भाकियू नेता राकेश टिकैत बोले, सरकार अगर किसानों से बात करना चाहती है तो भेजे औपचारिक न्यौता

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Dec 12, 2020

नयी दिल्ली। भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के नेता राकेश टिकैत ने शुक्रवार को कहा कि यदि सरकार किसान नेताओं से बातचीत करना चाहती है, तो उसे पिछली बार की तरह औपचारिक रूप से संदेश देना चाहिए। साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि नये कृषि कानूनों को खत्म किए जाने से कम, कुछ भी स्वीकार्य नहीं होगा। सरकार ने बृहस्पतिवार को किसान संगठनों से, उनकी चिंताओं को दूर करने के लिए अधिनियम में संशोधन करने के उसके प्रस्तावों पर गौर करने का आह्वान किया था और कहा था कि जब भी किसान संगठन चाहें, वह उनके साथ इसपर चर्चा के लिए तैयार है। टिकैत ने कहा, ‘‘उसे (सरकार को) पहले हमें यह बताना चाहिए कि वह कब और कहां हमारे साथ बैठक करना चाहती है, जैसा कि उसने पिछली वार्ताओं के लिए किया। यदि वह हमें वार्ता का न्यौता देती है तो हम अपनी समन्वय समिति में उसपर चर्चा करेंगे और फिर निर्णय लेंगे।’’ भाकियू नेता ने कहा कि जबतक सरकार तीनों नये कृषि कानूनों को निरस्त नहीं करती है तबतक घर लौटने का सवाल ही नहीं है। जब उनसे पूछा गया कि क्या सरकार ने आगे की चर्चा के लिए न्यौता भेजा है तो उन्होंने कहा कि किसान संगठनों को ऐसा कुछ नहीं मिला है। उन्होंने कहा, ‘‘ एक बात बहुत स्पष्ट है कि किसान नये कृषि कानूनों को निरस्त किए जाने से कुछ भी कम स्वीकार नहीं करेंगे।’’ उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले में गाजीपुर-दिल्ली बॉर्डर पर किसानों को संबोधित करते हुए टिकैत ने कहा कि शनिवार सुबह विरोध मार्च निकाला जाएगा। उन्होंने कहा, ‘‘कल भाकियू के कार्यकर्ताओं द्वारा सभी राजमार्गों को टोल मुक्त कर दिया जाएगा।’’ 

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किसान नेताओं ने बृहस्पतिवार को घोषणा की थी कि यदि उनकी मांगें सरकार नहीं मानती है तो वे देशभर में रेलमार्गों को जाम कर देंगे और शीघ्र ही उसकी तारीख घोषित करेंगे। हालांकि केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने आशा जतायी कि शीघ्र ही हल निकल आएगा। उन्होंने केंद्रीय खाद्य एवं रेल और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल के साथ संवाददाताओं से कहा, ‘‘सरकार प्रदर्शनकारी किसानों के साथ और चर्चा करने के लिए तैयार है, हमने किसान संगठनों को अपने प्रस्ताव भेजा हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मैं उनसे यथासंभव चर्चा के लिए तारीख तय करने की अपील करना चाहता हूं। यदि उनका कोई मुद्दा है तो सरकार चर्चा के लिए तैयार है।’’ कृषि मंत्री ने कहा कि जब वार्ता जारी है तब किसान संगठनों के लिए आंदोलन के अगले चरण की घोषणा करना उचित नहीं है, उनकी उनसे वार्ता की मेज पर लौट आने की अपील है। ऑल इंडिया किसान संघर्ष समन्वय समिति ने तोमर की उनके बयान को लेकर आलोचना की और दावा किया कि सरकार ही है, जो कानूनों को वापस नहीं लेने पर अड़ी हुई है। केन्द्र और किसानों के प्रतिनिधियों, प्रदर्शन में विशेष रूप से शामिल हरियाणा पंजाब के किसानों के नेताओं, के बीच कम से कम पांच दौर की वार्ता हो चुकी है लेकिन गतिरोध अभी भी जारी है। राष्ट्रीय राजधानी की विभिन्न सीमाओं पर दो सप्ताह से प्रदर्शन कर रहे किसान केन्द्र के नये कृषि कानूनों को निरस्त करने और फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की प्रणाली बरकरार रखने की मांग कर रहे हैं। सरकार और किसान नेताओं के बीच छठे दौर की वार्ता बुधवार को होनी थी, लेकिन वह रद्द हो गई।

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