मुम्बई। अभिनेता शाहरुख खान का कहना है कि वह एकांतप्रिय लेकिन खुश इंसान है, मगर निर्देशक बनने पर उनके तनहा और उदास होने की आशंका है। अभिनेता का मानना है कि निर्देशन के पेशे में बेहद अकेलापन है। शाहरुख ने ‘बीबीसी’ के पत्रकार एवं ‘टॉकिंग मूवीज’ के होस्ट टॉम ब्रुक को दिए साक्षात्कार में कहा,‘‘ यह भगवान की भूमिका जैसा है, आप एक फिल्म बनाते हैं, आप अभिनेताओं को बताते हैं कि अभिनय कैसे किया जाए, संवादों का चयन करना, थिएटरों में जाना, काले कमरों में उसकी ‘एडिटिंग’ करना और जब फिल्म रिलीज होती है तो उसकी कामयाबी और नाकामयाबी के लिए आप ही जिम्मेदार होते हैं। मुझे लगता है कि निर्देशन के काम में बेहद अकेलापन है।’’
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उन्होंने कहा कि मुझे हमेशा चिंता होती है कि अगर मैं निर्देशक बन गया, मैं सच में बहुत अकेला हो जाऊंगा और रोजमर्रा की जिंदगी से कट जाऊंगा। एक स्टार होने के नाते में पहले ही बेहद एकांतप्रिय, शांत, खुद तक सीमित रहने वाला इंसान हूं। अभी मैं काफी तनहा लेकिन खुश महसूस करता हूं। अगर मैं निर्देशक बन गया तो और अकेला और दुखी हो सकता हूं। शाहरुख ने अपनी फिल्म ‘जीरो’ और ‘जब हैरी मेट सेजल’ जैसी फिल्मों के बडे़ पर्दे पर कुछ खास कमाल ना कर पाने का जिक्र करते हुए कहा कि उन फिल्मों पर काम करते समय भी उन्हें लगा था कि वे अच्छी ‘‘फिल्म’’ बना रहे हैं।
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उन्होंने कहा कि ऐसे भी दिन आते हैं, जब मैं फिल्मों पर चर्चा करता हूं और मुझे सच में लगता है कि यह सही फिल्म है। और फिर मुझे एहसास होता है कि आखिरी दो फिल्मों के बारे में भी मुझे यही लगा था। मुझे नहीं पता कि मैं अच्छी फिल्में कर पाऊंगा की नहीं। इसकी गारंटी कोई नहीं दे सकता। उन्होंने कहा कि 25 साल के करियर के ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जायेंगे’ की जैकेट, ‘बाजीगर’ के जूतों सहित कई फिल्मों में पहने कपड़े मेरे पास हैं। एक दिन जब मुझे दिग्गज का तमगा दिया जाएगा तो मैं उसे दान के लिए बेच सकता हूं। मैंने उन्हें संग्रहालय या किसी और इस्तेमाल के लिए रखा है।’’अपनी आने वाली पीढ़ी को कोई सलाह देने के सवाल पर शाहरुख ने कहा कि वह युवा पीढ़ी को कड़ी मेहनत करने और शौहरत को सिर पर सवार ना होने की हिदायत देंगे।