By नीरज कुमार दुबे | Oct 10, 2024
किसी राज्य में विदेशी निवेश या निवेशक को लाना आसान काम नहीं होता। जिन राज्यों में विदेशी निवेशक हैं जरा उन राज्यों के मुख्यमंत्रियों से पूछिये कि उन्होंने इसके लिए कितना परिश्रम किया है। देखा जाये तो राज्य में जब कोई विदेशी निवेश करता है तो स्थानीय लोगों को उसका लाभ यह होता है कि बड़ी संख्या में उन्हें रोजगार मिलता है। यहां यह भी ध्यान रखना चाहिए कि जब कोई विदेशी कंपनी आती है तो वह भले हमारे नियम कानून का पालन करती है लेकिन उसकी अपनी कुछ नीतियां भी होती हैं जिनका उसे अनुपालन करना ही होता है। किसी विदेशी कंपनी की नीतियों का यदि विरोध किया जाये तो तमिलनाडु जैसा विवाद उत्पन्न होना स्वाभाविक ही है। हम आपको बता दें कि तमिलनाडु स्थित सैमसंग की फैक्ट्री में इस समय हड़ताल चल रही है। कर्मचारियों की मांग है कि उनकी यूनियन को मान्यता दी जाये लेकिन कंपनी का कहना है कि हम किसी राजनीतिक दल से ताल्लुक रखने वाली यूनियन को मान्यता नहीं देंगे। दरअसल यह सारा किया धरा वामपंथियों का है। इन्होंने पहले बंगाल में मिल और कारखाने बंद करवाये और अब वही काम यह दूसरे राज्यों में करना चाहते हैं। सैमसंग की फैक्ट्री में हड़ताल की खबरें जिस तरह अंतरराष्ट्रीय मीडिया मंचों पर छाई हुई हैं उससे भारत की छवि पर विपरीत असर पड़ रहा है। एक और भारत की सरकार और तमाम राज्य सरकारें विदेशों से निवेशकों को लाने के प्रयास कर रही हैं दूसरी ओर यह हड़ताल निवेशकों के मन में भय पैदा कर रही है।
जहां तक इस हड़ताल से जुड़ी ताजा खबर की बात है तो आपको बता दें कि तमिलनाडु सरकार ने कहा है कि सैमसंग इंडिया इलेक्ट्रॉनिक्स ने नौ सितंबर को हड़ताल करने वाले कर्मचारियों की अधिकांश मांगें मान ली हैं और कर्मचारियों से तुरंत काम पर लौटने का अनुरोध किया है। हालांकि रिपोर्टों की मानें तो कर्मचारी अब भी पीछे हटने को तैयार नहीं हैं। दरअसल सैमसंग के कर्मचारियों की एक प्रमुख मांग है कि उनकी यूनियन के पंजीकरण की अनुमति दी जाए, जिसे सीपीआई (एम) से संबद्ध सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियन्स (सीटू) का समर्थन प्राप्त है। इस मांग को अभी तक अधिकारियों ने स्वीकार नहीं किया गया है।
इस बारे में तमिलनाडु के उपमुख्यमंत्री उदयनिधि स्टालिन ने कहा है कि बहुराष्ट्रीय कंपनी सैमसंग के अपने नियम हैं। विवाद का एकमात्र मुद्दा कर्मचारी संघ का पंजीकरण है। उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘‘सैमसंग का कहना है कि वे किसी राजनीतिक संबद्धता वाले यूनियन को स्वीकार नहीं करेंगे। यह उनका रुख है। फिलहाल, इस पर चर्चा चल रही है।’’ वहीं वित्त मंत्री थंगम थेनारासु के अनुसार, सैमसंग द्वारा आपत्ति जताए जाने के मद्देनजर मामला अभी न्यायालय में है कि यूनियन को किसी राजनीतिक संबद्धता के समर्थन में होना चाहिए या नहीं। उन्होंने कहा, ‘‘सीटू ने 30 सितंबर को न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था और चूंकि मामला न्यायालय में विचाराधीन है, इसलिए हम इस पर चर्चा नहीं कर सकते। श्रम विभाग न्यायालय के फैसले के अनुसार कार्रवाई करेगा।’’ थेनारासु ने कहा कि सैमसंग ने अक्टूबर से कर्मचारियों को हर महीने विशेष प्रोत्साहन के रूप में 5,000 रुपये की अतिरिक्त राशि देने का फैसला किया है और यदि किसी कर्मचारी की ड्यूटी पर मृत्यु हो जाती है तो एक लाख रुपये की राहत प्रदान की जाएगी। उन्होंने कहा कि कर्मचारियों को वातानुकूलित बसों में सुविधा केंद्र तक पहुंचाया जाएगा और वे छुट्टियों की मौजूदा सूची के अलावा पारिवारिक समारोहों में भाग लेने के लिए छुट्टी भी ले सकेंगे।
इस बीच, इसी से जुड़े एक घटनाक्रम में मंगलवार रात को हड़ताल में शामिल कुछ लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया और बाद में मजिस्ट्रेट ने उन्हें 'अपने निजी मुचलके पर' रिहा कर दिया। दूसरी ओर, भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) ने आग्रह किया है कि राज्य में औद्योगिक विवाद का जल्द से जल्द सौहार्दपूर्ण समाधान निकाला जाए। बताया जा रहा है कि दक्षिण कोरिया की दिग्गज इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी सैमसंग के वरिष्ठ अधिकारियों ने रविवार को तमिलनाडु के उद्योग मंत्री टीआरबी राजा से भी मुलाकात की थी और अपने कारखाने में चल रही श्रमिक हड़ताल के मुद्दे को तेजी से हल करने पर चर्चा की थी।
हम आपको बता दें कि श्रीपेरंबदूर के पास स्थित संयंत्र में कुल 1,750 में से करीब 1,100 कर्मचारी नौ सितंबर से हड़ताल पर हैं। वे वेतन संशोधन और बेहतर कार्य स्थितियों सहित विभिन्न मांगों को लेकर हड़ताल पर हैं। वे यह भी मांग कर रहे हैं कि सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियंस (सीआईटीयू) द्वारा समर्थित सैमसंग इंडिया वर्कर्स यूनियन को राज्य सरकार द्वारा पंजीकृत किया जाए। हम आपको याद दिला दें कि पांच अक्टूबर को वामपंथी दलों के राज्य नेताओं सहित बड़ी संख्या में कार्यकर्ताओं को उस समय हिरासत में ले लिया गया था, जब वे संयंत्र के पास आंदोलनकारी श्रमिकों के साथ एकजुटता व्यक्त करने के लिए पुलिस की अनुमति के बिना प्रदर्शन कर रहे थे।
हम आपको यह भी बता दें कि सैमसंग इंडिया का कहना है कि कंपनी श्रमिकों के साथ सीधे बातचीत करके वेतन, लाभ और कार्य स्थिति सहित मुद्दों का समाधान करने के लिए प्रतिबद्ध है। बताया जा रहा है कि सैमसंग की फैक्टरी में हड़ताल के कारण उत्पादन प्रभावित हुआ था लेकिन अब स्थिति सामान्य है और कोरियाई इलेक्ट्रॉनिक दिग्गज ने यह सुनिश्चित किया है कि त्योहारों के मौसम में उसके उत्पादों को लेकर कोई व्यवधान उत्पन्न न हो। तमिलनाडु सरकार ने भी सैमसंग इंडिया इलेक्ट्रॉनिक्स कारखाने के आंदोलनकारी श्रमिकों से अन्य कर्मचारियों और उनके परिवारों के कल्याण को ध्यान में रखते हुए तत्काल काम पर लौटने का आग्रह किया है।