पंचायत चुनाव लड़ने से लेकर सरकार में मंत्री पद संभालने वाले Sattar Abdul Nabi का संघर्षपूर्ण रहा है राजनीतिक सफर

By Anoop Prajapati | Oct 15, 2024

पिछले 15 साल से जालना क्षेत्र की सिल्लौद विधानसभा सीट की जिम्मेदारी संभाल रहे अब्दुल सत्तार नबी का राजनीतिक जीवन कठिन परिश्रम का एक उदाहरण है। सत्तार ने अपनी राजनीतिक जीवन की शुरुआत 1984 में पंचायत चुनाव लड़ने से की थी। इसके बाद वे राजनीति के कई अन्य पड़ाव पार करते हुए विधायक पद तक पहुंचे हैं और फिलहाल एकनाथ शिंदे की कैबिनेट में मंत्री पद संभाल रहे हैं। कांग्रेस के साथ अपना सफर शुरू करने वाले सत्तार ने 2022 में शिवसेना के दो धड़ों में बंटने के बाद शिंदे गुट में जाने का फैसला किया था। वे 2014 में महाराष्ट्र में कांग्रेस सरकार में कुछ समय के लिए मंत्री रहे। 2019 में उन्होंने कांग्रेस छोड़ दी और शिवसेना में शामिल हो गए। उन्होंने राज्य के पशुपालन मंत्री के रूप में कार्य किया है।


राजनीतिक सफर का आरंभ


1984 में सत्तार ने ग्राम पंचायत चुनाव में सफलतापूर्वक भाग लिया और 1994-95 में तालुका राजनीति में प्रवेश किया। जिसके बाद मार्च 1994 को सत्तार सिल्लोड शहर के मेयर बने। उन्होंने 1999 में विधान सभा चुनाव के लिए उम्मीदवार बनने के लिए कांग्रेस से संपर्क किया, लेकिन असफल रहे। वे एक स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में खड़े हुए और दूसरे स्थान पर रहे। 2001 में वे सिल्लोड के एमएलसी चुने गए। विधायक के रूप में अपना कार्यकाल समाप्त होने के बाद अब्दुल सत्तार ने 2004 का विधान सभा चुनाव लड़ा, जिसमें वे 301 मतों से हार गए।


अब्दुल सत्तार नबी 2009 में औरंगाबाद जिले के सिल्लोड निर्वाचन क्षेत्र के विधायक चुने गए। उन्होंने स्थानीय राजनीतिक नेता प्रभाकर पालोडकर की मदद से 30,000 मतों के अंतर से जीत हासिल की, जो हाल ही में 12 वर्षों के बाद कांग्रेस पार्टी में शामिल हुए थे। 2014 में उन्होंने विधानसभा में दूसरा कार्यकाल जीता और उन्हें पशुपालन, मत्स्य पालन और डेयरी विकास पोर्टफोलियो के साथ कैबिनेट मंत्री नियुक्त किया गया। 2016 में उन्होंने महाराष्ट्र राज्य में शराब की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने के लिए याचिका भी दायर की थी।


22 मार्च 2017 को सत्तार को 18 अन्य विधायकों के साथ राज्य के बजट सत्र के दौरान महाराष्ट्र के वित्त मंत्री सुधीर मुनगंटीवार को बाधित करने और चार दिन पहले विधानसभा के बाहर बजट की प्रतियां जलाने के लिए 31 दिसंबर तक निलंबित कर दिया गया था। 15 जून 2017 को सत्तार और 29 अन्य के खिलाफ दंगा करने और एक किसान पर हमला करने का मामला दर्ज किया गया था।


दल बदलने की शुरुआत


19 दिसंबर 2016 को सत्तार ने औरंगाबाद जिले में कांग्रेस पार्टी के नेता के पद से इस्तीफा दे दिया , यह दावा करते हुए कि पार्टी ने 2016 के स्थानीय चुनावों के दौरान उनके साथ सहयोग नहीं किया था। 30 जुलाई 2018 को सत्तार ने मराठा कोटा मांग के समर्थन में विधानसभा से इस्तीफा दे दिया, जिससे मराठों के लिए सरकारी नौकरियों और शिक्षा को आरक्षित करने की गारंटी मिल जाएगी। मार्च 2019 में उन्हें औरंगाबाद लोकसभा क्षेत्र के लिए कांग्रेस पार्टी का उम्मीदवार बनने की उम्मीद थी। लेकिन टिकट से वंचित होने से नाराज सत्तार ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया। कांग्रेस पार्टी ने 20 अप्रैल 2019 को पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए सत्तार को आधिकारिक रूप से निष्कासित कर दिया।


जिसके बाद मार्च 2019 के अंत में सत्तार ने घोषणा की कि वह सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल होंगे, लेकिन इस कदम का स्थानीय भाजपा नेतृत्व ने विरोध किया। बाद में सत्तार यह कहकर पीछे हट गए कि देवेंद्र फड़नवीस (भाजपा के मुख्यमंत्री) के साथ उनकी बैठक गैर-राजनीतिक थी। जून 2019 के अंत में सत्तार ने पूर्व शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे से मुलाकात की और पार्टी में शामिल हो गए। जिसके बाद 2022 में पार्टी में मचे घमासान को देखते हुए उन्होंने उद्धव ठाकरे का साथ छोड़कर शिंदे गुट के साथ चले गए थे। जिसके बाद 2023 में उन्हें महाराष्ट्र सरकार में औकाफ मंत्रालय और विपणन मंत्रालय में अल्पसंख्यक विकास का कैबिनेट मंत्री नियुक्त किया गया था।

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