By नीरज कुमार दुबे | Jul 09, 2024
विपक्ष की ओर से अक्सर मोदी सरकार पर यह आरोप लगाया जाता है कि उसके कार्यकाल में बेरोजगारी दर तेजी से बढ़ी है। अभी दो दिन पहले ही कांग्रेस ने आरोप लगाया था कि नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने तुगलकी नोटबंदी, जल्दबाजी में लागू जीएसटी और चीन से बढ़ते आयात के कारण रोजगार सृजन करने वाले सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) को तबाह कर भारत में बेरोजगारी के संकट को बढ़ा दिया है। लेकिन भारतीय रिजर्व बैंक के ताजा आंकड़े दर्शाते हैं कि रोजगार सृजन की दिशा में यह सरकार बहुत अच्छा काम कर रही है।
आरबीआई की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि कृषि, व्यापार और वित्तीय सेवाओं सहित 27 क्षेत्रों में कार्यरत लोगों की संख्या 2022-23 में सालाना आधार पर 3.31 प्रतिशत बढ़कर 59.66 करोड़ हो गई। इससे पहले 2021-22 के दौरान इन 27 क्षेत्रों में रोजगार 57.75 करोड़ था। आरबीआई ने अपनी वेबसाइट पर ‘उद्योग स्तर पर उत्पादकता मापन- भारत KLEMS आंकड़े’ शीर्षक के तहत ये आंकड़े प्रकाशित किए हैं। हम आपको बता दें कि केएलईएमएस का आशय पूंजी (के), श्रम (एल), ऊर्जा (ई) सामग्री (एम) और सेवा (एस) से है।
भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों में संपूर्ण भारतीय अर्थव्यवस्था के 27 उद्योगों को शामिल किया गया है। आरबीआई की रिपोर्ट के मुताबिक ‘कृषि, शिकार, वानिकी और मछली’ क्षेत्र ने 25.3 करोड़ व्यक्तियों को रोजगार दिया था। यह आंकड़ा 2021-22 में 24.82 करोड़ था। इसके अलावा अच्छी संख्या में रोजगार देने वाले क्षेत्रों में निर्माण, व्यापार तथा परिवहन और भंडारण शामिल थे।
आरबीआई के आंकड़े इस लिहाज से भी महत्वपूर्ण हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने तीसरे कार्यकाल में भारत को विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने और भारत को वर्ष 2047 तक उच्च आय वाली अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य लेकर चल रहे हैं। यदि रोजगार सृजन में इसी प्रकार तेजी बनी रही तो निश्चित ही देश अपने लक्ष्य को हासिल कर सकता है। हम आपको यह भी बता दें कि सिर्फ आरबीआई ही भारतीय अर्थव्यवस्था के बारे में सुनहरी तस्वीर नहीं प्रस्तुत कर रहा है बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर के आर्थिक विशेषज्ञ भी आने वाला कल भारत का ही बता रहे हैं। आर्थिक मामलों के टिप्पणीकार मार्टिन वुल्फ जोकि अक्सर ब्रिटिश समाचारपत्र 'फाइनेंशियल टाइम्स' में आर्थिक मसलों पर लेख लिखते हैं, उन्होंने कहा है कि भारत वर्ष 2047 तक एक महाशक्ति बन जाएगा। मार्टिन वुल्फ ने कट्स इंटरनेशनल के सालाना व्याख्यान में कहा कि भारत अभी भी वैश्विक अवसरों का लाभ उठा सकता है और वह सभी पक्षों के साथ उपयोगी और उत्पादक आर्थिक संबंध बना सकता है।
हम आपको बता दें कि फिलहाल दुनिया की पांचवीं बड़ी अर्थव्यवस्था भारत की गिनती एक विकासशील राष्ट्र के रूप में होती है। एक विकसित देश की पहचान अपेक्षाकृत उच्च स्तर की आर्थिक वृद्धि, रहन-सहन के एक सामान्य स्तर, उच्च प्रति व्यक्ति आय के साथ मानव शिक्षा, साक्षरता और स्वास्थ्य में अच्छे प्रदर्शन से होती है।