राजस्थान में तत्कालीन वसुंधरा राजे के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने साल 2015 को राजस्थान में ऊंट (वध का निषेध और अस्थायी प्रवासन का नियमन) पारित किया। इस अधिनियम के पारित होने के बाद से ऊंट पालने वाले और बेचने वालो का कारोबार बिल्कुल तरीके से ठप पड़ चुका है। अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस में छपी एक खबर के मुताबिक, इस अधिनियम के लागू होने से पहले ऊंट बेचने और खरीदने का व्यवसाय काफी जोरदार चलता था। राजस्थान के जैसलमेर जिले के निवासी गदुरम बिश्नोई के मुताबिक, इस अधिनियम से पहले वह हर महीने लगभग 4-5 ऊंट बेचते थे, एक ऊंट की बिक्री के लिए 30-40 हजार रुपये से अधिक की कमाई हो जाती थी। कई पीढ़ियों से ऊंट पालने वाले बिश्नोई ने कहा कि, 2015 के बाद से व्यापार में मंदी आ गई है।साल 2015 से पहले के व्यापार को याद करते हुए निवासी बिश्नोई ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि, वह हर महीने 4-5 ऊंट बेचते थे। कभी-कभी उन्हें एक ऊंट के लिए 40,000 रुपये तक की कीमत मिल जाती थी। लेकिन जब से यह कानून पारित हुआ है, तभी से ऊंटों की कीमतें 5,000 रुपये तक कम हो गई हैं।
राजस्थान के लोग कर रहे इस अधिनियम का विरोध
ऊंट प्रजनक 2015 अधिनियम में संशोधन की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन किए जा रहे है। लोगों का कहना है कि, राज्य के बाहर खरीदारों को ऊंट बेचने में असमर्थता के कारण उनके व्यवसाय को नुकसान पहुंच रहा है।इस कानून के तहत, ऊंटों के निर्यात और वध पर रोक है और स्थायी प्रवास या अन्य उद्देश्यों के लिए जानवर के निर्यात को नियंत्रित किया जाता है। अधिनियम के अनुसार, केवल प्राधिकारी या जिला कलेक्टर या राज्य सरकार द्वारा अधिकृत कोई अन्य अधिकारी ही पशु के अस्थायी प्रवास की अनुमति दे सकता है।पशु-पालक संस्थान ऊंट प्रजनकों के कल्याण के लिए काम करने वाली संस्था के निदेशक हनवंत सिंह ने कहा कि, “राजस्थान के बाहर ऊंटों के परिवहन की अनुमति प्राप्त करने की प्रक्रिया इतनी जटिल है कि इसमें अक्सर महीनों लग जाते हैं। वहीं हरियाणा और पंजाब जैसे अन्य राज्यों के कई खरीदार जिन्होंने पहले राजस्थान से ऊंट खरीदे और उन्हें कृषि उद्देश्यों के लिए अपने राज्यों में ले गए, ने 2015 के कानून पारित होने के बाद से ऊंट खरीदना बंद कर दिया है"।
खबर के मुताबिक, 14 अगस्त को, लगभग 20 ऊंट प्रजनकों ने पाली जिले के सदरी में विरोध प्रदर्शन किया, और मांग की कि उन्हें राज्य के बाहर खरीदारों को ऊंट बेचने की अनुमति दी जाए। राजस्थान के कृषि और पशुपालन मंत्री लालचंद कटारिया ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि, ऊंट प्रजनकों द्वारा उठाए गए मुद्दों को देखने के लिए एक मंत्रिस्तरीय उप-समिति का गठन किया गया है और इसकी एक बैठक भी हुई है। समिति द्वारा अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने के बाद, हम आगे की कार्रवाई पर निर्णय लेंगे ”।