By अशोक मधुप | Oct 26, 2022
भारतीय मूल के ऋषि सुनक ब्रिटेन के अगले प्रधानमंत्री होंगे। उन्हें कंज़र्वेटिव पार्टी का नेता चुन लिया गया। वो ब्रिटेन के पहले एशियाई मूल के भी प्रधानमंत्री होंगे। सर ग्राहम ब्रैडी ने इसकी औपचारिक घोषणा कर दी है। सुनक को करीब 200 सांसदों का समर्थन मिला। इससे पहले उनकी प्रतिद्वंद्वी पेनी मॉरडॉन्ट ने मात्र 26 सांसदों का ही समर्थन मिलता देख अपनी दावेदारी दावेदारी वापस ले ली थी। इस घटनाक्रम को देख किंग चार्ल्स लंदन लौट आए। लिज ट्रस ने उन्हें इस्तीफा सौंप दिया। इसके कुछ देर बाद किंग चार्ल्स ने ऋषि सुनक को प्रधानमंत्री का नियुक्ति पत्र सौंप दिया। 28 अक्टूबर को सुनक प्रधानमंत्री पद की शपथ लेंगे। इसके बाद 29 अक्टूबर को कैबिनेट का ऐलान किया जाएगा।
प्रधानमंत्री पद के नाम के ऐलान के बाद सुनक ने पार्टी के नेताओं के सामने अपना पहला भाषण दिया। उन्होंने सबसे पहले त्यागपत्र देने वाली प्रधानमंत्री लिज़ ट्रस को "देश और दुनिया की मुश्किल परिस्थितियों में उनके नेतृत्व" के लिए शुक्रिया कहा। उन्होंने कहा, "मैं जिस पार्टी से प्यार करता हूं, उसकी सेवा करना और अपने देश को कुछ वापस दे पाना मेरे जीवन का सबसे बड़ा सम्मान है।'' उनकी विजय पर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें बधाई संदेश भेजा है।
हम भारतीय भाग्य को मानते हैं। ऋषि सुनक के प्रधानमंत्री बनने में भी उनके भाग्य का प्रबल होना रहा। ऋषि सुनक के भाग्य ने जोर मारा और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री लिज ट्रस ने त्यागपत्र दे दिया। उनका कार्यकाल मात्र 45 दिन रहा। यदि वे त्यागपत्र न देतीं तो ऋषि सुनक प्रधानमंत्री न बन पाते। वे प्रधानमंत्री बन तो गए लेकिन उनके सामने चुनौती बहुत होंगी। चुनौती के सामने आकर मुकाबला कर अपने को इन हालात पर काबू पाने में सक्षम साबित करना है। साबित करना है कि वे पहले प्रधानमंत्री लिज ट्रस की तरह 45 दिन में भागने वाले नहीं हैं।
इस पद पर रहकर उन्हें श्वेतों का जहां विश्वास जीतना है। देश के हितों के लिए दिन-रात काम करना होगा, उन्हें ब्रिटेन में रहने वाले भारतवंशियों के हितों का भी ध्यान देना है। ऋषि सुनक भारतीय मूल से हैं, इसलिए भारत देश, यहां की जनता के और भारत के विकास के लिए काम करना होगा। भारत के लोगों के लिए ब्रिटेन में सरल आवाजाही और रहने की व्यवस्था उपलब्ध करानी होगी। 42 साल के ऋषि सुनक हिंदू हैं और धार्मिक तौर तरीके भी अपनाते हैं। साल 2015 में संसद का पहली बार चुनाव जीतने के बाद उन्होंने गीता पर हाथ रखकर शपथ ली थी। ऋषि भारतीय सॉफ्टवेयर कंपनी इंफोसिस के को-फाउंडर नारायण मूर्ति के दामाद हैं। ऋषि सुनक के पेरेंट्स पंजाब के रहने वाले थे, जो विदेश में जाकर बस गए। सुनक का जन्म ब्रिटेन के हैंपशायर में हुआ था। ऋषि ने अमेरिका की स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी से एमबीए किया है।
सुनक की जीत का एक बड़ा कारण उनकी बैंकर की छवि रही है। बतौर प्रधानमंत्री लिज ट्रस के विफल रहने का सबसे बड़ा कारण उनका आर्थिक मोर्चे पर विफल रहना था। ब्रिटेन में महंगाई चुनाव का अहम मुद्दा रहा। ब्रिटेन में आर्थिक अस्थिरता भी रही। इसके बाद जॉनसन सरकार में वित्त मंत्री रह चुके सुनक इकोनॉमिक बेल आउट प्लान लाए थे। इस प्लान को मिडिल क्लास ने खासा सराहा था और लोगों के बीच उनकी लोकप्रियता बढ़ गई।
