Shamshera Review: बॉलीवुड की उड़ चुकी लाज को वापस लेकर आएगा शमशेरा! डूबते को तिनके का सहारा

By रेनू तिवारी | Jul 22, 2022

रणबीर कपूर की 4 साल बाद बड़े पर्दे पर वापसी हो गयी हैं। शमशेरा को आखिरकार बड़े पर्दे पर रिलीज़ कर दिया गया है और अच्छी खबर है, नहीं-नहीं सबसे बड़ी खबर यह है कि शमरेशा शायद बॉलीवुड का खोया हुआ दौर वापस लाने में कामयाब हो सकती हैं। फिल्म एक जबरदस्त एंटरटेनर मसाला हैं। लाइव देखा है कि सिनेमाघर में रणबीर और संजय दत्त की फाइट पर लोग तालिया बजा रहे थे। 70 से लेकर 90 के दशक तक बॉलीवुड का राज हुआ करता था फिर साउथ और हॉलीवुड की फिल्मों का दौर आया और बॉलीवुड को काटें की टक्कर मिलने लगी। फिर दौर आया 20-21 के दशक का तब तक लग रहा था कि ब़ॉलीवुड में किसी का काम करने का मन ही नहीं हैं। सब हॉलीडे पर निकल गये हैं इक्का-दुक्का को छोड़कर। चारों तरफ फजीहट करवाने के बाद लग रहा है बॉलीवुड फिर से जाग रहा है। आखिरी बॉलीवुड हिट भूल भुलैया के बाद शमशेरा लोगों को पसंद आ रही हैं। फिल्म की सोशल मीडिया पर लोग जमकर तारीफ कर रहे हैं। फिल्म शमशेरा में रणबीर कपूर, संजय दत्त और वाणी कपूर का लीड रोल है। फिल्म का निर्देशन करण मल्होत्रा ने किया है। फिल्म यश राज के बैनर तले बनीं हैं।

 

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फिल्म की कहानी

फिल्म की कहानी बहुत पुरानी है जिसके बारे में शायद ही आम लोगों को पता हो। पहले एक जाति हुआ करती थी जिसके आम भाषा नें खमेरा जाति के लोग कहकर समाज में संबोधित किया जाता था। ये लोग डकैती करते थे। इनका मानना था कि इसका कर्म ही डकैती है और समाज में पहचान के लिए हमेशा संघर्ष करना पड़ेगा। खमेरा जाति के लोग भले ही संघर्ष कर रहे हो लेकिन इन सभी में एकता बहुत थी। भारत में राजा का शासन था उस समय खमेरा लोगों के लिए संघर्ष इतना कष्टदायक नहीं था जितना मुगलों और अंग्रेजो के आने के बाद हुआ। खेमेरा की तकलीफें लगातार बढ़ रही थी खमेराओं का मसीहा बनकर शमशेरा (रणबीर कपूर) उभरता हैं। शमशेरा ही खमेरा का सरदार बनता है और अंग्रेजों से खमेराओं की जंग में वह लीड रोल प्ले करता हैं। खमेरा के लिए डकैती और अजादी सबसे अहम थी लेकिन अंग्रेजों ने इन्हें मुगलों के खिलाफ, उन्हें कमजोर करने के लिए डकैती करने के लिए कहा लेकिन इनकी आजादी छीन ली। उन्हें गुलाम बना दिया। अब खमेराओं को आजादी के लिए कितना कुछ करना पड़ता है ये फिल्म में मजेदार तरह से दिखाया गया है। 

 

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शमशेरा फिल्म समीक्षा

रणबीर कपूर अभिनीत फिल्म की हाफ-टाइम काफी अच्छा हैं। इंटरवल से पहले फिल्म का हर सीन आपको कनेक्ट करके रखेगा। लेखक-निर्देशक करण मल्होत्रा ​​​​और उनके सह-लेखकों पुरानी कहानी को आज के जमाने के डायलॉक के साथ जोड़कर नया बना देती हैं। फिल्म को पर्याप्त आधुनिक तत्वों से भरा गया है। सभी उम्र और जनसांख्यिकी के दर्शकों को फिल्म आकर्षित करेगी। नायक के परिचय से लेकर प्रतिशोध की थीम तक, अपनी नायिका को बचाने से लेकर अपनी भविष्यवाणियों को पूरा करने तक सब कुछ फिल्म में बेलेंस करके दिखाया गया है। करण मल्होत्रा ने फिल्म में सिनेमैटोग्राफी और वाईआरएफ का प्रयोग किया है और ये वाकई नकली और सस्ते नहीं लगते हैं। जहां तक ​​रणबीर कपूर की बात है, उन्होंने अपनी पहली दोहरी भूमिका में इसे पूरी तरह से अच्छे से निभाया है और संजय दत्त उतने ही बुरे हैं जितने कि बुराई हो सकती है, जबकि वाणी कपूर के लिए फिल्म में ज्यादा कुछ करने के लिए नहीं है लेकिन उन्होंने अपनी भूमिका के साथ न्याय किया है। बाकी सपोर्टिंग कास्ट जैसे रोनित रॉय और सौरभ शुक्ला अच्छी फॉर्म में हैं। पहला गाना फितूर भी बड़े पर्दे पर देखने के लिए उत्साहित है। रणबीर और संजू बाबा के बीच इंटरवल ब्लॉक फेस-ऑफ एक और हाई पॉइंट है।

 

वहीं सोशल मीडिया पर लोगों की फिल्म को लेकर अलग अलग राय हैं। देखिए फिल्म देखने के बाद फिल्म समिक्षक तरन आदर्श ने क्या लिखा हैं-  

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