Sanjay Gandhi Birth Anniversary: इंदिरा सरकार में संजय गांधी की बोलती थी तूती, आपातकाल में निभाई थी बड़ी भूमिका

By अनन्या मिश्रा | Dec 14, 2024

आज ही के दिन यानी की 14 दिसंबर को पूर्व पीएम इंदिरा गांधी के बेटे संजय गांधी का जन्म हुआ था। वह इंदिरा गांधी और फिरोज गांधी के दूसरे बेटे थे। संजय गांधी को इंदिरा गांधी के राजनीतिक उत्तराधिकारी के रूप में देखा जाता था। बताया जाता है कि जब इंदिरा गांधी देश की प्रधानमंत्री बनी थीं, तो उनकी सरकार में संजय गांधी की तूती बोलती थी। वह राजनीतिक फैसलों में सीधे तौर पर दखल देते थे। तो आइए जानते हैं उनकी बर्थ एनिवर्सरी के मौके पर संजय गांधी के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...


जन्म और शिक्षा

दिल्ली में 14 दिसंबर 1946 को संजय गांधी का जन्म हुआ था। उनकी शुरूआती शिक्षा वेल्हम बॉयज में हुई। जिसके बाद वह देहरादून के दून स्कूल में पढ़ने लगे। संजय गांधी ने ऑटोमोटिव इंजिनियरिंग को अपने करियर के रूप में चुना। वहीं उन्होंने इंग्लैंड में 3 साल तक रोल्स रॉयस में अप्रेंटिसशिप की। बता दें कि संजय गांधी को स्पोर्ट्स कारों में बड़ी दिलचस्पी थी। उन्होंने ही भारत में मारुति की नींव भी डाली थी।

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राजनीति में अहम भूमिका

भारत की राजनीति में संजय गांधी को उथल पुथल मचाने के लिए जिम्मेदार माना जाता था। इंदिरा की सरकार में उनकी तूती बोलती थी, वहीं आपातकाल के दौरान देश में जो दौर चल रहा था, उसमें संजय गांधी की अहम भूमिका बताई जाती थी। उस समय आम लोगों के अधिकारों पर रोक, कई सारे राज्य सरकारों की बर्खास्तगी और प्रेस पर सेंसपशिप जैसे बड़े कदम उठाए गए। यही कारण था कि संजय गांधी अपने फैसलों की वजह से काफी ज्यादा चर्चित हुए थे।


बन सकते थे यूपी के सीएम 

बता दें कि साल 1980 में कांग्रेस के विधायकों को यूपी का मुख्यमंत्री चुनना था। उस दौरान संजय गांधी को विधायक दल का नेता चुनने की सारी तैयारियां हो चुकी थीं। जहां कांग्रेस को यूपी में दो तिहाई बहुमत मिला था, लेकिन पुराने नेता पर दांव लगाने को कोई तैयार नहीं था। उस समय मुख्यमंत्री पद के लिए हेमवती नंदन बहुगणा, कमलापति त्रिपाठी और नारायण दत्त तिवारी इन पदों के लिए दावेदार थे। लेकिन इन सब से हटकर किसी नए चेहरे की तलाश थी। इसी दौरान संजय के मित्र अकबर अहमद डंपी ने उनके नाम पर मुहर लगाना शुरूकर दिया।


हालांकि इंदिरा गांधी का इस विषय पर कुछ अलग ही इरादा था। वह संजय गांधी की भूमिका को सीमित नहीं करना चाहती थी। क्योंकि इंदिरा गांधी जानती थीं कि यदि संजय उनसे दूर हुए, तो उनकी मुश्किलें बढ़ जाएंगी। ऐसे में एक लंबी उठापटक के बाद विधानमंडल दल का फैसला इंदिरा गांधी ने नामंजूर कर दिया। जिसके बाद वीपी सिंह को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की कमान मिली।


कई कड़े फैसले लिए

संजय गांधी पूर्व पीएम इंदिरा गांधी के सलाहकार थे, लेकिन संजय गांधी ने कई फैसले अपनी मां को बिना बताए भी लिए। इन फैसलों में, शिक्षा, परिवार नियोजन, वृक्षारोपण और जातिवाद के साथ दहेज प्रथा को खत्म करने के लिए कई कड़े कानून शामिल थे। संजय गांधी का हर मंत्रालय और हर विभाग में सीधे तौर पर दखल था।


मृत्यु

वहीं 23 जून 1980 को प्लेन क्रैश में संजय गांधी का निधन हो गया था।

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