Sandeep Unnikrishnan Birth Anniversary: गोली खाने के बाद भी नहीं टूटा था संदीप उन्नीकृष्णन का हौसला, दुश्मनों ने टेक दिए थे घुटने

FacebookTwitterWhatsapp

By अनन्या मिश्रा | Mar 15, 2025

Sandeep Unnikrishnan Birth Anniversary: गोली खाने के बाद भी नहीं टूटा था संदीप उन्नीकृष्णन का हौसला, दुश्मनों ने टेक दिए थे घुटने

आज ही के दिन यानी की 15 मार्च को भारतीय सेना के मेजर संदीप उन्नीकृष्णन का जन्म हुआ था। मेजर संदीप उन्नीकृष्णन उन अधिकारियों में से एक थे, जिन्होंने 26 नवंबर 2008 में हुए मुंबई हमले में आतंकवादियों से लड़ते हुए अपनी जान गंवा दी थी। राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड के विशिष्ट विशेष कार्रवाई समूह के कमांडो थे। वहीं मरणोपरांत उनको अशोक चक्र से सम्मानित किया गया था। तो आइए जानते हैं उनकी बर्थ एनिवर्सरी के मौके पर संदीप उन्नीकृष्णन के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...


जन्म और शिक्षा

केरल के कोझिकोड में 15 मार्च 1977 को संदीप उन्नीकृष्णन का जन्म हुआ था। इनके पिता का नाम के.उन्नीकृष्णन था, जोकि इसरो के अधिकारी रह चुके थे। वही संदीप की मां का नाम धनलक्ष्मी उन्नीकृष्णन है। संदीप उन्नीकृष्णन अपने माता-पिता की इकलौती संतान थे। संदीप ने बेंगलुरु के फ्रैंक एंथनी पब्लिक स्कूल से पढ़ाई शुरू की थी। फिर साल 1995 में उन्होंने स3ाइंस स्ट्रम से आईएससी की।

इसे भी पढ़ें: Biju Patnaik Birth Anniversary: आधुनिक ओडिशा के शिल्पकार थे बीजू पटनायक, ऐसे बने राजनीति के हीरो

सेना में हुए शामिल

साल 1995 में संदीप उन्नीकृष्णन ने एनडीए में एडमिशन लिया था। इन चार सालों के बाद उनको वह करने का मौका मिला, जिसका सपना हर सैनिक देखता है। वहीं साल 1999 में कारगिल युद्ध में संदीप उन्नीकृष्णन को युद्ध करने का मौका मिला। फिर साल 2007 में उनको एनएसजी के स्पेशल सेक्शन ग्रुप में शामिल किया गया। संदीप उन्नीकृष्णन निडर होने के साथ-साथ बहादुर थे। वह मुश्किल हालात में सामना करने से पीछे नहीं हटते थे।


मुंबई हमले में दिखाई बहादुरी

वहीं जब 26 नवंबर 2008 को मुंबई के ताज होटल में हमला हुआ, तो आतंकवादियों ने लोगों को बंधक बना लिया और इन लोगों को बचाने के लिए एसएजी की जिस टीम को भेजा, उस टीम की कमान मेजर संदीप के हाथों में थी। वह अपने 10 कमांडों के साथ होटल की बिल्डिंग में घुसे। लगातार आतंकी उन पर गोली चला रहे थे। आतंकियों को पीछे हटाने के लिए सेना ने भी जवाबी कार्रवाई करनी शुरूकर दी। इस दौरान संदीप के एक साथी सुनील यादव को गोली लग गई। तब संदीप उनको बचाने के लिए दौड़े और सुनील यादव को बाहर भेज दिया।


इस दौरान कुछ गोलियां संदीप उन्नीकृष्णन को लगी। लेकिन मेजर ने हिम्मत नहीं हारी और उन्होंने सुरक्षापूर्वक 14 बंधकों को आजाद करा लिया। वहीं आतंकी भी जान बचाकर भागने लगे। मेजर संदीप ने भागते आतंकियों को ठिकाने लगाने के लिए ऊपर गए, तब उन्होंने अपने साथियों से कहा कि ऊपर मत आना, मैं इनसे निपट लूंगा। इस दौरान उन्होंने कुछ आतंकियों को मार गिराया था। लेकिन पीछे से एक आतंकी ने संदीप पर हमला कर दिया। गंभीर रूप से घायल होने के बाद भी संदीप आतंकियों से लड़ने रहे। संदीप उन्नीकृष्णन अपनी आखिरी सांस तक आतंकियों से डटकर मुकाबला किया था।


मृत्यु

बता दें कि 28 नवंबर 2008 को आतंकियों से लड़ते हुए संदीप उन्नीकृष्णन ने अपनी जान गंवा दी।

प्रमुख खबरें

शिक्षा के साथ ज्ञान-विज्ञान से जुड़े, मुस्लिमों को Nitin Gadkari ने दी सलाह

Crew 10 इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पहुंचा, नौ महीने बाद बुधवार को घर के लिए रवाना होंगे Butch Wilmore और Sunita Williams

अब चेहरे पर एक्ने और रिंकल्स नहीं होगे, बस इन सही तरीके से करें फेसवॉश

झारखंड के गिरिडीह में 36 वर्षीय व्यक्ति और उसके तीन बच्चों के शव मिले