By दीपक गिरकर | Jan 24, 2025
श्रीमद्भगवद्गीता एक सार्वकालिक ग्रंथ है। श्रीमद्भगवद्गीता की गिनती हमारे "उपनिषदों" में होती है, जो कि हिन्दुओं के धर्मग्रन्थ हैं और जिनमे जीवन के विभिन्न पहलुओं और जीने का तरीका बताया गया है। इसमें जीवन प्रबंधन की गूढ़ शिक्षा है। इस पुस्तक को पढ़ने से जीवन जीने की एक नई दिशा मिलती है। गीता को पढ़ने से जीवन में क्या लाभ हैं यही समझने के लिए धर्म में रूचि रखने वाले कवियों, साहित्यकारों ने समय-समय पर गीता के मूल संस्कृत श्लोकों का हिंदी में काव्यानुवाद किया हैं। संस्कृत समझने वाले लोग दिनों दिन कम होते जा रहे हैं, पर गीता में सबकी रुचि हमेशा बनी रहेगी, अतः संस्कृत न समझने वाले हिन्दी पाठको को सुरेश रायकवार ने गीता का वही काव्यगत आनन्द यथावथ अपनी प्रथम कृति भावानुवादित हिंदी कविता संजयश्रुत में दिया है।
लेखक ने इस पुस्तक में गीता के संस्कृत श्लोकों को सहज सरल हिंदी भाषा में काव्यात्मक रूप में पंजीबद्ध किया है। इस पुस्तक से पाठकों को गीता के सार को समझने और आत्मसात करने में बहुत सहायता मिली है। यह कृति धर्म प्रेमियों के लिए वरदान है। प्रस्तुत पुस्तक में लेखक ने गीता के अठारह अध्याय एवं सात सौ मूल संस्कृत श्लोकों को हिंदी में अनुवाद कर उन्हें कविता के रूप में लिखा हैं। पुस्तक में बाएं पृष्ठ पर गीता के संस्कृत भाषा में मूल श्लोक लिखे हैं और पुस्तक के दाहिने पृष्ठ पर उन श्लोकों का हिंदी भाषा में काव्य रूप में अनुवाद है।
लेखक ने गीता का गहनता के साथ अध्ययन किया है। इस पुस्तक में लेखक का स्वाध्याय तथा अभिव्यक्ति की निश्छलता विद्यमान है। सुरेश रायकवार ने गीता के मूल संस्कृत श्लोकों के हिंदी अनुवाद को काव्य रूप में जिस नई सूझबूझ से प्रस्तुत किया है वह हिन्दुओं के इस उत्कृष्ट ग्रन्थ श्रीमद्भगवद्गीता में नई पीढ़ी की रुचि को जगाएगा।
सुरेश रायकवार की काव्य कृति संजयश्रुत गीता अत्यंत प्रेरणादायक और ज्ञानवर्धक है। गीता के संस्कृत श्लोकों का सरल और सुंदर हिंदी में काव्यात्मक अनुवाद न केवल गीता के संदेश को सहजता से समझने में मदद करता है, बल्कि यह एक नई पीढ़ी को इस महान ग्रंथ से जोड़ने का एक प्रभावी तरीका भी है। इस पुस्तक के माध्यम से गीता के अठारह अध्यायों और सात सौ श्लोकों का काव्यात्मक रूप में प्रस्तुत किया जाना न केवल गीता के महत्व को उजागर करता है, बल्कि यह पाठकों को जीवन के गहरे अर्थ और उद्देश्य को समझने की दिशा भी दिखाता है। इस प्रकार का काव्य रूपांतर गीता के दर्शन को सरल, प्रवाहपूर्ण और अधिक सजीव बनाता है। यह पुस्तक न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि साहित्यिक दृष्टिकोण से भी अत्यंत मूल्यवान है। पाठकों के लिए यह एक प्रेरणा स्रोत बन सकती है, और यह निश्चित रूप से उनके जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने में सहायक सिद्ध होगी।
आशा है, पाठकगण संजयश्रुत गीता जो कि भावानुवादित हिंदी कविता के रूप में है, को पसंद करेंगे। इस पुस्तक को बार-बार पढ़ने का मन करता है। इस पुस्तक ने मुझे बहुत अधिक प्रभावित किया है। यह पुस्तक पठनीय और संग्रहणीय भी है।
पुस्तक: संजयश्रुत गीता
लेखक: सुरेश रायकवार
प्रकाशक: श्री विनायक प्रकाशन, 3189, ई, सुदामा नगर, गोपुर चौराहा, बाइक ऑफ इंडिया के पास, इंदौर
आईएसबीएन नंबर: 978-81-955264-9-9
मूल्य: 120/- रूपए
दीपक गिरकर
समीक्षक