दरअसल डेढ़ माह पूर्व हुए चुनाव में भी शुरुआती चरण में ऋषि सुनक लिज ट्रस से काफी आगे थे। वह अंतिम चरण में इसलिए पिछड़ गए कि कंजर्वेटिव पार्टी के श्वेत सांसद किसी अश्वेत को अपने ऊपर बैठा देखना नहीं चाहते थे। कंजर्वेटिव पार्टी के 97 प्रतिशत सदस्य श्वेत यानी गोरे हैं। उनमें भी 50 प्रतिशत से अधिक पुरुष हैं। कुल सदस्यों में से 44 प्रतिशत ऐसे सदस्य हैं, जिनकी उम्र 65 साल से ज़्यादा है। लिहाजा, उनकी पहली पसंद लिज ट्रस ही थीं। बताया गया कि पूरे चुनाव के दौरान कंजर्वेटिव पार्टी की युवा पीढ़ी ऋषि के पक्ष में खुलकर नजर आई, लेकिन वरिष्ठ सदस्यों का झुकाव लिज ट्रस की तरफ साफ दिखाई दिया। पुराने और गोरे सांसद नहीं चाहते थे, कि हमारे गुलाम देश का कोई अश्वेत हमारा प्रधानमंत्री बने। इसी कारण पिछली बार हुए चुनाव के आखिर में वह पिछड़ गए। जबकि उन्हें भारतवंशियों का भरपूर समर्थन भी मिल रहा था।
इस्तीफा देने वाली लिज ट्रस की सरकार में कुछ मंत्री भारत विरोधी थे। भारतीय मूल की ब्रिटेन की गृह मंत्री सुएला ब्रेवरमैन ने अपने एक बयान में भारत ब्रिटेन के मुक्त व्यापार समझौते का विरोध किया था। कहा था कि इस डील के बाद भारतीयों की ब्रिटेन में भीड़ बढ़ जाएगी। हालांकि बाद में वह अपने इस बयान से पलट गईं। बुधवार को अपने विवादित बयान पर सफाई देते हुए उन्होंने कहा कि भारतीय प्रवासियों के कारण ब्रिटेन आज समृद्ध है। लगता है कि ऋषि सुनक के प्रधानमंत्री बनने के बाद ब्रिटेन सरकार के मंत्रियों के व्यवहार में परिवर्तन आएगा। ब्रिटेन आने के इच्छुक भारतीयों को सरल और सस्ता वीजा मिलेंगे। मुक्त व्यापार के समझौते को लागू करने में आ रही समस्याओं को वह खुद रूचि लेकर निपटाएंगे।
जो श्वेत सांसद किसी अशवेत को प्रधानमंत्री नहीं देखना चाहते थे, उनके सामने ऋषि सुनक को अपनी काबलियत साबित करनी होगी। उनके सामने सिद्ध करना होगा कि विद्वता में अश्वेत किसी से कम नहीं हैं। एक किस्सा आता है कि एक राज्य के राजा का निधन हुआ। राज्य का नियम था कि राजा के निधन के अगले दिन राजा का हाथी नगर में अपनी सूंड में माला लेकर निकलता। नगर में घूमने वाले जिस व्यक्ति को वह माला पहना देता, वह अगले पांच साल के लिए राजा बन जाता। एक व्यक्ति ऐसे ही राजा बना। उसने वहां की समस्या समझी। उनका निदान किया। राज करते पांच साल हो गए। व्यवस्था थी कि पांच साल बाद राजा नगर के किनारे से बहने वाली नदी को परिवार सहित पार कर दूसरी ओर जाता। इस नदी में बड़े−बडे घड़ियाल रहते थे। ये घड़ियाल राजा और उसके परिवार को खा जाते। राजा के नदी पार करने का दिन आया। पूरे राज की जनता राजा की विदाई का दृश्य देखने नदी के किनारे एकत्र हुई। राजा परिवार के साथ रथ से नदी किनारे आया। उन्होंने अपने कार्यकाल में नदी पर पुल बनवा दिया था। उस पुल से आराम से परिवार सहित नदी पार करके वह दूसरी साइड में चले गए। दूसरी साइड के वन को उसने अपने कार्यकाल में शानदार नगर में तब्दील कर दिया था। इस नगर में अपने लिए महल भी बनवाया था। वह इस नए नगर में जाकर आराम से रहने लगा।
ऋषि सुनक को उनके भाग्य ने प्रधानमंत्री तो बना दिया। अब उन्हें अपनी विद्वता से वहां की समस्याओं पर काबू पाना है। दुनिया के सामने चीन की आक्रामकता बड़ी चुनौती है। इसके लिए भी ब्रिटेन को उन्हें तैयार करना होगा। देश के विकास और समृद्धि की योजनाएं बनानी ही नहीं होंगी, उन्हें तेजी से लागू करना भी उनकी प्राथमिकता होगी।
-अशोक मधुप
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)