पहले खरगे का ऑफर ठुकराया, फिर कांग्रेस अधिवेशन से बनाई दूरी, लोकसभा पहुंचते ही TV-अखबारों की हेडलाइन लूटने के बाद अचानक प्रियंका ने क्यों पीछे खींचे कदम?

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By अभिनय आकाश | Apr 12, 2025

पहले खरगे का ऑफर ठुकराया, फिर कांग्रेस अधिवेशन से बनाई दूरी, लोकसभा पहुंचते ही TV-अखबारों की हेडलाइन लूटने के बाद अचानक प्रियंका ने क्यों पीछे खींचे कदम?

संसद में संविधान को लेकर चर्चा चल रही थी। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह की तरफ से बहस की शुरुआत की गई। भाषण समाप्त होने के बाद कांग्रेस नेत्री प्रियंका गांघी को बोलना था। थोड़ी ही देर में लोकसभा में बोलेने वाली हैं प्रियंका जैसी हेडलाइन तमाम न्यूज चैनलों पर फ्लैश हो रहे थे। प्रियंका का भाषण शुरू होने ही वाला था कि तभी अचानक ब्रेकिंग न्यूज चलने लग जाती है पुष्पा-2 के एक्टर अल्लू अर्जुन को गिरफ्तार कर लिया गया है। अब ऐसे में टीवी चैनल प्रियंका के स्पीच से इतर अल्लू अर्जुन की गिरफ्तारी की खबर को प्राथमिकता देने लग जाते हैं। जाहिर सी बात है कि अगर उस दिन ये बड़ी खबर नहीं आती तो न्यूज चैनलों पर दिन भर प्रियंका के भाषण की चर्चा होती। लेकिन इसकी जगह अल्लू अर्जुन की गिरफ्तारी की खबर ने ले ली। लेकिन कांग्रेस शासित तेलंगाना की सरकार के अंदर में आने वाली पुलिस द्वारा अचानक से उठाए गए गिरफ्तारी वाले कदम ने प्रियंका की लाइमलाइट को छीन लिया। गौरतलब है कि प्रियंका ने लोकसभा में पहुंचते ही हर दिन टीवी और अखबारों की हेडलाइन लूटनी शुरू कर दी। उनके बैग का रंग और उन पर छपी फोटो तक खबरें बनने लगीं और अचानक उन्होंने दिखना ही बंद कर दिया। 

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सोनिया, प्रियंका, राहुल सभी का अपना अपना ग्रुप है। ये  बात कांग्रेस के अधिवेशन में खुलकर सामने आ गई। प्रियंका अधिवेशन से गायब रहीं। जिसकी बड़ी वजह राहुल गांधी को बताया जा रहा है। पार्टी का ये अधिवेशन ऐसे वक्त में हुआ जब 2024 के लोकसभा चुनाव में अच्छा प्रदर्शन करने के बाद महाराष्ट्र, हरियाणा और दिल्ली के विधानसभा चुनावों में हार से उसकी उम्मीदों को बड़ा झटका लगा है। ऐसे में पार्टी की निगाहें बिहार विधानसभा चुनाव पर है। जहां वो अपने सहयोगियों के साथ मिलकर सत्ता में वापसी की उम्मीद कर रही है। लेकिन कांग्रेस का जो हाल अधिवेशन में नजर आया उसे देखकर तो साफ लग रहा है कि बिहार में भी कांग्रेस को कोई खास हाथ नहीं लगने वाला है। दरअसल, गुजरात में कांग्रेस का अधिवेशन हुआ और 64 साल बाद गुजरात में ये मंथन हुआ। साबरमती तट पर हुए कांग्रेस के 84वें अधिवेशन में पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने बाकायदा एलान किया कि कांग्रेस जिस तरह से आजादी की लड़ाई में अंग्रेजों और संघ के खिलाफ लड़ी थी, उसी तरह से आज भी बीजेपी संघ की सांप्रदायिक व विभाजनकारी सोच से लड़ रही है। 

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क्यों गायब रहीं प्रियंका गांधी वाड्रा

