By अनन्या मिश्रा | Oct 10, 2023
पढ़ने-लिखने और साहित्य से रूचि रखने वाले लोगों ने आरके नारायण का नाम तो जरूर सुना होगा। आरके नारायण का नाम उत्कृष्ट भारतीय लेखकों में शुमार थे। वह अंग्रेजी के लेखक थे। वहीं उनका पूरा नाम रासीपुरम कृष्णास्वामी नारायणस्वामी था। आज के दिन यानी की 10 अक्टूबर को आरके नारायण का जन्म हुआ था। उन्होंने दक्षिण भारत के काल्पनिक शहर मालगुड़ी को आधार बनाकर अपनी रचनाएं की। आइए जानते हैं उनके बर्थ एनिवर्सरी के मौके पर आरके नारायण के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...
जन्म और शिक्षा
भारत के मद्रास में 10 अक्टूबर 1906 को आर के नारायण का जन्म हुआ था। इनका पालन-पोषण दादी द्वारा किया गया था। वहीं साल 1930 में वह अपनी शिक्षा पूरी कर लेखन कार्य में लग गए। हांलाकि लेखन में जुट जाने का फैसला लेने से पहले वह कुछ समय तक शिक्षक के तौर पर भी काम किया था। लेकिन अंग्रेजी के महान उपन्यासकार आरके नारायण ग्रैजुएशन की परीक्षा में अंग्रेजी विषय में फेल हो गए थे। हांलाकि बाद में वह परीक्षा देकर पास हुए।
पहला उपन्यास
आरके नारायण ने कॉलेज के दिनों से लिखना शुरू कर दिया था। साल 1935 उनका पहला उपन्यास 'स्वामी एंड फ्रेंड्स' में आया था। वहीं दूरदर्शन ने 'मालगुडी डेज' पर धारावाहिक बनाया। जिसे दर्शक आज तक नहीं भूल पाए। मालगुडी डेज को हिंदी और अंग्रेजी में बनाया गया था। मालगुडी डेज़ के कुल 39 एपिसोड दूरदर्शन पर प्रसारित हुए। आरके नारायण ने दक्षिण भारत के काल्पनिक शहर मालगुड़ी को आधार बनाकर अपनी रचनाएं की। आपको बता दें कि आरके नारायण की कई रचनाओं पर धारावाहिक और फिल्म बन चुके हैं।
नोबेल पुरस्कार
आपको बता दें कि कई बार साहित्य के नोबल पुरस्कार के लिए नारायण का नाम नामित किया गया। लेकिन उन्हें कभी नोबेल पुरस्कार नहीं मिला। इसके पीछे की एक सच्चाई यह भी है कि सम्पन्न पश्चिमी देशों की राजनीति नोबल पुरस्कार पर हावी रही। नोबेल पुरस्कार से उन लेखकों को सम्मानित किया जाता था, जिनके लेखन से उनके हितों की पूर्ति होती है। वहीं आरके नारायण हमेशा खरी भाषा में अपनी बात कहते थे, जिस कारण वह उनकी कसौटी पर कभी खरे नहीं उतर पाए। बता दें कि विश्व में अंग्रेजी के वह सबसे फेमस लेखक माने जाते हैं।
साल 1986 में आरके नारायण के उपन्यास 'द गाइड' के लिए उनको साहित्य अकादमी के सम्मान से सम्मानित किया गया था। वहीं भारत सरकार द्वारा उनको 'पद्मभूषण' और 'पद्मविभूषण' से सम्मानित किया गया। इसके अलावा साहित्य में उनके योगदान को देखते हुए साल 1989 में नारायण को राज्यसभा का मानद सदस्य चुना गया। बता दें कि नारायण को मैसूर विश्वविद्यालय, दिल्ली विश्वविद्यालय और यूनिवर्सिटी आफ लीड्स ने डॉक्टरेट की मानद उपाधियां भी प्रदान की गई थीं।
फेमस कृतियां
- द इंग्लिश टीचर
- वेटिंग फ़ॉर द महात्मा
- द गाइड
- द मैन ईटर आफ़ मालगुडी
- द वेंडर ऑफ़ स्वीट्स
- अ टाइगर फ़ॉर मालगुडी
- फेमस कहानियां
- लॉली रोड
- अ हॉर्स एण्ड गोट्स एण्ड अदर स्टोरीज़
- अंडर द बैनियन ट्री एण्ड अद स्टोरीज़
निधन
आर.के.नारायण धारदार कलम और मधुर मुस्कान के धनी थे। अपने आखिरी समय में वह चेन्नई शिफ्ट हो गए थे। 13 मई 2001 को 94 साल की आयु में उन्होंने अपनी लेखन यात्रा को सदा के लिए विराम दे दिया।