Prabhasakshi Newsroom | महाराष्ट्र में आरक्षण का मुद्दा फिर गरमाया? नहीं थम रहा बवाल, सरकार ने बुलाई सर्वदलीय बैठक

By रेनू तिवारी | Sep 11, 2023

महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने कहा कि मराठा आरक्षण के मुद्दे पर चर्चा के लिए सोमवार को मुंबई में एक सर्वदलीय बैठक बुलाई गई है। मुंबई से लगभग 380 किलोमीटर दूर कोल्हापुर शहर में रविवार को एक रैली को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, मराठा समुदाय को आरक्षण देते समय यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि अन्य पिछड़ा वर्ग प्रभावित न हो। केवल चर्चा और बैठकों से ही इस मुद्दे का समाधान होगा। उन्होंने कहा कि आरक्षण मुद्दे पर चर्चा के लिए सोमवार को मुंबई में सर्वदलीय बैठक बुलाई गई है। मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जारांगे पिछले 13 दिनों से इस मांग को लेकर भूख हड़ताल पर हैं। राज्य सरकार और जारांगे के बीच अब तक कई दौर की बातचीत हो चुकी है, लेकिन सभी बेनतीजा रही है। आपको बता दें कि साल 2018 में महाराष्ट्र सरकार ने कानून बनाकर मराठा समुदाय को 13% आरक्षण दिया था, मगर मई 2021 में सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की संवैधानिक बेंच ने मराठा आरक्षण पर रोक लगा दी और कहा कि आरक्षण को लेकर 50 फीसदी की सीमा को नहीं तोड़ा जा सकता। सुप्रीम कोर्ट ने साल 1992 में आरक्षण की सीमा को अधिकतम 50 फीसदी तक सीमित कर दिया था। मराठा समुदाय के लोगों की मांग है कि उन्हें नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण दिया जाए, जैसे पिछड़ी जातियों को मिला हुआ है।

इसे भी पढ़ें: इंजन में आग लगने के बाद विमान के केबिन में भरा धुआं, नौ यात्रियों की तबीयत बिगड़ी

मराठा आरक्षण की मांग को लेकर ताजा विरोध प्रदर्शन का चेहरा बने किसान परिवार से आने वाले मनोज जारांगे ने महाराष्ट्र के किसानों और अपने समुदाय से संबंधित मुद्दों को उठाने से पहले राजनीति में हाथ आजमाया था। जारांगे ने जब 29 अगस्त को निकटवर्ती जालना जिले के एक गांव में मराठा आरक्षण के समर्थन में अपनी अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू की थी, तब इस पर किसी का खास ध्यान नहीं गया था, लेकिन एक सितंबर को उस समय सब कुछ बदल गया जब स्थानीय अधिकारियों द्वारा उन्हें अस्पताल ले जाने की कोशिश करने के कारण हिंसा भड़क गई। इसके बाद हुए घटनाक्रम ने 14 महीने पुरानी एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली तीन दलों की सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती खड़ी कर दी। 


विपक्ष ने जारांगे और मराठा आरक्षण की मांग के समर्थकों पर पुलिस कार्रवाई के लिए उपमुख्यमंत्री एवं राज्य के गृह मंत्री देवेंद्र फडणवीस के इस्तीफे की मांग की। पिछले शुक्रवार को जालना जिले के अंतरवाली सारथी गांव में प्रदर्शनकारियों ने अधिकारियों को जारांगे को अस्पताल ले जाने से रोक दिया, जिसके बाद हिंसक भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने लाठीचार्ज किया और आंसू गैस के गोले छोड़े। हिंसा में 40 पुलिस कर्मियों सहित कई लोग घायल हो गए और 15 से अधिक राज्य परिवहन बसों में आग लगा दी गई। 

 

इसे भी पढ़ें: अक्टूबर तक कॉल मनी मार्केट में प्रायोगिक रूप से डिजिटल रुपये की शुरुआत कर सकता है आरबीआई


विरोध प्रदर्शन और पुलिस कार्रवाई के चलते लगभग 40 वर्ष के दुबले-पतले कार्यकर्ता जारांगे चर्चा में आए और शिवसेना-भाजपा-राकांपा (अजित पवार समूह) सरकार को एक बार फिर शिक्षा व नौकरियों में मराठों के लिए आरक्षण के बारे में बात शुरू करनी पड़ी। मराठा आरक्षण एक भावनात्मक मुद्दा है, जो कानूनी विवाद में उलझा हुआ है। जारांगे मूल रूप से मध्य महाराष्ट्र के बीड जिले के एक छोटे से गांव मटोरी के रहने वाले हैं और उन्हें जानने वाले लोगों के अनुसार, उन्होंने किसानों और मराठा समुदाय के लिए आंदोलन करने से पहले दलगत राजनीति में कुछ समय बिताया था। 


मटोरी में रहने वाले पत्रकार राजेंद्र काले ने बताया कि जारांगे ने अपनी स्कूली शिक्षा गांव में ही पूरी की। मटोरी में कुछ साल बिताने के बाद, वह जालना जिले के अंबाद तहसील के अंतर्गत शाहगढ़ चले गए, जहां उन्होंने एक होटल में काम किया। काले ने कहा कि इसके बाद उन्हें अंबाद की एक चीनी मिल में नौकरी मिल गई, जहां से वे राजनीति में आए। उनकी पत्नी और बच्चे जालना के शाहगढ़ में रहते हैं। काले ने कहा कि जारांगे ने पहले मराठा आरक्षण आंदोलन में जान गंवाने वाले लोगों के परिवारों को सरकारी मुआवजा दिलाने में अग्रणी भूमिका निभाई थी। 


मराठा समुदाय को आरक्षण देने के लिए आंदोलन चलाने वाले संगठनों में शुमार मराठा क्रांति मोर्चा (एमकेएम) के समन्वयक प्रोफेसर चंद्रकांत भरत ने कहा, कांग्रेस पार्टी के लिए काम करते हुए, वह वर्ष 2000 के आसपास युवा कांग्रेस के जिला अध्यक्ष बने। हालांकि, कुछ राजनीतिक मुद्दों पर वैचारिक मतभेदों के कारण, उन्होंने कांग्रेस छोड़ दी और मराठा समुदाय के संगठन के लिए काम करना शुरू कर दिया। फिर 2011 में उन्होंने एक संगठन बनाया जिसका नाम है शिवबा संगठन। भरत ने कहा, जारांगे ने किसानों से संबंधित मुद्दे भी उठाए और 2013 में, उन्होंने जालना जिले के किसानों के लिए जयकवाड़ी बांध से पानी छोड़ने के लिए एक आंदोलन चलाया।



प्रमुख खबरें

Sania Mirza Birthday: ग्रैंड स्लैम जीतने वाली पहली महिला खिलाड़ी हैं सानिया मिर्जा, आज मना रहीं 38वां जन्मदिन

आदिवासी नेता बिरसा मुंडा की जयंती पर दिल्ली के सराय काले खां चौक का नाम बदलकर उनके नाम पर रखा गया

Jharkhand Foundation Day 2024: 15 नवंबर को मनाया जाता है झारखंड स्थापना दिवस, आदिवासियों की मांग पर हुआ था राज्य का गठन

IND vs SA: जोहानिसबर्ग में साउथ अफ्रीका को हराकर सीरीज जीतना चाहेगा भारत, जानें पिच और मौसम रिपोर्ट