By अनन्या मिश्रा | Mar 11, 2023
हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी होली का त्योहार धूमधाम और उत्साह के साथ मनाया गया है। होली के मौके पर लोग एक-दूसरे को रंग, अबीर और गुलाल लगाते हैं। वैसे तो होली का पर्व दो दिन का होता है, लेकिन इसकी तैयारियां पहले से ही शुरू हो जाती हैं। वहीं होली के पांच दिन बाद रंग पंचमी का पर्व मनाया जाता है। बता दें कि रंग पंचमी को देवताओं की होली कही जाती है। मान्यता है कि इस दिन यानि की रंग पंचमी को देवतागण होली खेलते हैं। इस बार रंग पंचमी का पर्व 12 मार्च को मनाया जा रहा है। आइए जानते हैं रंग पंचमी पर्व से जुड़ी कुछ खास बातें...
रंग पंचमी पर्व
हर साल होली के पांचवे दिन रंग पंचमी का पर्व मनाते हैं। यह पर्व चैत्र मास की कृष्णपक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। पंचमी तिथि पड़ने के कारण इसे रंग पंचमी कहा जाता है। इसके अलावा इसे कृष्ण पंचमी, श्रीपंचमी या फिर देव पंचमी भी कहा जाता है। इस वर्ष रंग पंचमी का पर्व 12 मार्च 2023 को मनाया जा रहा है। यह दिन देवी-देवताओं को समर्पित होता है। होली के पर्व की तरह ही रंग पंचमी का पर्व भी देशभर में धूमधाम से मनाया जाता है।
रंग पंचमी का शुभ मुहूर्त
चैत्र मास की रंगपंचमी तिथि की शुरूआत- 11 मार्च की रात 10: 06 मिनट पर
चैत्र मास की रंगपंचमी तिथि समाप्ति- 12 मार्च की रात 10.02 मिनट पर
उदयातिथि के मुताबिक रंग पंचमी का त्योहार 12 मार्च 2023 को मनाया जाएगा।
धार्मिक मान्यता
रंग पंचमी को लेकर जुड़ी धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस तिथि को भगवान श्रीकृष्ण ने राधारानी के साथ होली खेली थी। इसीलिए इस दिन भगवान श्रीकृष्ण और राधारानी की पूजा भी की जाती है। पूजन के दौरान श्रीकृष्ण और राधारानी को रंग और गुलाल अर्पित किया जाता है। बता दें कि रंग पंचमी का पर्व मध्यप्रदेश और राजस्थान में काफी धूमधाम से मनाया जाता है। इसके अलावा जलूस आदि भी निकालने के साथ ही जमकर अबीर-गुलाल उड़ाया जाता है।
अबीर-गुलाल उड़ाने की परंपरा
रंग पंचमी के दिन रंगो से नहीं बल्कि अबीर-गुलाल से होली खेली जाती है। रंग पंचमी के दिन हुरियारे गुलाल उड़ाते हैं। मान्यता के मुताबिक इस दिन वातावरण में गुलाल उड़ाना शुभ माना जाता है। कहा जाता है कि रंग पंचमी के देवी-देवता भी पृथ्वी पर उतर आते हैं और मनुष्यों के साथ गुलाल उड़ाते हैं। हवा में उड़ने वाले गुलाल के संपर्क में जो भी व्यक्ति आता है। उसे सभी तरह की समस्याओं और पापों से मुक्ति मिल जाती है। शरीर पर गुलाल पड़ने से सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है।