By अभिनय आकाश | Nov 27, 2021
इस वक्त यूरोपीय देश समेत दुनिया के कई सारे देश कोरोना के नए वेरिएंट को लेकर चिंता में हैं और स्वास्थ्य संगठन की तरफ से इस पर शोध भी किए जा रहे हैं। लेकिन इन सभी बातों से इतर भारत का पड़ोसी मुल्क श्रीलंका त्रेता युग के किरदारों को लेकर रिसर्च फिर से शुरू करने की तैयारी में है। श्रीलंका का दावा है कि पांच हजार साल पहले रावण मे पहली बार इस विमान का इस्तेमाल किया था। 2019 में श्रीलंका सरकार ने रावण के एक कुशल एविएटर होने के दावों पर शोध करने के लिए 50 लाख रुपये मंजूर किए थे। इतिहासकारों सहित देश में बहुत से लोग मानते हैं कि रावण केवल एक पौराणिक व्यक्ति नहीं था बल्कि एक वास्तविक व्यक्ति था जिसने लंका पर शासन किया था।
दोबारा शुरू होगी रिसर्च
साल 2019 में ही श्रीलंका ने दावा किया था कि पांच हजार साल पहले रावण मे पहली बार इस विमान का इस्तेमाल किया था। इसके साथ ही श्रीलंका की सरकार की तरफ से एक विज्ञापन जारी कर लोगों से रावण के बारे में कोई भी दस्तावेज शेयर करने को कहा गया था। हालाँकि, अनुसंधान को कोविड-19 महामारी के खतरे के कारण रोक दिया गया था। अब, जब चीजें धीरे-धीरे सामान्य हो रही हैं, सरकार ने अध्ययन को आगे बढ़ाने का फैसला किया है, जिसके 2022 की शुरुआत में फिर से शुरू होने की उम्मीद है। श्रीलंकाई नागरिक उड्डयन प्राधिकरण के पूर्व उपाध्यक्ष शशि दानतुंगे ने कहा है कि राजपक्षे के नेतृत्व वाली श्रीलंका सरकार ने शोध में गहरी दिलचस्पी दिखाई है। उन्होंने कहा कि अध्ययन अगले साल की शुरुआत में फिर से शुरू होगा।
भारत भी रिसर्च में हो शामिल
श्रीलंका भी चाहता है कि रामायण की कहानी को देखते हुए भारत अध्ययन का हिस्सा बने, जिसमें रावण और उसके विमान दोनों देशों से जुड़े हुए हैं। श्रीलंकाई नागरिक उड्डयन प्राधिकरण के पूर्व उपाध्यक्ष शशि दानतुंगे ने कहा कि उनका मानना है कि रावण के पास विमान और हवाई अड्डा था और उन्होंने भारत की यात्रा की। उन्होंने कहा कि श्रीलंकाई और भारतीयों के पास उड्डयन जैसी बेहतर तकनीकों तक पहुंच है।
रामायण काल का पुष्पक विमान
रामायण में लिखा है कि रावण ने माता सीता का अपहरण करके पुष्पक विमान के जरिए लंका लेकर गया था। वाल्मिकी रामायण में इस बात का वर्णन मिलता है कि पंचवटी आश्रम से माता सीता का हरण करके रावण पुष्पक विमान से लंका की ओर उड़ चला। प्रभु श्री राम लंका विजय के बाद अयोध्या इसी विमान से पहुंचे थे।रामायण में जिस तरह से पुष्पक विमान का जिक्र मिलता है, उससे तो यही लगता है कि ये आज के हवाई जहाज की तरह था, लेकिन तकनीक के मामले में मॉर्डर्न एयरोप्लेन से कहीं आगे था।