 गुजरात के अहमदाबाद में कांग्रेस के अधिवेशन के पहले दिन कांग्रेस कार्य समिति यानी सीडब्ल्यूसी की बैठक हुई। इसमें पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और सोनिया गांधी, राहुल गांधी समेत 158 सदस्यों ने हिस्सा लिया। हालांकि पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा गैरहाजिर रहीं। सीडब्ल्यूसी की बैठक में प्रियंका गांधी की गैरमौजूदगी पर कई सवाल उठे। बाद में इस मुद्दे पर जब पार्टी के सीनियर नेता जयराम रमेश से जब सवाल पूछा गया तो उन्होंने अपनी चुप्पी तोड़ी जरूर लेकिन कुछ ऐसा जवाब नहीं दिया जिससे जो सवाल खड़े हो रहे हैं उसका एक जवाब मिल जाए। जयराम रमेश ने कहा कि बैठक में 35 सदस्य गैर मौजूद थे और किसी एक शख्स को अलग से चिन्हित करके सवाल उठाना ठीक नहीं। इसी सवाल का जवाब देते हुए पार्टी महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा कि प्रियंका गांधी ने पार्टी से पहले ही अनुरोध किया था कि उन्हें विदेश में पूर्व व्यस्तताओं में शामिल होने के लिए एआईसीसी सत्र और संसद सत्र को छोड़ने की अनुमति दी जाए और पार्टी ने उनका अनुरोध स्वीकार कर लिया। 

प्रियंका को कोई बड़ी जिम्मेदारी कब मिलेगी?

लेकिन ये बयान चर्चाओं को कहां रोक सकता था। प्रियंका का अधिवेशन में शामिल न होना कई सवाल खड़े करता है। अधिनेशन से ठीक पहले कांग्रेस के एक सीनियर नेता ने ये कहा था कि पार्टी इस वक्त इस बात पर ध्यान दे रही है कि प्रियंका गांधी वाड्रा को कैसे और बड़ी जिम्मेदारी दी जा सकती है, खासकर जब कुछ बड़े राज्य में चुनाव होने हैं। पार्टी के कुछ अंदरूनी सूत्रों ने भी ये संकेत दिया कि उन्हें कोई अहम राज्य का प्रभारी या कोई बड़ी चुनावी जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है। फिलहाल प्रियंका गांधी कांग्रेस की महासचिव हैं लेकिन उनके पास कोई खास विभाग या जिम्मेदारी नहीं है। इसी वजह से कई राज्यों की ईकाई और पार्टी के सीनियर नेताओं ने ये सुझाव भी दिया था कि उनके राजनीतिक अनुभव और जनता से जुड़ने की क्षमता का बेहतर इस्तेमाल किया जाना चाहिेए । लेकिन प्रियंका तो सीडब्ल्यूसी की  बैठक में ही नहीं पहुंची। जिस पर पर्दा डाला गया कि वो विदेश चली गई। 

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सियासी समझ और काबिलियत की वजह से किया जा रहा किनारा?

कांग्रेस अधिवेशन में प्रियंका की गैरमौजूदगी के बाद एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया। प्रियंका गांधी जब वायनाड लोकसभा से जीतकर संसद पहुंची थी, तब से ही उन्हें बड़ा सीमित रखा गया है। कई बार अंदरखाने से इसकी चर्चा भी हुई कि वो राहुल गांधी की राजनीति के लिए खतरा हो सकती हैं। अक्सर सियासी गलियारों में इस बात की चर्चा होती रही है कि प्रियंका में राहुल से ज्यादा सियासी समझ और काबिलियत है। शायद यही वजह है कि उन्हें हर बार पीछे ढकेल दिया जाता है। जिसका खामियाजा अब तक पार्टी भुगत रही है। प्रियंका गांधी वाड्रा अब तक इलेक्ट्रोरल पॉलिटिक्स का हिस्सा नहीं रही हैं। कांग्रेस के कार्यकर्ताओं, नेताओं में उनकी एक खास जगह जरूर है। लोकसभा में प्रियंका का मौजूद होना कांग्रेस के लिए कई मायनों में खास भी रहा। अब तक प्रियंका संगठन को मजबूत करने की कोशिशों में लगी रही। हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश और दक्षिण भारत में उन्होंने संगठन के स्तर पर काफी काम भी किया। प्रियंका गांधी के संसद में पहुंचने से उनके व्यक्तिगत, राजनीतिक ब्रांड को थोड़ी मजबूती जरूर मिली है। लेकिन पार्टी में उनके कद को राहुल के मुकाबले हमेशा कमतर आंका गया। इस बात को शायद प्रियंका भी अच्छे से समझती हैं। शायद यही वजह रही हो कि उन्होंने एआईसीसी की बैठक से दूरी बना ली। 

