By प्रेस विज्ञप्ति | Jan 25, 2022
लखनऊ। उप्र राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव, सुदीप कुमार जायसवाल ने बताया कि मा0 न्यायमूर्ति एमवी रमन्ना, मुख्य न्यायधीश मा0 उच्चतम न्यायालय/मुख्य संरक्षक, एवं मा न्यायमूर्ति यूयू नामित न्यायधीश उच्चतम न्यायालय/कार्यपालक अध्यक्ष राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (नालसा) के कुशल निर्देशन में विगत वर्ष 2021 में राष्ट्रीय लोक अदालतों में माध्यम से पूरे भारतवर्ष में 1,27,87,329 वादों का निस्तारण किया गया। उन्होनें बताया कि नई दिल्ली में आयोजित 26 जनवरी, 2022 गणतंत्र दिवस के परेड में लोक अदालत से संबधित “एक मुट्ठी आसमा” विषयक झांकी का भी प्रदर्शन किया जा रहा है।
सदस्य उप्र राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण ने बताया कि एक मुटठी आसमां लोक अदालत, समावेशी न्याय व्यवस्था 'एक मुटठी आसमां' थीम, गरीबों तथा समाज के हाशिए पर रहने वाले वर्गों के लिए भरोसा, दृढ निश्चय तथा आशा का प्रतीक है। विधिक सेवा प्राधिकरणों का गठन समाज के कमजोर वर्गों को मुफ्त एवं सक्षम विधिक सेवाओं को प्रदान करने के लिए, ताकि आर्थिक या किसी भी अन्य कारणों से कोई भी नागरिक न्याय पाने से वंचित न रहे तथा लोक अदालत का आयोजन करने के लिए किया गया है, जिससे कि न्यायिक प्रणाली समान अवसर के आधार पर सबके लिये न्याय सुगम बना सके। लोक अदालत क़ानूनी विवादों का, सुलह की भावना से, न्यायालय से बाहर समाधान करने का वैकल्पिक विवाद निष्पादन का अभिनव तथा सर्वाधिक लोकप्रिय माध्यम है, जहाँ आपकी समझ-बुझ से विवादों का समाधान किया जाता है। लोक अदालत सरल एवम् अनौपचारिक प्रक्रिया को अपनाती है तथा विवादों का अविलम्ब निपटारा करती है। इसमें पक्षकारों को कोई शुल्क भी नहीं लगता है। लोक अदालत से न्यायालय में लंबित मामले का निष्पादन होने पर, पहले से भुगतान किये गये अदालती शुल्क को भी वापस कर दिया जाता है।
जायसवाल ने बताया कि लोक अदालत का आदेश अंतिम होता है जिसके खिलाफ अपील नहीं की जा सकती। लोक अदालत से मामले के निपटारे के बाद दोनों पक्ष विजेता रहते है तथा उनमे निर्णय से पूर्ण संतुष्टि की भावना रहती है, इसमें कोई भी पक्ष जीतता या हारता नहीं है। राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण ने जन-जन के दर तक न्याय की इस तीव्रतर प्रणाली को पहुँचाया है और अदालतों का बोझ बड़े पैमाने पर घटाया है। वर्ष 2021 में आयोजित की गई राष्ट्रीय लोक अदालतों में, एक करोड़ पचीस लाख से ज्यादा मामलों का निपटारा किया गया है। झांकी का अग्रभाग ‘न्याय सबके लिए' को बिम्बित करता है, जो कि भयमुक्तता, भरोसा तथा सुरक्षा का धोतक है। झांकी के पृष्ट भाग में, एक हाथ की पांचों उँगलियाँ खुलती हुई दिखाई पड़ती है, जो लोक अदालतों के पांच मार्ग दर्शक सिद्धान्तों को दर्शाती है, सब के लिए सुगम्यता, निश्चयात्मकता, सुलभता, न्यायसंगतता तथा शीघ्र न्याय।