Rani Durgavati Birth Anniversary: रानी दुर्गावती ने चटाई थी मुगल सेना को धूल, जानिए कुछ रोचक बातें

By अनन्या मिश्रा | Oct 05, 2024

भारत के इतिहास में रानी दुर्गावती का नाम साहस, वीरता और आत्मसम्मान की मिसाल के तौर पर दर्ज है। आज ही के दिन यानी की 05 अक्तूबर को उत्तर प्रदेश के कलंजर जिले में रानी दुर्गावती का जन्म हुआ था। वह चंदेल राजा कीरत राय के परिवार से थीं। रानी दुर्गावती के वंशज राजा विद्याधर ने महमूद गजनवी के हमले के नाकाम कर दिया है। ऐसी ही वीर परंपरा में रानी दुर्गावती का पालन-पोषण हुआ था। रानी दुर्गावती ने अपने जीवनकाल में संस्कृति, कला और युद्ध कौशल में निपुणता हासिल की थी। उनके व्यक्तित्व में साहस और सौंदर्य का अनोखा संगम था।


विवाह

साल 1542 में गोंड राजवंश के राजा संग्रामशाह के पुत्र दलपतशाह से रानी दुर्गावती का विवाह हुआ। इस विवाह से चंदेल और गोंड राजवंश के बीच नजदीकी संबंध हुए, जो शेरशाह सूरी के आक्रमण के दौरान बेहद लाभकारी साबित हुए। इस संघर्ष में गोंड सेना की सहायता से शेरशाह सूरी मृत्यु को प्राप्त हुआ। वहीं साल 1545 में रानी दुर्गावती ने वीर नारायण नामक पुत्र को जन्म दिया। लेकिन दुर्भाग्यवश 1550 में दलपतशाह की मृत्यु हो गई। पति की मृत्यु के बाद राज्य का कार्यभार रानी ने अपने हाथों में ले लिया। 

इसे भी पढ़ें: Mahatma Gandhi Birth Anniversary: एक आम इंसान से ऐसे 'राष्ट्रपिता' बनें महात्मा गांधी, जानिए रोचक बातें

दुर्गावती का शासनकाल

बता दें कि बड़ी कुशलता के साथ रानी दुर्गावती ने गोंडवाना की बागडोर संभाली। रानी के प्रशासन में मान ठाकुर और अधर कायस्थ जैसे दो मंत्रियों ने अहम भूमिका निभाई। रानी ने राजधानी सिंगौरगढ़ से चौरागढ़ स्थानांतरित कर दी। जो सामरिक दृष्टि से बेहद अहम है। रानी दुर्गावती ने अपने शासनकाल में अपने राज्य की समृद्धि को बढ़ाने के अलावा जनता के कल्याण पर भी ध्यान दिया। रानी ने अपने राज्य में कई झीलें बनवाईं और विद्वानों को संरक्षण दिया।


युद्ध और संघर्ष

हालांकि रानी दुर्गावती का शासनकाल काफी संघर्षों से भरा रहा। वहीं साल 1556 मालवा के शासक बाजबहादुर ने रानी के राज्य पर आक्रमण कर दिया। लेकिन उनकी सेना को करारी हार का सामना करना पड़ा। रानी की यह जीत उनको वीरता और प्रसद्धि दिलाने में सहायक बनी। वहीं साल 1562 में मुगल शासक अकबर ने मालवा को जीतकर अपने साम्राज्य में मिला लिया। जिससे रानी का राज्य मुगलों की सीमा से सटा हो गया।


फिर 1564 में अकबर के सेनापति आसफ खान ने दुर्गावती के राज्य पर आक्रमण कर दिया। हालांकि रानी ने अपनी सेना के साथ बहादुरी से मुकाबला किया। लेकिन मुगलों की सेना के सामने दुर्गावती की स्थिति कमजोर हो गईं और वह गंभीर रूप से घायल हो गईं। जब रानी दुर्गावती ने देखा कि उनकी हार निश्चित है, तो उन्होंने आत्मसमर्पण करने की जगह बलिदान दे दिया। रानी दुर्गावती ने 24 जून 1564 को बलिदान दे दिया। जिससे आज भी 24 जून का दिन बलिदान दिवस के रूप याद किया जाता है।


रानी दुर्गावती की विरासत

बता दें कि रानी दुर्गावती का व्यक्तित्व बहुआयामी था। वह न सिर्फ वीर योद्ध थीं, बल्कि एक कुशल प्रशासक और जनहितैशी रानी थीं। उन्होंने अपने राज्य में कला-संस्कृति और समृद्धि को बढ़ावा दिया। रानी दुर्गावती के शासनकाल में धार्मिक सद्भाव का भी उदाहरण देखने को मिला। उन्होंने अपने पूर्वजों की परंपराओं का अनुसरण किया और हर वर्ग के लिए विकास कार्य किए।

प्रमुख खबरें

Delhi की हालत देख परेशान हुए उपराज्यपाल, Arvind Kejriwal ने दिया आश्वासन, कहा- कमियों को दूर करेंगे

PM Modi को Kuwait के सर्वोच्च सम्मान द ऑर्डर ऑफ मुबारक अल कबीर से किया गया सम्मानित

PM Narendra Modi के कुवैत दौरे पर गायक मुबारक अल रशेद ने गाया सारे जहां से अच्छा

Christmas Decoration Hacks: क्रिसमस सजावट के लिए शानदार DIY हैक