By अंकित सिंह | Nov 30, 2021
बिहार में सार्वजनिक मंदिरों को लेकर महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया है। यह निर्णय बिहार राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड की तरफ से लिया गया है। निर्णय के मुताबिक अब सभी सार्वजनिक मंदिरों के रजिस्ट्रेशन अनिवार्य होंगे। इसके लिए पूरे दिसंबर में एक महा अभियान चलाया जाएगा। इसको लेकर बोर्ड ने राज्य के सभी जिला अधिकारियों से गैर रजिस्टर्ड मंदिरों की सूची मांगी। जैसे ही जिलाधिकारियों की ओर से सूची उपलब्ध करा दी जाएगी, वैसे ही रजिस्ट्रेशन भी शुरू हो जाएगा।
बोर्ड ने बताया कि फिलहाल बिहार में 4600 रजिस्टर्ड मंदिर हैं। हालांकि, इन मंदिरों के अलावा ऐसे बहुत सारे मंदिर भी हैं जिनका रजिस्ट्रेशन अब तक नहीं हुआ है। रजिस्ट्रेशन नहीं होने की वजह से वह मंदिर अभी टैक्स नहीं दे रहे हैं। हालांकि, रजिस्ट्रेशन के लिए मंदिर से संबंधित कागजात भी मुहैया कराना होगा। कागजातों की कमेटी की जांच के बाद रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया शुरू होगी।
सभी मंदिरों का रजिस्ट्रेशन न्याय बोर्ड के नियमों के अनुसार होगा। आपको बता दे कि बिहार में मंदिरों का संचालन बिहार राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड की तरफ से ही किया जाता है। वर्तमान में देखें तो बिहार राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड की आर्थिक स्थिति सही नहीं है। ऐसे में माना जा रहा है कि और मंदिरों के रजिस्ट्रेशन हो जाने के बाद न्यास की आर्थिक स्थिति बेहतर होगी। दावा किया जाता है कि बिहार में ऐसे कई मंदिर हैं जिनका सालाना चढ़ावा लाखों में होता है। परंतु उनका रजिस्ट्रेशन नहीं है। यही कारण है कि उनका भी रजिस्ट्रेशन करवाया जाएगा और उन्हें भी टैक्स देना जरूरी होगा।
बोर्ड की ओर से यह भी साफ कर दिया गया है कि जिन घरों में प्राइवेट मंदिर का निर्माण किया गया है, वहां बाहरी लोग पूजा करने नहीं जा सकते हैं। कुल मिलाकर देखें तो सार्वजनिक और निजी मंदिरों को लेकर बोर्ड की ओर से स्थितियां स्पष्ट कर दी गई हैं। जिन निजी मंदिरों में बाहरी लोग पूजा करने आते हैं उन्हें निजी नहीं माना जाएगा और वह मंदिर भी टैक्स के दायरे में आएंगे। ऐसे मंदिर को अपने आय के अनुसार 4 फ़ीसदी टैक्स धार्मिक न्यास बोर्ड को देना।