श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर में इस साल अभी तक 265 आतंकी मारे गए। पिछले साल यह संख्या 218 थी। करीब 86 नागरिक भी मारे गए और 95 सुरक्षाकर्मी भी। राज्य में 30 सालों से फैले आतंकवाद में मरने वाले नागरिकों और सुरक्षाबलों का आंकड़ा इस साल बढ़ा है। पिछले साल मनाई गई खुशी अब काफूर है क्योंकि मरने वाले सुरक्षाकर्मियों की संख्या इस बार पिछले साल से अधिक है। सुरक्षाबल और सुरक्षा एजेंसियां इससे नाखुश हैं क्योंकि आतंकियों की मौतों के बावजूद आतंकी बनने का आकर्षण अभी भी बरकरार है। यह इसी से स्पष्ट होता है कि इस साल 200 से अधिक युवा आतंकवाद में शामिल हो गए और खतरनाक आतंकी गुट आईएस के साथ कितने जुड़े इसके प्रति अभी सुरक्षा एजेंसियां अंधेरे में टटोल रही हैं।
राज्य में वर्ष 2018 आतंकियों पर ही नहीं बल्कि सुरक्षाकर्मियों पर भी भारी रहा। सीमा व एलओसी पर घुसपैठ कर रहे आतंकियों पर सटीक प्रहारों से देश के दुश्मनों को उनके अंजाम तक पहुंचाया गया। वहीं, बेहतर सुरक्षा ग्रिड की बदौलत सिर्फ नागरिकों की मौतों में भी कमी आई। इस दौरान इस्लामिक स्टेट के बढ़ते कदमों को रोकने के लिए सुरक्षा ग्रिड को और पुख्ता किया गया।
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राज्य में आतंकवाद की पकड़ कमजोर होने के चलते सेना व सीमा सुरक्षा बल ने अपनी शक्ति घुसपैठ कर रहे आतंकियों पर केंद्रित की, जिसकी बदौलत सिर्फ एलओसी पर ही घुसपैठ की 92 कोशिशों को नाकाम बनाया गया। जमात-उद-दावा के हाफिज सईद ने घुसपैठ करवाने के लिए खुद लांचिंग पैडों पर डेरा डाला, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। चालू वर्ष में सेना व सुरक्षा बलों के हाथों मारे गए 265 आतंकियों में कई आतंकी कमांडर भी शामिल हैं।
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इस साल अब तक आतंकी घटनाओं में मारे गए कुल 446 लोगों में से 265 आतंकी, 95 सुरक्षा बल व 86 नागरिक शामिल थे। पिछले वर्ष मारे गए 358 लोगों में 218 आतंकी, 83 सुरक्षाकर्मी व 57 नागरिक शामिल थे। कुल मिलाकर सुरक्षा बलों व लोगों की मौतें कम हुईं और आतंकवाद को आघात लगा। आतंकियों के मंसूबे नाकाम बनाने के लिए कड़ी सुरक्षा की बदौलत इस वर्ष राज्य में 40 आईईडी तलाश कर विस्फोट करने की साजिशें नाकाम हुईं। वहीं, 350 हथियार भी बरामद हुए।
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दावा यही है कि आतंकवाद में कमी के चलते अलगाववादियों व सीमा पार बैठे उनके आकाओं के हौसले पस्त होने लगे हैं। पाकिस्तान ने साल के दूसरे पखवाड़े में आतंकियों की घुसपैठ करवाने की पूरी कोशिश की और सेना व सुरक्षा बलों ने इसका पूरा फायदा उठाते हुए अधिकतर आतंकियों को मार गिराया। पूरे साल में मारे गए 265 आतंकियों में से अंतिम छह महीनों में 157 मारे गए।
-सुरेश डुग्गर