By टीम प्रभासाक्षी | Mar 19, 2022
रूस और यूक्रेन के बीच जंग 24 दिनों से जारी है। हालांकि,रूसी सेना को अब तक कीव या खारकीव में कोई खास सफलता नहीं मिली है। इसी बीच पश्चिमी देशों ने रूस पर प्रतिबंधों की झड़ी लगा दी है। करीब दो दर्जन से ज्यादा विदेशी कंपनियों ने रूस के बाजार से हाथ खींच लिए हैं। इसमें बड़ी रिटेल चेन्स से लेकर दवा कंपनियां तक शामिल है। इस बीच भारत में रूस के राजदूत डेनिस अलीपोव मे कहा है भारतीय दवा कंपनीयां रुसी बाजार छोड़ने वाले पश्चिमी दवा उत्पादकों की जगह ले सकती हैं।
रूसी राजदूत ने रोसिया 4 न्यूज़ चैनल को दिए साक्षात्कार में कहा कि, भारत दुनिया भर की फार्मेसी का बाजार है और जेनेरिक दवाओं का सबसे बड़ा उत्पादक है, जो कि किसी भी असल दवा से कम नहीं हैं। अलिपोव ने स्पूतनिक एजेंसी से कहा कि रूसी बाजार से पश्चिमी कंपनियों का निकलना भारतीय कंपनियों के लिए लाभदायक हो सकता है। खासकर फार्मा इंडस्ट्री में।
फार्मास्युटिकल में निर्माताओं को बदलने का यह निर्णय ऐसे समय में आया है जब रूस पर पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों की बौछार हो रही है। अब रूस गैर-यूरोपीय देशों के साथ आर्थिक जुड़ाव बढ़ाना चाहता है। इस महीने की शुरुआत में, रूसी राजदूत ने कहा था कि रूस-यूक्रेन संघर्ष के बीच मास्को ने भारत की स्वतंत्र विदेश नीति का स्वागत किया है।
भारत के साथ संबंधों पर बात करते हुए, अलीपोव ने कहा, हमने बार-बार कहा है कि अंतरराष्ट्रीय मामलों भारत की जो स्वतंत्र रहने की नीति है, उस पर प्रधानमंत्री मोदी और भारतीय नेतृत्व कायम है। हमने बार-बार कहा है कि हमने भारत की स्वतंत्र विदेश नीति का स्वागत किया है और अंतरराष्ट्रीय क्षेत्र में इसके प्रभाव को मजबूत किया है। रूसी राजदूत ने रूस-यूक्रेन संघर्ष में भारत के रुख की भी सराहना की।