By अनन्या मिश्रा | Nov 02, 2024
बता दें कि इस दिन गोवर्धन पूजा के साथ ही इसकी कथा पढ़नी चाहिए। ऐसा करने से घर में कभी अन्न की कमी नहीं होती है। ऐसे में आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको गोवर्धन पूजा के बारे में बताने जा रहे हैं।
गोवर्धन पूजा की कथा
प्राचीन काल में दिवाली के अगले दिन भारत में और विशेषकर ब्रज मण्डल में देवराज इंद्र की पूजा की जाती थी। वहीं भगवान श्रीकृष्ण ने लोगों को इंद्रदेव की पूजा करते देख कहा कि कार्तिक माह में देवराज इंद्र की पूजा करने का कोई लाभ नहीं है। इसलिए इसदिन इंद्र की पूजा नहीं बल्कि गऊ के वंश की उन्नति के लिए पर्वत वृक्षों की पूजा करनी चाहिए और उनकी रक्षा की प्रतिज्ञा करनी चाहिए। साथ ही भूमि पर घास व पौधे लगाने चाहिए और श्रीकृष्ण ने लोगों से गोवर्धन पहाड़ी की पूजा करने के लिए कहा।
भगवान श्रीकृष्ण की बात मानते हुए लोगों ने अन्नकूट की पूजा करनी शुरूकर दी। इस बात से देवराज इंद्र बेहद क्रोधित हुए और उन्होंने बृजमंडल में मूसलाधार बारिश करनी शुरूकर दी। जिससे गोकुल में कोहराम मच गया और लोग त्राहि-त्राहि करने लगे। ऐसे में श्रीकृष्ण ने बृजवासियों को इंद्रदेव के प्रकोप से बचाने के लिए अपनी छोटी उंगली पर गोवर्धन पर्वत को उठा लिया। तब इंद्रदेव भगवान श्रीकृष्ण की दिव्य शक्तियों को पहचान गए और उन्होंने अपनी गलती के लिए श्रीकृष्ण से क्षमा मांगी। इसके बाद से ही गोवर्धन पूजा की शुरूआत हुई।