसंतान होने के कारण बहुत दुखी रहते थे। एक बार दोनों पति-पत्नी तीर्थयात्रा पर जा रहे थे। रास्ते में पेड़ के नीचे एक महात्मा तपस्या में लीन थे। दोनों पति-पत्नी महात्मा के सामने हाथ जोड़कर लेकिन वह तपस्या में लीन रहे। रात भी हो गयी लेकिन वह संत तपस्या में लीन रहे। लेकिन पति-पत्नी धैर्यपूर्वक खड़े रहे। अगली सुबह जब संत अपनी तपस्या से उठे तो उन्होंने पति-पत्नी से कहा कि वह उनकी परेशानी जान गए हैं। उन्होंने दम्पत्ति को शनि प्रदोष व्रत करने को कहा। शनि प्रदोष व्रत के प्रभाव से उन्हें बहुत जल्द ही पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई। इस प्रकार शनि प्रदोष व्रत के प्रभाव से दम्पत्ति के कष्ट दूर हुए।

 

शनि प्रदोष के दिन ऐसे करें पूजा

शनि प्रदोष व्रत बहुत फलदायी होता है इसलिए शनि प्रदोष पर विशेष पूजा करें। प्रातः उठकर सबसे पहले स्नान कर साफ वस्त्र पहने। उसके बाद सच्चे मन से शिव जी तथा हनुमान जी की आराधना करें। उसके बाद भगवान हनुमान को लड्डू और बूंदी चढ़ाएं। साथ ही प्रसाद को सभी लोगों में बांट कर खाएं।

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प्रदोष व्रत का है बहुत महत्व

शाम को सूर्य अस्त के पश्चात तथा रात होने से पहले प्रदोष काल माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि प्रदोष काल में शंकर भगवान साक्षात् शिवलिंग में प्रकट होते हैं। इसीलिए प्रदोष काल में शिव जी आराधना का विशेष महत्व होता है। प्रदोष व्रत करने से चंद्रमा के दोषों से छुटाकारा मिलता है। चंद्र दोष दूर होने से मानसिक शांति मिलती है तथा जीवन सुखमय व्यतीत होता है। शनि प्रदोष पर शंकर जी की पूजा के साथ शनि देव की पूजा होती है। शनि प्रदोष व्रत करने तथा शिव की पूजा करने से सभी प्रकार के अशुभ ग्रहों से छुटाकारा मिलता है। इसके अलावा  शरीर रोगमुक्त होता है और ऊर्जा तथा शक्ति अनुभव होता है। शनिवार के दिन प्रदोष व्रत होने पर शाम को हनुमान चालीसा पढ़ना विशेष फलदायी होता है।

 

प्रज्ञा पाण्डेय

 

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