By अभिनय आकाश | Sep 06, 2024
जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने 1999 के कंधार विमान अपहरण की घटना का जिक्र कर अपने पिता फारुक अब्दुल्ला द्वारा सामना किए गए कठिन फैसलों का जिक्र किया। स्मिता प्रकाश के साथ एएनआई पॉडकास्ट में उमर अब्दुल्ला ने खुलासा किया कि आईसी 814 की पहली घटना नहीं थी जब उनके पिता को बंदियों को रिहा करने के लिए मजबूर किया गया हो। 8 दिसंबर 1989, 23 साल की मेडिकल इंटर्न देश के पूर्व गृह मंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रुबैया सईद का कश्मीरी अलगाववादियों ने अपहरण कर लिया था। रूबिया सईद के अपहरण के वक्त फारूक अब्दुल्ला जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री थे। फारूक की राय में अपहरणकर्ताओं की मांग नहीं माननी चाहिए। वहीं केंद्र सरकार के हिसाब से प्राथमिकता रूबिया सईद की जिंदगी और रिहाई का था।
1989 में भारत सरकार ने जेकेएलएफ के कैदियों को रिहा किया और कुछ घंटों बाद रूबिया भी अपने घर पहुंच गई। उमर अब्दुल्ला ने रुबैया अपहरण कांड का हवाला देते हुए कहा कि यह दूसरी बार है जब मेरे पिता को लोगों को रिहा करने के लिए मजबूर किया गया।रुबैया सैयद और अपहृत पीड़ितों के परिवारों रिहाई की की घटना को बेंचमार्क के रूप में इस्तेमाल किया। उमर ने कहा कि जब आप गृह मंत्री की बेटी के लिए आतंकवादियों को रिहा कर सकते हैं तो क्या हमारा परिवार कीमती नहीं है?
भारतीय इतिहास की सबसे बड़ी प्लेन हाईजैकिंग की घटना। जब साल 1999 में भारत ने आतंक का वो खतरनाक चेहरा देखा था जिसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी। वो दिन अगर आज भी याद किया जाए तो रूंह कांप जाएगी। 24 दिसंबर 1999 को काठमांडू से उड़े जहाज को दिल्ली जाना था लेकिन उसे आतंकियों ने हाईजैक कर लिया था। वे उसे अमृतसर से होते हुए कंधार लेकर गए थे। आतंकियों ने 179 पैसेंजर्स की रिहाई के बदले मौलाना मसूद अजहर समेत 3 आतंकियों के रिहाई की शर्त रखी थी। इसी पर अनुभव सिन्हा ने आईसी 814 द कंधार हाईजैक नाम से एक वेब सीरिज बनाई है, जो इन दिनों खासा चर्चा में है।