By रेनू तिवारी | Sep 11, 2023
नयी दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने सोमवार को महाराष्ट्र में वेस्ट कोस्ट रिफाइनरी परियोजना में 100 अरब डॉलर के निवेश की पहचान करने और उसे व्यवस्थित करने में मदद के लिए एक संयुक्त टास्क फोर्स स्थापित करने पर सहमति व्यक्त की। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को सऊदी अरब के युवराज मोहम्मद बिन सलमान बिन अब्दुलअजीज अल-सऊद से बातचीत के दौरान कहा कि भारत और सऊदी अरब के बीच रणनीतिक साझेदारी क्षेत्रीय एवं वैश्विक स्थिरता और कल्याण के लिए अहम है। सऊदी अरब को भारत के सबसे महत्वपूर्ण रणनीतिक साझेदारों में से एक बताते हुए मोदी ने कहा कि बदलते वक्त के साथ दोनों देश अपने संबंधों में नए आयाम जोड़ रहे हैं।
पीएम मोदी और बिन सलमान ने भारत-सऊदी अरब रणनीतिक साझेदारी परिषद की पहली बैठक में द्विपक्षीय संबंधों की समीक्षा की। बैठक में अपने शुरुआती संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा ‘‘हमारी करीबी भागीदारी को अगले स्तर पर ले जाने के लिए कई पहलों की पहचान की गई है। आज की बैठक में हमारे संबंधों को एक नयी दिशा और ऊर्जा मिलेगी’’। अहम क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ाने के उद्देश्य से भारत-सऊदी अरब रणनीतिक साझेदारी परिषद की घोषणा 2019 में की गई थी।
जी20 शिखर सम्मेलन की समाप्ति के बाद बिन सलमान इस समय भारत की राजकीय यात्रा पर हैं। वार्ता से पहले सऊदी अरब के युवराज का राष्ट्रपति भवन के प्रांगण में आधिकारिक रूप से स्वागत किया गया। स्वागत के बाद बिन सलमान ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘मैं भारत आकर बहुत खुश हूं। मैं जी20 शिखर सम्मेलन के लिए भारत को बधाई देना चाहता हूं।’’ सऊदी नेता ने कहा कि शिखर सम्मेलन में की गई घोषणाओं से दुनिया को फायदा होगा। उन्होंने कहा, ‘‘हम दोनों देशों के उज्ज्वल भविष्य के निर्माण के लिए मिलकर काम करेंगे।’’
सऊदी अरब पश्चिम एशिया में भारत के प्रमुख रणनीतिक साझेदारों में से एक है। पिछले कुछ वर्षों में दोनों देशों के बीच समग्र संबंधों में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है। दोनों पक्ष अपनी सुरक्षा साझेदारी को मजबूत करने पर भी ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। तत्कालीन सेना प्रमुख जनरल एम. एम. नरवणे ने दिसंबर 2020 में सऊदी अरब का दौरा किया था, जो 13 लाख से अधिक सैनिकों की क्षमता वाली मजबूत सेना के प्रमुख द्वारा महत्वपूर्ण खाड़ी देश की पहली यात्रा थी। तब से दोनों पक्षों के उच्च पदस्थ सैन्य अधिकारियों ने एक-दूसरे देश के कई दौरे किए हैं।