रतन टाटा ने बर्खास्तगी संकट के बीच 115 TISS नौकरी बचाई, उठाया शानदार कदम

By रितिका कमठान | Jul 02, 2024

टाटा सामाजिक विज्ञान संस्थान (टीआईएसएस), जिसने हाल ही में 28 जून को 115 कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया था। वहीं अब 55 संकाय सदस्यों और 60 गैर-शिक्षण कर्मचारियों की बर्खास्तगी पर रोक लगाने का फैसला किया गया है। ये फैसला टाटा समूह के पूर्व अध्यक्ष रतन टाटा के नेतृत्व वाले टाटा एजुकेशन ट्रस्ट (टीईटी) द्वारा अतिरिक्त वित्तीय अनुदान प्रदान करने पर सहमति जताने के बाद लिया गया।

 

टीआईएसएस ने कहा कि टाटा एजुकेशन ट्रस्ट के साथ चल रही चर्चाओं से इस मुद्दे के समाधान के लिए उनकी प्रतिबद्धता मजबूत हुई है। टीईटी ने परियोजना, कार्यक्रम संकाय और गैर-शिक्षण कर्मचारियों के वेतन के लिए धनराशि जारी करने की प्रतिबद्धता जताई है।

 

संस्थान ने कर्मचारियों से अपना काम जारी रखने का अनुरोध किया तथा उन्हें आश्वासन दिया कि टीईटी सहायता अनुदान प्राप्त होने पर वेतन का भुगतान कर दिया जाएगा। इससे पहले, टीआईएसएस ने टाटा एजुकेशन ट्रस्ट से वेतन के लिए मिलने वाले अनुदान में कमी को कारण बताते हुए कर्मचारियों की छंटनी कर दी थी। प्रशासन ने बताया कि वे पिछले छह महीनों से टाटा एजुकेशन ट्रस्ट से वित्त पोषण जारी रखने के लिए सक्रिय रूप से प्रयास कर रहे थे, लेकिन धन वितरण में देरी के कारण परिचालन को बनाए रखने में चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा था।

 

वहीं जिन कर्मचारियों को पहले नौकरी से निकाल दिया गया था, वे विभिन्न परियोजनाओं के लिए ट्रस्ट द्वारा वित्तपोषित भूमिकाओं में कार्यरत थे। इसके विपरीत, टीआईएसएस परिसरों में स्थायी पदों पर कार्यरत संकाय सदस्यों को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) द्वारा प्रदान की गई धनराशि के माध्यम से पारिश्रमिक मिलता है। मूलतः 1936 में सर दोराबजी टाटा ग्रेजुएट स्कूल ऑफ सोशल वर्क के रूप में स्थापित, टीआईएसएस का नाम 1944 में बदलकर टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज कर दिया गया।

 

वर्ष 1964 में एक महत्वपूर्ण क्षण आया जब इसे विश्वविद्यालय अनुदान आयोग अधिनियम (यूजीसी), 1956 की धारा 3 के अंतर्गत डीम्ड विश्वविद्यालय का दर्जा प्राप्त हुआ। अपनी स्थापना के बाद से ही, टीआईएसएस उच्च शिक्षा में उत्कृष्टता हासिल करने के लिए निरंतर प्रयासरत रहा है। संस्थान ने विकासात्मक अध्ययनों में अपने व्यापक शोध प्रयासों के लिए प्रशंसा अर्जित की है, जिसमें समानता को आगे बढ़ाने, सामाजिक न्याय को बढ़ावा देने और मानवाधिकारों की वकालत पर विशेष जोर दिया गया है।

प्रमुख खबरें

कृत्रिम मेधा के क्षेत्र में हो रही क्रांति की अगुवाई करे भारत: Amitabh Kant, जी-20 शेरपा

आबादी के 30-50 मीटर में पेट्रोल पंप के लिए सुरक्षा उपाय बनाए पीईएसओः Piyush Goyal

Delhi में आयोजित कार्यक्रम में ड्रोन उद्योग ने स्वदेशीकरण के लिए अनुकूल नीतियों, प्रोत्साहनों की मांग उठाई

Mumbai में विश्व विजेताओं का विजय जुलूस, मरीन ड्राइव पर जनसैलाब, वानखेड़े स्टेडियम में सम्मान