By अंकित सिंह | Jan 04, 2023
2023 की शुरुआत हो चुकी है। राजनीतिक हिसाब से देखें तो यह साल बेहद ही महत्वपूर्ण है। अगले साल होने वाले आम चुनाव से पहले इस साल के चुनाव को काफी महत्व दिया जा रहा है। राजनीतिक विश्लेषक भी मानते हैं कि 2023 के होने वाले विधानसभा चुनाव 2024 लोकसभा चुनाव के सेमी फाइनल है। 2023 का चुनाव 2024 की झलक को पेश करेगा। 2023 के चुनाव 2024 की दिशा को तय करेंगे। सभी राजनीतिक दलों ने इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए कमर कस ली है। भाजपा के लिए 2022 बेहतर रहा 2023 भी उसकी ओर से बेहतर करने की कोशिश रहेगी। हालांकि, कांग्रेस भी अपनी ताकत दिखाने की कोशिश करेगी। इसके अलावा कई क्षेत्रीय दलों की ताकत भी 2023 में देखने को मिलेगी।
इन राज्यों में होंगे चुनाव
2023 में 9 राज्यों में विधानसभा के चुनाव होने हैं। इसमें दक्षिण के राज्य भी शामिल है। साथ ही साथ पूर्वोत्तर के राज्य भी हैं और हिंदी भाषी राज्य भी शामिल हैं। साल की शुरुआत में 4 राज्यों में चुनाव होने हैं जबकि आखिर में पांच राज्यों में विधानसभा के चुनाव होंगे। दक्षिण भारत के 2 राज्य कर्नाटक और तेलंगाना में विधानसभा के चुनाव होंगे। वहीं, पूर्वोत्तर के मेघालय, त्रिपुरा, नागालैंड और मिजोरम में भी इस साल चुनाव होने हैं। बड़े हिंदीभाषी प्रदेश यानी कि मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भी इस साल विधानसभा के चुनाव होने हैं। इन राज्यों में भाजपा और कांग्रेस जैसी राष्ट्रीय राजनीतिक दलों का भी दबदबा है। वहीं कई क्षेत्रीय दल भी अपनी ताकत दिखाते रहते हैं।
भाजपा के लिए यह है चुनौती
वर्तमान में देखे तो कर्नाटक, मध्यप्रदेश और त्रिपुरा में भाजपा की सरकार है। वहीं, नागालैंड, मेघालय और मिजोरम में भाजपा सहयोगी दल की भूमिका में है। त्रिपुरा में भाजपा ने चुनाव जीतकर सरकार बनाई थी। जबकि कर्नाटक और मध्य प्रदेश में राजनीतिक उठापटक के बाद भाजपा को सरकार बनाने का मौका मिला था। लोकसभा चुनाव 2024 के लिहाज से कर्नाटक, मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ भाजपा के लिए काफी महत्वपूर्ण है। 2018 के विधानसभा चुनाव में राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश में भाजपा को बड़ा झटका लगा था। फिलहाल इन राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर भाजपा अपनी तैयारी शुरू कर चुकी है। भाजपा की ओर से साफ कहा जा रहा है कि नरेंद्र मोदी की सरकार के कामकाज पर भी इस बार चुनाव हम लड़ेंगे। इसके अलावा कर्नाटक, मध्यप्रदेश, त्रिपुरा जैसे राज्यों में भाजपा अपनी सरकार के कामकाज को भी गिर जाएगी।
कांग्रेस में गुटबाजी सबसे बड़ी चुनौती
वर्तमान में देखें तो राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार है जहां इस साल चुनाव होने हैं। कांग्रेस के लिए दोनों ही राज्यों में जो सबसे बड़ी चुनौती है, वह पार्टी की गुटबाजी है। दोनों ही राज्यों में पार्टी इन दो खेमों में बंटी हुई नजर आती है। सबसे पहले राजस्थान की बात करें तो यहां मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट का गुट आमने-सामने है। कई बार सार्वजनिक तौर पर दोनों के बीच वार-पलटवार का दौर भी देखा गया। दोनों गुट एक दूसरे पर हमलावर रहता है। इसका चुनाव में भी सीधा असर पड़ सकता है। वहीं, छत्तीसगढ़ की बात करें तो यहां भी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और राज्य सरकार में मंत्री टीएस सिंह देव आमने-सामने है। हालांकि, दोनों के बीच की टकरार फिलहाल सार्वजनिक तो नहीं है। लेकिन राज्य की राजनीति में साफ तौर पर देखने को मिलती है।
क्षेत्रीय दलों का दम
तेलंगाना की बात करें तो यहां बीआरएस सत्ता में है। के चंद्रशेखर राव की पार्टी एक बार फिर से इस बार के चुनाव में अपनी ताकत लगाने जा रही है। बीआरएस का सीधा मुकाबला भाजपा और कांग्रेस से होने वाला है। जबकि नागालैंड, मेघालय और मिजोरम में क्षेत्रीय दल सत्ता में क्षेत्रीय दलों को भाजपा का समर्थन हासिल है।