Maval क्षेत्र में 'महाविकास विकास अघाड़ी' के लिए राहें आसान नहीं, Eknath Shinde के गुट ने विधानसभा चुनाव से पहले बनाई बढ़त

By Anoop Prajapati | Sep 07, 2024

मावल लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र महाराष्ट्र का महत्वपूर्ण संसदीय क्षेत्र है। जहां इस लोकसभा क्षेत्र के निर्माण के बाद से ही शिवसेना का कब्जा बना हुआ है। 2024 के चुनाव में एकनाथ शिंदे के गुट वाली शिवसेना के श्रीरंग बरने चुनाव जीतने में सफल रहे थे। बरने लगातार तीन बार से सांसद हैं। 2002 को गठित भारत के परिसीमन आयोग की सिफारिशों के बाद 2008 में यह संसदीय निर्वाचन क्षेत्र अस्तित्व में आया। यहां पहली बार 2009 में सांसद चुनने के लिए मतदान संपन्न हुआ। यह क्षेत्र पुणे जिले में पश्चिम की ओर है। पहाड़ियों से घिरे इसे इलाके से कई नदियां भी बहती हैं। इस कारण यह प्राकृतिक रूप से बेहद सुंदर क्षेत्र है।


महाराष्ट्र का मावल लोकसभा क्षेत्र महाराष्ट्र के रायगढ़ और पुणे जिलों के तहत आता है। जिसमें पनवेल, कर्जत, उरण, मावल, चिंचवाड और पिंपरी विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं। 2019 के चुनाव में इन विधानसभा क्षेत्र में से दो-दो पर बीजेपी और एनसीपी चुनाव जीतने में सफल रही थी। तो वहीं, एक सीट शिवसेना और एक निर्दलीय उम्मीदवार के खाते में भी गई थी। राज्य में 2008 में हुए परिसीमन के बाद अस्तित्व में आया कर्जत विधानसभा क्षेत्र पर पिछले चुनाव में शिवसेना के महेंद्र थोर्वे ने कब्जा जमाया था। इसके पहले यह क्षेत्र लगातार 10 साल से एनसीपी के सुरेश लाड के पास था।


इस लोकसभा क्षेत्र की पनवेल विधानसभा सीट मार्क्सवादी पार्टी पीजेंट एंड वर्कर्स पार्टी ऑफ़ इंडिया का मजबूत गढ़ रही है। पार्टी ने यहां 1962 से लेकर 2009 तक एकछत्र राज किया है। जिसके बाद कांग्रेस के टिकट पर प्रशांत ठाकुर चुनाव जीतने में सफल रहे थे। 2014 में विधायक ठाकुर ने भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ग्रहण कर ली थी। जिसके बाद वे लगातार दो बार से बीजेपी के टिकट पर विधानसभा पहुंच रहे हैं। राज्य की विधानसभा में 190 नंबर से जाना जानेवाला उरण विधानसभा क्षेत्र के मतदाताओं ने पिछले चुनाव में किसी बड़ी राजनीतिक पार्टी को जीतने का मौका ना देते हुए एक निर्दलीय उम्मीदवार पर भरोसा जताया था। फिलहाल यहां से महेश बाल्दी विधायक हैं। जिनके पहले शिवसेना के मनोहर भोईर भी इस क्षेत्र की जनता की आवाज विधानसभा में पहुंच चुके हैं। 


मावल लोकसभा क्षेत्र की मावल विधानसभा सीट 1962 में महाराष्ट्र राज्य के गठन के साथ ही अस्तित्व में आ गई थी। इस क्षेत्र पर बीजेपी का 1995 से लेकर 2014 तक लगातार कब्जा रहा है। लेकिन पिछले चुनाव में पार्टी को एनसीपी के नेता सुनील शंकरराव शेलके से शिकस्त झेलनी पड़ी थी। विधायक शेलके के पहले बीजेपी के ​​बाला भेगड़े यहां से विधायक थे। इस लोकसभा क्षेत्र की चिंचवाड विधानसभा सीट राज्य में 2008 के परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई है। जहां पर 2009 के चुनाव में दिवंगत नेता लक्ष्मण पांडुरंग जगताप ने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में जीत हासिल की थी। 


इसके बाद विधायक जगताप 2014 और 2019 के चुनाव में बीजेपी के टिकट पर जितने में सफल रहे थे। लेकिन उनका 2023 में निधन हो गया था, जिसके बाद पार्टी ने उनके बेटे अश्विनी जगताप को उपचुनाव में अपना प्रत्याशी बनाकर विधानसभा पहुंचाया था। इस लोकसभा क्षेत्र की पिंपरी विधानसभा सीट अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित है। जो पूरी तरह से पुणे जिले के अंतर्गत ही आती है। इस क्षेत्र के मतदाताओं ने एनसीपी और शिवसेना को छोड़कर किसी तीसरे दल को अपना प्रतिनिधित्व करने का मौका नहीं दिया है। यहां से एनसीपी के अन्ना बनसोड़े 2009 और 2019 में चुनाव जीतने में सफल रहे थे। तो वहीं, 2014 के चुनाव में शिवसेना के गौतम चाबुकस्वार ने जीत हासिल की थी।

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