कब बनेगा इलेक्शन मैनेजमेंट डिपार्टमेंट 

प्रियंका गांधी अभी वर्किंग कमेटी में हैं। खरगे से उनकी दो बार मीटिंग हुई। कांग्रेस अध्यक्ष ने उन्हें कहा कि पार्टी के अंदर इलेक्शन मैनेजमेंट डिपार्टमेंट बनने जा रहा है और मैं चाहता हूं कि आप उसकी जिम्मेदारी लें। प्रियंका गांधी ने कहा कि मुझे सोचने का समय दें। फिर उन्होंने सोचा और बाद में जिम्मेदारी लेने से मना कर दिया। अगर इलेक्शन मैनेजमेंट डिपार्टमेंट प्रियंका गांधी को मिल जाता तो ये केसी वेणुगोपाल के पैरलल डिपार्टमेंट होता और उनकी पावर कम हो जाती। इस डिपार्टमेंट का काम बूथ कमेटी से लेकर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के बीच संगठन खड़ा करेगा। उदयपुर 2022 में कांग्रेस को इसकी कमी महसूस हुई थी। तीन साल लग गए लेकिन अभी तक ये बस विचारों में है। 

इंडिया इज इंदिरा से सोनिया गांधी हिंदुस्तान

आपने इंद‍िरा इज इंडिया और इंडिया इज इंद‍िरा सुना होगा। अब इसका नया नारा भी आ गया है। कांग्रेस के अधिवेशन में ‘सोनिया गांधी हिंदुस्तान, राहुल गांधी हिंदुस्तान’ के नारे लगाए गए। वहीं कांग्रेस नेता द्वारा यह नारे लगाने का वीडियो सोशल मीडिया पर भी काफी वायरल हो रहा है। 

आंबेडकर जयंती से संविधान बचाओ यात्रा

हाल ही में अहमदावाद में कांग्रेस वर्किंग कमिटी की विस्तारित मीटिंग और अधिवेशन में गुजरात को लेकर किए गए प्रस्ताव के मद्देनजर कांग्रेस अब गुजरात को लेकर बेहद सक्रिय नजर आ रही है। दो दिन के सत्र के फौरन वाद पार्टी ने वहां अपने अभियान की शुरुआत करने की योजना बनाई है। सूत्रों के मुताविक, कांग्रेस 14 अप्रैल (आंबेडकर जयंती) से अपने मिशन गुजरात की शुरुआत करने जा रही है। इसके तहत वह राज्यभर में 'संविधान बचाओ यात्रा' निकालेगी। वहीं तीसरे हफ्ते में राहुल गांधी एक वार फिर गुजरात का दौरा कर सकते हैं। चर्चा है कि वह 15 अप्रैल को गुजरात पहुंच सकते हैं। हालांकि अभी तारीख को लेकर फाइनल फैसला नहीं हुआ है, लेकिन उनका गुजरात आना तय वताया जा रहा है। कहा जा रहा है कि इस दौरान वह कांग्रेस की महत्वाकांक्षी योजना जिलाध्यक्षों के सशक्तिकरण की शुरुआत कर सकते हैं। इस दौरान वह एक दिन के कार्यक्रम में भाग ले सकते हैं। 


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