Sardar Vallabhbhai Patel Birth Anniversary: देश के एकीकरण में सरदार वल्लभभाई पटेल ने निभाई थी अहम भूमिका

By अनन्या मिश्रा | Oct 31, 2024

आज ही के दिन यानी की 31 अक्तूबर को एकता की मिसाल कहे जाने वाले सरदार वल्लभ भाई पटेल का जन्म हुआ था। उन्होंने हमेशा देश की एकता को सबसे बड़ी प्राथमिकता दी। सरदार पटेन से बड़ी कुशलता के साथ आजादी के बाद भारत का एकीकरण किया। तभी उनके बारे में 'असरदार सरदार' कहा जा सकता है। उन्होंने अपनी राजनीतिक और कूटनीतिक क्षमता का परिचय देते हुए देश को एकजुट करने का असाधारण कार्य भी बेहद कुशलता से कर दिखाया। तो आइए जानते हैं उनकी बर्थ एनिवर्सरी के मौके पर सरदार वल्लभ भाई पटेल के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...


जन्म और शिक्षा

गुजरात के आणंद के पास स्थित करमसाद गांव के एक साधारण भूस्वामी के घर 31 अक्तूबर 1875 को वल्लभभाई जवेरभाई पटेल का जन्म हुआ था। किसान परिवार में जन्में पटेल अपनी कूटनीतिक क्षमताओं के लिए याद किए जाते हैं। सरदार पटेल ने 22 साल की उम्र में 10वीं की परीक्षा पास की थी। वहीं युवा वकील के रूप में अपनी कड़ी मेहनत की और इंग्लैंड में उच्च शिक्षा प्राप्त की। वहीं आने वाले समय में वह एक निडर वकील के तौर पर सामने आए और उनको जनहित के मुद्दों पर कड़े और निडर अधिवक्ता के रूप में जाना जाने लगा था।

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संभाले कई पद

आजादी के बाद सरदार वल्लभ भाई पटेल देश के उप प्रधानमंत्री के अलावा गृह, सूचना और रियासत विभाग के मंत्री बने थे। इसके साथ ही पटेल ने कश्मीर से लेकर लक्ष्यद्वीप तक फैले विशाल देश को एक करने में अपना अहम योगदान दिया था। देश कभी भी सरदार पटेल का यह ऋण नहीं चुका सकता है। पटेल ने काठियावाड़ से 250,  उड़ीसा से 23, नागपुर से 38, मुंबई और पंजाब जैसे 562 रियासतों को भारत में मिलाने का काम किया था।


सरदार पटेल द्वारा आधुनिक इतिहास की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से सभी रियासतों का देश में विलय कराया था। उनका मातृभूमि के लिए प्रेम, सादगी, नेतृत्व क्षमता, सत्यनिष्ठा, ईमानदारी, जमीन से जुड़े होने की प्रवृत्ति, सांसारिक बुद्धिमत्ता, अनुशासन, उलझी हुई समस्याओं को हल करने के व्यावहारिक दृष्टिकोण और कौशल क्षमता सभी देशवासियों के लिए प्रेरणास्त्रोत बने।


भारत की एकता की रक्षा करने के दौरान सामने कई चुनौतियां थीं। लेकिन पटेल ने लाजवाब कौशल के साथ इन चुनौतियों का सामना किया औऱ देश को एकता के सूत्र में बांधने का काम किया। वह एकीकृत भारत के शिल्पकार बनें और स्वतंत्रता आंदोलन समेत कई मोर्चों पर सफल नेतृत्व किया।


मृत्यु

बता दें कि 15 दिसंबर 1950 को 75 साल की आयु में दिल का दौरा पड़ने से सरदार वल्लभभाई पटेल का निधन हो गया था।

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