RBI MPC: वैश्विक अनिश्चितता के बीच आरबीआई की तीन दिवसीय मौद्रिक नीति बैठक शुरू

By रितिका कमठान | Oct 07, 2024

भारतीय रिजर्व बैंक ने सोमवार को अपनी तीन दिवसीय मौद्रिक नीति (एमपीसी) बैठक शुरू कर दी है। इस बार ये बैठक नौ अक्टूबर को समाप्त होगी, जिसमें केंद्रीय बैंक के रेपो रेट पर विचार किया जाएगा। इस बैठक में चर्चा होगी कि क्या केंद्रीय बैंक रेपो दर को 6.50 प्रतिशत के वर्तमान स्तर पर बनाए रखेगा, जिस रुख को उसने लगातार नौ बैठकों में स्थिर रखा है।

 

मुद्रास्फीति नियंत्रण और आर्थिक विकास के बीच संतुलन बनाने के लिए आरबीआई ने रेपो दर को लम्बे समय तक अपरिवर्तित रखा है। इस बैठक के परिणाम पर विशेष रूप से नजर रखी जा रही है, क्योंकि अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने लगातार आठ बैठकों तक ब्याज दरों को स्थिर रखने के बाद ब्याज दरों में 50 आधार अंकों की कटौती करने का निर्णय लिया है।

 

आरबीआई के निर्णय के प्रमुख कारक

आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता में होने मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक होगी। इस बैठक में समिति द्वारा निर्णय लेने से पहले कई कारकों पर विचार होगा। इसमें मुख्य रुप से मुद्रास्फीति के रुझान, वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताएं और घरेलू विकास की संभावनाएं शामिल हैं। मुद्रास्फीति, विशेष रूप से खाद्य और ईंधन की कीमतों में, एक महत्वपूर्ण चुनौती बनी हुई है।

 

सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के हालिया आंकड़ों से पता चला है कि भारत की उपभोक्ता मूल्य मुद्रास्फीति अगस्त में 3.65 प्रतिशत रही, जो आरबीआई के लक्ष्य बैंड के भीतर है। खाद्य मुद्रास्फीति 5.65 प्रतिशत पर बनी हुई है, जो आरबीआई के मध्यम अवधि लक्ष्य 4 प्रतिशत से अधिक है।

 

आरबीआई के रुख पर बाहरी दबाव

पश्चिम एशिया में तनाव के कारण कच्चे तेल की बढ़ती कीमत जैसे वैश्विक कारक भी आरबीआई के फैसले को प्रभावित कर सकते हैं। तेल की कीमतों में उछाल केंद्रीय बैंक को रेपो दर पर अपनी मौजूदा स्थिति पर पुनर्विचार करने के लिए प्रेरित कर सकता है।

 

आरबीआई की एमपीसी में बदलाव

उल्लेखनीय है कि इस बैठक में एमपीसी में तीन नए सदस्य भाग लेंगे। नए बाहरी सदस्यों में दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के निदेशक प्रोफेसर राम सिंह, अर्थशास्त्री सौगत भट्टाचार्य और औद्योगिक विकास अध्ययन संस्थान के निदेशक और मुख्य कार्यकारी डॉ. नागेश कुमार शामिल हैं।

 

ये नियुक्तियाँ समिति के लिए नए दृष्टिकोण लेकर आएंगी क्योंकि यह वर्तमान आर्थिक परिदृश्य पर नज़र रखेगी। बढ़ती आर्थिक अनिश्चितताओं के बीच आरबीआई की भविष्य की मौद्रिक नीति दिशा के संकेतों के लिए बैठक के नतीजों पर बारीकी से नज़र रखी जाएगी।

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