By अभिनय आकाश | Mar 14, 2023
केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने मंगलवार को समलैंगिक विवाहों के सरकार के विरोध का बचाव करते हुए कहा कि यह भारतीय परंपरा और लोकाचार पर आधारित है। "किसी भी लिंग का व्यक्ति एक विशेष जीवन जीना चुन सकता है। लेकिन जब आप शादी की बात करते हैं तो यह एक संस्था है। ये विभिन्न प्रावधानों और कानूनों से निर्देशित होती है। सरकार ने रविवार को सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दायर कर तर्क दिया कि समलैंगिक वैवाहिक संघों की कानूनी मान्यता देश में व्यक्तिगत कानूनों के नाजुक संतुलन और स्वीकृत सामाजिक मूल्यों के साथ "पूर्ण विनाश" का कारण बनेगी। इसने कहा कि भारत में विधायी नीति विवाह को केवल जैविक पुरुष और जैविक महिला के बीच बंधन के रूप में मान्यता देती है।
सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता दिए जाने के अनुरोध वाली याचिकाओं को सोमवार को पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ के पास भेज दिया और कहा कि यह मुद्दा ‘बुनियादी महत्व’ का है। प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा और न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला की पीठ ने कहा कि यह मुद्दा एक ओर संवैधानिक अधिकारों और दूसरी ओर विशेष विवाह अधिनियम सहित विशेष विधायी अधिनियमों से संबंधित है, जिसका एक-दूसरे पर प्रभाव है। पीठ ने कहा, ‘‘हमारी राय है कि यदि उठाए गए मुद्दों को संविधान के अनुच्छेद 145 (3) के संबंध में पांच न्यायाधीशों की पीठ द्वारा हल किया जाता है, तो यह उचित होगा।